सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सोनागाछी में खुशी की लहर

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सोनागाछी में खुशी की लहर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सोनागाछी में खुशी की लहर

सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक आदेश देते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि सहमति से यौन संबंध बनाने वाली सेक्स वर्कर्स के खिलाफ न तो वो हस्तक्षेप करे और न ही आपराधिक कार्रवाई। उनके साथ इज्जत से पेश आए। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने आदेश दिया जिसकी अध्यक्षता जस्टिस एल नागेश्वर राव कर रहे थे।

कानूनी सुरक्षा भी मिलनी चाहिए

सेक्स वर्कर्स के मुद्दों पर काम कर रहे दरबार फाउंडेशन की भारती डे कहती हैं हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं। यह लड़ाई हम 28 साल से लड़ रहे हैं। सोनागाछी की सभी सेक्स वर्कर्स कोर्ट के फैसले से खुश हैं । उन्हें एक नागरिक के रूप में मान्यता मिली है, जिनकी गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए। इसके लिए उन्हें कानूनी सुरक्षा भी दी जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

दरअसल, साल 2011 में कोलकाता में एक सेक्स वर्कर की आपराधिक शिकायत दर्ज होने के बाद मामला सामने आया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया। 19 मई, 2022 को पैनल की सिफारिशों को अच्छी तरह से देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया। वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर इस मामले से जुड़े हैं। वे इस मामले में दरबार महिला समन्वय समिति की तरफ से प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

  पुलिस नहीं कर सकती गिरफ़्तार

 आनंद ग्रोवर ने मीडिया को बताया “सुप्रीम कोर्ट के   आदेश ने सेक्स वर्कर्स कम्युनिटी के बीच अच्छा संदेश   भेजा है। सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मान और अच्छा किया   जाना चाहिए न कि अपराधियों की तरह। उन्हें राशन   कार्ड, पहचान पत्र और आधार कार्ड दिए जाने के   अधिकार दिए गए हैं।

   सेक्स वर्कर्स अपनी मर्ज़ी से किसी सेक्सुअल एक्टिविटी   में शामिल हैं और पुलिस छापेमारी होती है तो ऐसी   स्थिति   में पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती है।    इसके लिए सेक्स वर्कर पर केस नहीं चलाया जा सकता।

सेक्स वर्कर्स का बढ़ता है सम्मान

सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश सेक्स वर्कर्स के सम्मान को बढ़ाता है। सरकार को भी सेक्स वर्कर्स को जीवनयापन के लिए सुरक्षा, खाना, शेल्टर जैसी सुविधाएं देनी चाहिए ताकि उन्हें इस पेशे में रहने के लिए मजबूर न किया जाए। इसके लिए पुलिस को जवाबदेह होना पड़ेगा। साथ ही पुरुषों को भी इस मुद्दे पर संवेदनशील होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने इन सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। अपनी मर्ज़ी से सेक्स का काम करने वाली सेक्स वर्कर्स को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि केंद्र और राज्यों को कानूनों में सुधार के लिए सेक्स वर्कर्स या उनके प्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए।

सेक्स वर्कर्स के बच्चों का भी हक

कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर के बच्चे को सिर्फ इस आधार पर मां से अलग नहीं किया जा सकता कि वह देह व्यापार में है। गरिमा से जीवन जीना सेक्स वर्कर्स के साथ उनके बच्चों का भी हक है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नाबालिग वेश्यालय में या सेक्स वर्कर के साथ रहती है तो ये नहीं माना जा सकता कि उसकी तस्करी की गई है।

सेक्स वर्कर और उनके बच्चे

कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर सेक्स वर्कर का दावा है कि, वह उसका बेटा या बेटी है तो सच पता करने के लिए टेस्ट किया जा सकता है। दावा सही है तो नाबालिग को जबरन अलग नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि अगर सेक्स वर्कर किसी ऐसे अपराध को लेकर शिकायत दर्ज करवाए जो यौन उत्पीड़न से जुड़ा हो तो उनके साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। यौन उत्पीड़न की शिकार सेक्स वर्कर्स को मेडिकल और कानूनी देखभाल की सुविधा मिलनी चाहिए।

पुलिस संवेदनशील बने

कोर्ट ने पुलिस को संवेदनशील होने की अपील करते हुए कहा कि ये देखा गया है कि सेक्स वर्कर्स के प्रति पुलिस का रवैया क्रूर होता है। कोर्ट ने कहा कि मीडिया को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि गिरफ्तारी या छापेमारी के दौरान किसी सेक्स वर्कर की पहचान उजागर न करें। चाहे इसमें आरोपी हो या पीड़ित। ऐसी किसी भी तस्वीर को न दिखाएं जिससे पहचान का पता न चले। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा के लिए सेक्स वर्कर जो कंडोम इस्तेमाल करती हैं, पुलिस को उन्हें अपराध के सबूत के तौर पर नहीं लेना चाहिए।

नहीं बन रहे आधार कार्ड

आनंद ग्रोवर ने कोर्ट से कहा एड्रेस का प्रमाण न होने के कारण सेक्स वर्कर्स के आधार कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यूआईडीएआई को नोटिस जारी कर इस बारे में घर का पता ना होने की स्थिति में उसे खत्म करने के संबंध में उनके सुझाव मांगे थे ताकि सेक्स वर्कर्स को आसानी से आधार कार्ड जारी किए जा सकें।

चिह्नित न करें कि सेक्स वर्कर हैं

यूआईडीएआई ने अपने हलफनामे में ये प्रस्तावित किया था कि जो सेक्स वर्कर राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की सूची में हैं और वो आधार कार्ड के लिए आवेदन करती हैं लेकिन उनके पास निवास प्रमाण नहीं है तो उन्हें आधार कार्ड जारी किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सेक्स वर्कर का आधार कार्ड बनाया जा रहा है तो उनके आधार कार्ड पर किसी भी तरह से ऐसे चिह्नित नहीं किया जा सकता जिससे पता लगे कि वे सेक्स वर्कर हैं।