Saraikela Anti-Opium Farming : Saraikela पुलिस की अफीम नष्ट करने की मुहिम, किसानों ने खुद काटी 8 एकड़ की फसल!
सरायकेला-खरसावां जिले में अफीम की अवैध खेती के खिलाफ चलाए गए अभियान में पुलिस को बड़ी सफलता मिली। जानिए कैसे किसानों ने स्वेच्छा से 8 एकड़ अफीम की फसल नष्ट की और क्या कह रहे हैं एसपी मुकेश कुमार लुनायत।
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सरायकेला: अफीम की अवैध खेती के खिलाफ सरायकेला-खरसावां जिले में पुलिस का अभियान तेजी से अपने सकारात्मक परिणाम दिखा रहा है। पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुनायत के निर्देशन में चलाए जा रहे इस अभियान ने इलाके में तस्करों के होश उड़ा दिए हैं। अब तक पुलिस ने लगभग 150 एकड़ जमीन पर हो रही अफीम की अवैध खेती को नष्ट कर दिया है, जिससे अफीम तस्करों के नेटवर्क में हलचल मच गई है।
जागरूकता अभियान के तहत किसानों ने खुद की फसल नष्ट
हाल ही में खरसावां थाना अंतर्गत पतपत गांव में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब ग्राम सभा ने खुद अफीम की अवैध खेती को नष्ट करने का फैसला लिया। पुलिस द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का असर दिखा, और पतपत गांव के किसानों ने अपने खेतों में लगी अफीम की फसल को स्वेच्छा से नष्ट कर दिया। यह अभियान 7 से 8 एकड़ भूमि पर चल रही अफीम की खेती को नष्ट करने में सफल रहा।
अफीम तस्करी के खिलाफ मिल रही अप्रत्याशित सफलता
एसपी मुकेश कुमार लुनायत ने बताया कि जागरूकता अभियान के नतीजे अब स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “जागरूकता से गांवों के लोग अब खुद अफीम की अवैध खेती का विरोध करने के लिए तैयार हो गए हैं।” उनके मुताबिक, अब तस्करी से जुड़ी गतिविधियों में बडी कमी आई है, और सामाजिक जागरूकता की बढ़ती लहर ने लोगों को अपने पुराने तरीके से खेती करने की प्रेरणा दी है। एसपी लुनायत ने पारंपरिक खेती करने की अपील की और चेतावनी दी कि जिनके खेतों में अफीम की अवैध खेती पकड़ी जाएगी, उनके खिलाफ कड़ी विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
इतिहास और सामुदायिक पहल का महत्व
अफीम की अवैध खेती झारखंड और अन्य राज्यों में एक गंभीर समस्या रही है, जहां तस्करी के लिए बड़े पैमाने पर नशे के कारोबार के लिए अफीम की खेती की जाती है। समय के साथ, इस व्यापार ने किसानों और समाज को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पिछले कुछ दशकों में, पुलिस और सरकारी एजेंसियों ने अफीम की खेती को खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए हैं, लेकिन जागरूकता और समाज के सहयोग से ही इसे जड़ से समाप्त किया जा सकता है। अब, सरायकेला-खरसावां जैसे जिलों में ऐसे अभियानों से यह साबित हो रहा है कि जब स्थानीय लोग जागरूक होते हैं, तो वे अपने समुदाय को नशे के कारोबार से मुक्त करने में मदद कर सकते हैं।
पुलिस की प्रभावी कार्यप्रणाली और आगे की योजना
इस अभियान की सफलता ने सरायकेला पुलिस को एक नई दिशा दी है। अब पुलिस विभाग ने एक नई रणनीति अपनाई है, जिसमें ग्रामीणों की भागीदारी और जागरूकता अभियान को अहमियत दी जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि जब तक समुदाय की सक्रिय भागीदारी नहीं होगी, तब तक नशे के कारोबार पर पूरी तरह से काबू पाना मुश्किल है।
ग्रामीणों की भूमिका और स्वीकृति
ग्रामीणों का इस अभियान में सकारात्मक योगदान सिर्फ पुलिस की सफलता तक सीमित नहीं है। पतपत गांव में इस घटना के बाद, अब लोग अपने गांव के आसपास होने वाली अवैध गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखने लगे हैं। इसका असर अन्य गांवों पर भी दिखाई दे रहा है, जहां लोग अब अपने खेतों की सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर सजग हो गए हैं। सरायकेला जिले में इस जागरूकता अभियान की सफलता यह बताती है कि सामुदायिक प्रयास से सामाजिक बदलाव संभव है।
सरायकेला-खरसावां पुलिस का अफीम की अवैध खेती को खत्म करने का अभियान समाज में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है। इस अभियान ने यह साबित कर दिया है कि जब कानूनी जागरूकता और समुदाय का सहयोग मिलते हैं, तो नशे के कारोबार पर प्रभावी तरीके से काबू पाया जा सकता है। आगे भी पुलिस विभाग और स्थानीय ग्रामीण मिलकर इस मुहिम को जारी रखेंगे, ताकि अफीम तस्करी और अवैध खेती को समाप्त किया जा सके और एक स्वस्थ और सुरक्षित समाज की स्थापना की जा सके।
सरायकेला जिले में चलाए गए इस अभियान को एक उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है, जिसे पूरे राज्य में लागू करने की योजना है।
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