सरायकेला जिले में पुलिस ने एक हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी मामले का खुलासा करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन अपराधियों के पास से 800 बोरा चावल बरामद किया गया है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 14 लाख रुपए है। इस मामले में पुलिस ने फर्जी नंबर प्लेट, चार मोबाइल फोन, और घटना में इस्तेमाल ट्रक को भी जब्त किया है।
धोखाधड़ी के इस सनसनीखेज मामले में महाराष्ट्र, ओडिशा और झारखंड के अपराधी शामिल पाए गए हैं। पुलिस की गिरफ्त में आए इन आरोपियों की पहचान चंद्रकांत धनप्पा धनाशेट्टी (महाराष्ट्र), विक्की रजक (ओडिशा), मोहम्मद वसीम अंसारी (जमशेदपुर), और पप्पू हुसैन (सरायकेला-खरसावां) के रूप में हुई है।
कैसे हुआ यह चावल घोटाला?
इस मामले की शुरुआत 14 दिसंबर को हुई जब कांड्रा भोलाडीह निवासी उस्मान खान ने सरायकेला थाना में शिकायत दर्ज कराई। उस्मान, एलिजा ऑर्गेनिक फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करते हैं। उनकी शिकायत के अनुसार, गाड़ी संख्या सीजी 08-एएक्स-9045 से 40 टन चावल विशाखापत्तनम भेजा गया था। लेकिन समय पर डिलीवरी नहीं होने पर संदेह गहराया।
जांच में खुलासा हुआ कि इस गाड़ी ने फर्जी नंबर प्लेट, ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड का इस्तेमाल कर विश्वास में लिया और 800 बोरा चावल की तस्करी कर ली।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
जांच के बाद अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी समीर सवैयां के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों और मानवीय जानकारी के आधार पर कार्रवाई करते हुए चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया। साथ ही 14 लाख रुपए की कीमत के चावल और अपराध में इस्तेमाल ट्रक को भी बरामद कर लिया गया।
धोखाधड़ी के आरोपियों की गिरफ्तारी कैसे हुई?
पुलिस ने विशेष छापेमारी अभियान के जरिए इस गिरोह का पर्दाफाश किया। टीम ने ट्रक को पकड़ा और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे आरोपियों को हिरासत में लिया। उनके पास से फर्जी नंबर प्लेट और घटना में इस्तेमाल मोबाइल फोन भी बरामद किए गए।
इस अभियान में सरायकेला थाना प्रभारी सतीश वर्णवाल, अनि रामरेखा पासवान, रमन कुमार विश्वकर्मा, हवलदार राजेश राव, आरक्षी बॉबी कुमार झा, अनिल कुमार दास, और अरुण कुमार महतो शामिल रहे।
इतिहास में ऐसे मामले क्यों बार-बार सामने आते हैं?
भारत में खाद्य पदार्थों की तस्करी और घोटालों की घटनाएं नई नहीं हैं। विशेष रूप से झारखंड जैसे राज्यों में जहां कृषि और खाद्य भंडारण उद्योग प्रमुख हैं, इस तरह के अपराध अक्सर सामने आते हैं। तस्करी करने वाले अपराधी अक्सर फर्जी दस्तावेज और परिवहन साधनों का उपयोग कर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं।
इस मामले ने दिखाया कि कैसे संगठित गिरोह आधुनिक तकनीकों और फर्जी कागजात के जरिए कानून को धोखा देने की कोशिश करते हैं।
सरायकेला पुलिस की सराहनीय कार्रवाई
सरायकेला पुलिस ने इस मामले को सुलझाकर एक बड़ा संदेश दिया है कि ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। 800 बोरा चावल की बरामदगी और आरोपियों की गिरफ्तारी ने साबित कर दिया है कि प्रशासन सतर्क है।
आगे क्या होगा?
अब पुलिस इन आरोपियों के नेटवर्क को खंगालने में जुटी है ताकि इस तरह के अन्य मामलों का भी पर्दाफाश हो सके। साथ ही, यह मामला समाज के लिए एक चेतावनी है कि फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल और धोखाधड़ी जैसे अपराधों से बचना चाहिए।
सरायकेला पुलिस की यह कार्रवाई न केवल एक मिसाल है बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा है कि संगठित अपराध को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।