Saraikela Fire : प्लास्टिक फैक्ट्री में लगी आग से मचा हड़कंप, धुएं से घिरा पूरा इलाका

सरायकेला खरसावां जिले के आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में प्लास्टिक फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। आग की लपटें इतनी भयानक थीं कि दूर-दूर तक धुआं फैल गया। जानें पूरा घटनाक्रम और इलाके के इतिहास से जुड़ी अहम बातें।

Sep 23, 2025 - 13:31
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Saraikela Fire : प्लास्टिक फैक्ट्री में लगी आग से मचा हड़कंप, धुएं से घिरा पूरा इलाका
Saraikela Fire : प्लास्टिक फैक्ट्री में लगी आग से मचा हड़कंप, धुएं से घिरा पूरा इलाका

सरायकेला खरसावां जिले से मंगलवार सुबह आई खबर ने पूरे झारखंड को हिलाकर रख दिया। Adityapur Industrial Area Phase-2 स्थित अंजनी प्लास्ट इंडस्ट्रीज में अचानक भीषण आग लग गई। यह फैक्ट्री प्लास्टिक ग्लास बनाने का काम करती है और आसपास के इलाके में इसे एक बड़ी इकाई के तौर पर जाना जाता है।

आग की भयावह तस्वीरें

आग लगने की सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी मच गई। तेज़ लपटें देखते ही देखते आसमान छूने लगीं और पूरे इलाके में घना धुआं फैल गया। गली- मोहल्लों में लोग घरों से बाहर निकलकर भागने लगे ताकि धुएं और जहरीली गैसों से बचा जा सके।

दमकल विभाग की तीन गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी। दिलचस्प यह रहा कि केवल दमकल विभाग ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोग भी पाइप और बाल्टी से पानी डालकर आग बुझाने में सहयोग कर रहे थे। हालांकि खबर लिखे जाने तक आग पूरी तरह काबू में नहीं आ सकी थी।

फैक्ट्री और इलाके का महत्व

आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया, जमशेदपुर से सटा हुआ है और एशिया का सबसे बड़ा छोटा उद्योग क्षेत्र माना जाता है। यहां 1000 से भी अधिक छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हैं, जिनमें ऑटोमोबाइल, प्लास्टिक, मैन्युफैक्चरिंग और केमिकल से जुड़े उद्योग प्रमुख हैं।
इतिहास गवाह है कि यहां 70 के दशक से लेकर अब तक कई फैक्ट्रियां लगीं और बंद भी हुईं। खासकर प्लास्टिक और केमिकल से जुड़ी फैक्ट्रियों में आग लगने की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। 2007 और 2015 में भी ऐसी आग की घटनाओं ने प्रशासन की चिंता बढ़ाई थी।

कैसे लगी आग?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि फैक्ट्री में आग लगी कैसे?

  • क्या मशीनों में शॉर्ट सर्किट हुआ?

  • क्या प्लास्टिक मटेरियल की ज्वलनशीलता ने आग को और तेज़ किया?

  • या फिर सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने इस हादसे को न्योता दिया?

हालांकि अभी तक प्रशासन ने इसकी आधिकारिक वजह नहीं बताई है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि फैक्ट्री में सुरक्षा इंतज़ाम अक्सर लापरवाह तरीके से किए जाते थे।

दमकल की मशक्कत और नुकसान का अंदाज़ा

दमकल विभाग की गाड़ियां लगातार पानी डाल रही थीं, मगर फैक्ट्री के अंदर रखे प्लास्टिक मटेरियल और केमिकल ने आग को और भयावह बना दिया।
जानकारी के अनुसार फैक्ट्री में करोड़ों का माल स्टोर था, जो इस हादसे में राख हो सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि अब तक किसी तरह की जनहानि की खबर सामने नहीं आई है।

स्थानीय लोगों का अनुभव

एक स्थानीय युवक ने बताया –
"सुबह हम लोग घर से निकले ही थे कि अचानक काला धुआं आसमान में दिखाई दिया। देखते ही देखते पूरी फैक्ट्री जलती नज़र आई। डर ऐसा था कि बच्चे और महिलाएं भी घर छोड़कर सड़क पर निकल आए।"

एक अन्य बुजुर्ग ने कहा –
"हमने 30 साल में कई बार आग लगते देखी, लेकिन इतनी भयानक आग पहले कभी नहीं देखी थी।"

सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था

यह घटना एक बार फिर प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। क्या यहां अग्निशमन उपकरण पर्याप्त मात्रा में थे? क्या फैक्ट्री में सुरक्षा ड्रिल समय-समय पर कराई जाती थी?
ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि इंडस्ट्रियल एरिया में अधिकांश फैक्ट्रियों में सुरक्षा इंतज़ाम सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं।

सरायकेला खरसावां का यह हादसा सिर्फ एक फैक्ट्री की आग नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की भी कहानी है जहां सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर उत्पादन को प्राथमिकता दी जाती है। आग की जांच के बाद ही सही कारण सामने आएंगे, लेकिन अभी के हालात ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।