Ranchi Controversy: राजनीति विभाग की पूर्व अध्यक्ष ने कुलाधिपति से न्याय की गुहार लगाई
रांची विश्वविद्यालय की पूर्व राजनीति विभाग अध्यक्ष रानी प्रगति प्रसाद ने कुलाधिपति से पत्र लिखकर अपने अपमान और पदावनति के खिलाफ न्याय की मांग की। पढ़ें पूरी कहानी।
रांची। रांची विश्वविद्यालय में इन दिनों एक विवाद ने तूल पकड़ लिया है। राजनीति विभाग की पूर्व प्रभारी अध्यक्ष डॉ. रानी प्रगति प्रसाद ने कुलाधिपति सह राज्यपाल को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बिना किसी कारण बताये उनके पदावनति कर कॉलेज में तबादला करने की कार्रवाई को लेकर रोष जताया है। उन्होंने इसे न केवल अपमानजनक बल्कि दंडात्मक कार्रवाई भी बताया और इस पर रोक लगाने की गुहार लगाई।
कुलपति पर आरोप
डॉ. रानी प्रगति प्रसाद ने पत्र में आरोप लगाया कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई कुछ निहित स्वार्थ से प्रेरित लोगों की साजिश का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जब वे प्रभारी विभागाध्यक्ष के पद पर थीं, तो कुछ लोगों की मनमानी और अनियमितताओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन लोगों ने अपनी ऊंची पहुंच के बल पर उनके आदेशों की अवहेलना की। परिणामस्वरूप, उनका तबादला कर दिया गया।
- उन्होंने इस साजिश में डॉ. दीपेंद्र कुमार त्रिपाठी, डॉ. सरिता कुमारी और डॉ. श्वेता सिंह के नामों का उल्लेख किया।
- डॉ. प्रसाद ने सवाल उठाया कि इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें कोई नोटिस तक नहीं दिया गया और बिना कारण बताये कार्रवाई की गई।
नए प्रभारी विभागाध्यक्ष की योग्यता पर सवाल
डॉ. प्रसाद ने अपने स्थान पर नियुक्त बागेश चंद्र वर्मा की योग्यता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार, विभागाध्यक्ष पद के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य होती है। लेकिन इस मामले में, बागेश चंद्र वर्मा, जो न केवल उनसे कनीय हैं बल्कि पीएचडी डिग्री भी नहीं रखते, उन्हें विभाग का प्रभारी बनाया गया है।
- डॉ. प्रसाद ने इसे नियमों का उल्लंघन करार दिया और पूछा कि क्यों उनके स्थानांतरण से पहले उन्हें कारण बताने का अवसर नहीं दिया गया।
उपचारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता
डॉ. रानी प्रगति प्रसाद ने इस पत्र के माध्यम से कुलाधिपति सह राज्यपाल से आग्रह किया कि उनके खिलाफ की गई दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए।
- उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया से उन्हें न केवल व्यक्तिगत बल्कि पेशेवर रूप से भी नुकसान हुआ है।
- रांची विश्वविद्यालय में इस तरह की घटनाएं शिक्षा जगत में असंतोष और भ्रम पैदा करती हैं।
रांची विश्वविद्यालय और राजनीति विभाग का इतिहास
रांची विश्वविद्यालय का राजनीति विभाग कई दशकों से शैक्षणिक और शोध कार्यों में अग्रणी रहा है। यहां के शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने राज्य के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर कई महत्वपूर्ण अध्ययन किए हैं।
- इस विभाग का नेतृत्व करने वाले कई प्रोफेसर और अध्यक्ष अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए मशहूर रहे हैं।
- लेकिन इस तरह की घटनाएं विभाग और विश्वविद्यालय की छवि पर नकारात्मक असर डालती हैं।
डॉ. रानी प्रगति प्रसाद का मामला रांची विश्वविद्यालय में प्रशासनिक और अकादमिक प्रबंधन पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या यह कार्रवाई नियमों के अनुरूप थी या इसका उद्देश्य कुछ विशेष था? कुलाधिपति सह राज्यपाल की ओर से इस मामले पर जल्द ही कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।
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