Raghubar Das new inning in Active Politics: क्या बेटा संभालेगा राजनीतिक विरासत?
झारखंड की राजनीति में रघुबर दास फिर से सक्रिय होने की तैयारी में हैं। बेटे लालित दास के राजनीति में आने की चर्चा जोरों पर है। पढ़ें, आगे की रणनीति।
Raghubar Das new inning in Active Politics: क्या बेटा संभालेगा राजनीतिक विरासत?
झारखंड की राजनीति में हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, जो हाल ही में ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर चर्चा में आए है , अब अपनी अगली राजनीतिक रणनीति तैयार कर रहे हैं।
पूर्णिमा दास का विधानसभा चुनाव और परिवार की रणनीति
रघुबर दास की बहू पूर्णिमा दास विधान सभा चुनाव जीत कर , उनकी पारंपरिक राजनीतिक जमीन को फिर से मजबूत किया है। झारखंड के चुनावी परिदृश्य में, उनका उभरता हुआ राजनीतिक चेहरा परिवार की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पूर्णिमा का प्रभाव न केवल क्षेत्रीय स्तर पर दिख रहा है, बल्कि इससे रघुबर दास की राजनीतिक संभावनाओं को भी बल मिला है।
रघुबर दास की खुशी इस बात से जाहिर होती है कि उनकी राजनीतिक विरासत अब उनके परिवार के हाथों में सुरक्षित हो रही है। वह खुले तौर पर कह चुके हैं कि उनका बेटा ललित दास राजनीति में शानदार काम कर सकता है।
ललित दास का राजनीति में पदार्पण: भविष्य के संकेत
ललित दास, जो अब तक पृष्ठभूमि में काम कर रहे थे, जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बड़े मंच पर सक्रिय हो सकते हैं। रघुबर दास के बेटे के राजनीति में आने से यह सवाल उठता है कि क्या वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने में सफल होंगे?
ऐतिहासिक रूप से देखें तो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, राज्य के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री थे। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रबंधन कौशल के बल पर भाजपा को झारखंड में एक मजबूत आधार दिया। अगर ललित राजनीति में आते हैं, तो उन्हें अपने पिता की छवि और राजनीतिक विरासत का लाभ मिल सकता है।
जमशेदपुर सीट पर कब्जा: भाजपा की अगली रणनीति
झारखंड की राजनीति में जमशेदपुर सीट भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रही है। रघुबर दास इस सीट से लगातार पांच बार विधायक रहे और मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय किया। अब सवाल यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा इस सीट के लिए किसे उम्मीदवार बनाएगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि जमशेदपुर से भाजपा टिकट पर दावा करने वाले रघुबर दास या पार्टी नेतृत्व किसी अन्य नाम पर सहमति बनाते हैं।
राजनीतिक विरासत और परिवारवाद का दौर
भारतीय राजनीति में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है। नेहरू-गांधी परिवार से लेकर यादव परिवार तक, कई नेताओं ने अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में उतारा है। रघुबर दास का यह कदम भी उसी दिशा में देखा जा सकता है।
हालांकि, यह भी सच है कि झारखंड में भाजपा के अंदर गुटबाजी और आंतरिक संघर्ष के चलते टिकट वितरण में संतुलन बनाना एक चुनौती होगा।
स्वास्थ्य और राजनीति: रघुबर दास की फिटनेस का रहस्य
यह जानना रोचक है कि 69 वर्षीय रघुबर दास अपनी उम्र के बावजूद सक्रिय और ऊर्जावान हैं। उनकी फिटनेस और मानसिक मजबूती का श्रेय उनकी नियमित दिनचर्या और खेल-कूद के प्रति झुकाव को जाता है।
मेडिकल शोध के अनुसार, स्वस्थ शरीर और सक्रिय जीवनशैली किसी भी नेता को लंबे समय तक राजनीति में टिकने में मदद करती है। रघुबर दास इस बात का जीवंत उदाहरण हैं।
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