Saraikela Shocker – शिक्षा विभाग के अफसर ने स्कूल की प्रधानाचार्य को दी धमकी, शिक्षकों में दहशत!
सरायकेला के स्कूल में डीईओ के धमकी से प्रधानाचार्य की तबीयत बिगड़ी! जानें क्या है विवाद और किस वजह से स्कूल में डर का माहौल है।
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सरायकेला: झारखंड के सरायकेला जिले के एनआर गवर्नमेंट सीएम एक्सीलेंस स्कूल में एक विवाद ने शिक्षकों और प्रधानाचार्य को सकते में डाल दिया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) संतोष कुमार गुप्ता के व्यवहार ने स्कूल के माहौल को तनावपूर्ण बना दिया, जिससे प्रभारी प्रधानाचार्य अंबिका प्रधान तक की तबीयत बिगड़ गई और वह मूर्छित हो गईं।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, डीईओ साहब ने बगैर स्कूल की प्रभारी प्रधानाचार्य की सहमति के 10 शिक्षकों की सेवा पुस्तिका पर हस्ताक्षर कर दिए। यह हस्ताक्षर बैक डेट में किए गए थे, जो कि प्रभारी प्रधानाचार्य को स्वीकार्य नहीं था। उन्होंने बैक डेट में हस्ताक्षर करने से मना कर दिया और कहा कि इसे सरकारी आदेश के तहत ही किया जाना चाहिए।
- इसके बाद गुस्साए डीईओ शुक्रवार को स्कूल पहुंचे और प्रभारी प्रधानाचार्य को खूब खरी-खोटी सुनाई।
- डीईओ ने उन्हें धमकी दी कि वह उन्हें प्रभार से मुक्त भी कर सकते हैं।
प्रधानाचार्य की तबीयत बिगड़ी
डीईओ का गुस्सा और धमकी से प्रभारी प्रधानाचार्य अंबिका प्रधान इतनी परेशान हो गईं कि वह मूर्छित होकर गिर पड़ीं।
- स्कूल में मौजूद शिक्षकों ने पानी के छींटे डालकर उन्हें होश में लाया।
- इस घटना के बाद स्कूल में डर का माहौल बन गया है, क्योंकि शिक्षकों को भी डर है कि कब उनकी बारी आ जाए।
प्रभारी प्रधानाचार्य की सफाई
अंबिका प्रधान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से डीईओ साहब शिक्षकों की सेवा पुस्तिका पर बैक डेट में हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बना रहे थे।
- गुरुवार को भी उन्होंने फोन पर उन्हें भला-बुरा कहा और आज स्कूल आकर धमकी दी कि शाम तक हस्ताक्षर करवा ही लेंगे।
- उन्होंने आरोप लगाया कि डीईओ ने उनकी सहमति के बिना 10 शिक्षकों के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
- जब उन्होंने कहा कि इसे सरकारी आदेश से किया जाए, तो डीईओ भड़क उठे और उनके साथ बदतमीजी करने लगे।
डीईओ का पक्ष जानने की कोशिश
इस मामले में जब डीईओ संतोष कुमार गुप्ता से संपर्क किया गया और उनका पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर कॉल की गई, तो कॉल नहीं उठाई गई और घंटी बजती रही।
- सूत्रों के मुताबिक, डीईओ साहब के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी पहुंच काफी ऊपर तक है, और इसलिए शिक्षक उनसे डरते हैं।
कर्मचारी अपनी नौकरी को लेकर डर रहे हैं
सूत्रों से यह भी पता चला है कि डीईओ की कार्यशैली के कारण स्कूल के शिक्षक और शिक्षिकाएं मानसिक दबाव में हैं, क्योंकि कभी भी उन पर गाज गिर सकती है।
- कई शिक्षकों ने यह भी कहा कि वे कई बार डीईओ से अनावश्यक दबाव महसूस कर चुके हैं, और ऐसे हालात में काम करना उनके लिए मुश्किल हो गया है।
अब क्या होगा?
- इस विवाद के बाद सवाल उठते हैं कि क्या शिक्षा विभाग में कार्यवाही होगी या इस मामले को दबा दिया जाएगा।
- प्रधानाचार्य और शिक्षकों को इस स्थिति में राहत मिलेगी या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल स्कूल के कर्मचारियों में डर और तनाव का माहौल है।
यह घटना शिक्षा विभाग में व्याप्त दबाव और अनियमितताओं का एक उदाहरण है, जो न केवल शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है, बल्कि विद्यालयों में काम करने का माहौल भी प्रभावित करता है। डीईओ के इस व्यवहार पर विचार किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षकों को स्वतंत्र रूप से अपनी जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिले, और शिक्षा क्षेत्र में कार्यशैली में पारदर्शिता आए।
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