Palamu Crime: पुलिस ने खोला ब्लाइंड केस का राज, कार लूट की साजिश का पर्दाफाश!
पलामू पुलिस ने कार लूट और हत्या की कोशिश जैसे ब्लाइंड केस का 23 दिन में खुलासा किया। तीन आरोपी गिरफ्तार, कार और मोबाइल बरामद। जानें कैसे पेट्रोलिंग ने बचाई चालक की जान।

पलामू पुलिस ने एक ऐसी सनसनीखेज वारदात का राज़ खोला है जिसने 23 दिनों तक इलाके के लोगों को दहशत में रखा। मामला एक कार लूट की कोशिश का है, जिसमें चालक विनय कुमार पर न सिर्फ हमला किया गया बल्कि उसे मौत के घाट उतारने की कोशिश भी की गई। हालांकि, पुलिस की सक्रियता और गहन जांच ने इस ब्लाइंड केस को सुलझा दिया और तीन आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
घटना कैसे हुई?
यह पूरी वारदात 31 अगस्त और 1 सितंबर की रात पाटन थाना क्षेत्र में घटी। हैदरनगर निवासी विनय कुमार अपनी अर्टिगा कार से निकल रहे थे। पड़वा मोड़ पर उनकी मुलाकात कुछ युवकों से हुई, जिन्होंने पहले दोस्ती और शराब का लालच दिया। शराब के नशे में विनय उन पर भरोसा कर बैठा।
लेकिन जैसे ही वे पाटन की ओर बढ़े, रास्ते में आरोपियों ने अचानक ब्लेड से हमला कर दिया। गले और शरीर पर गहरे वार कर कार छीनने की कोशिश की गई।
पुलिस की पेट्रोलिंग बनी ढाल
योजना साफ थी—कार लूटकर फरार होना। मगर किस्मत ने साथ नहीं दिया। किशुनपुर ओपी की पुलिस टीम उस रात पेट्रोलिंग पर थी। यही वजह रही कि आरोपी कार लेकर भाग नहीं पाए और घायल अवस्था में विनय को वहीं छोड़कर केवल मोबाइल और नकदी लूटकर फरार हो गए।
पुलिस की सफलता
पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले का खुलासा किया।
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पुलिस ने पहले तकनीकी निगरानी और गुप्त सूचना का सहारा लिया।
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मंगलवार को मुख्य आरोपी अमित कुमार दुबे उर्फ राजकमल दुबे (28) को गिरफ्तार किया गया।
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उसकी निशानदेही पर दो अन्य आरोपी गोलू कुमार (18) और विकास कुमार (19) को भी दबोच लिया गया।
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वारदात में इस्तेमाल मोटरसाइकिल और लूटा गया मोबाइल फोन भी बरामद हुआ।
आरोपी कौन हैं?
मुख्य आरोपी अमित दुबे का आपराधिक इतिहास पुराना है। पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि उसके खिलाफ पहले से हत्या समेत दो गंभीर मामले दर्ज हैं। यह गिरफ्तारी केवल एक केस का समाधान नहीं बल्कि इलाके के लोगों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि लंबे समय से वह अपराध की दुनिया में सक्रिय था।
अपराध का इतिहास और ब्लाइंड केस
भारतीय पुलिस इतिहास में "ब्लाइंड केस" का मतलब होता है जब अपराध तो हो जाता है, लेकिन प्रत्यक्ष गवाह, ठोस सुराग या सीसीटीवी जैसी तकनीकी मदद उपलब्ध नहीं होती।
पलामू पुलिस ने जिस तरह 23 दिनों में इस मामले को सुलझाया, यह झारखंड पुलिस की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
अगर हम पीछे देखें तो झारखंड और बिहार की सीमावर्ती इलाकों में अपराधियों द्वारा कार लूट और हाईवे क्राइम कोई नई बात नहीं है। 90 के दशक से इन इलाकों में ऐसे अपराध अक्सर सुर्खियां बनते रहे हैं। लेकिन अब तकनीक और सख्त पेट्रोलिंग के कारण पुलिस की पकड़ पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है।
समाज पर असर
यह घटना केवल एक लूट की कोशिश नहीं बल्कि समाज में उस मानसिकता को भी उजागर करती है जिसमें युवा अपराध के रास्ते पर चलकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। 18 और 19 साल की उम्र में गोलू और विकास जैसे आरोपी अगर अपराध से दूर रहते तो उनका भविष्य उज्ज्वल होता।
आगे क्या?
पुलिस अब आरोपियों के खिलाफ हत्या की कोशिश, लूट और आपराधिक साजिश के तहत केस चला रही है। एसपी ने साफ कहा है कि अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
इलाके के लोग भी अब उम्मीद कर रहे हैं कि इस केस से पुलिस और अधिक सतर्क होगी और पेट्रोलिंग व्यवस्था और मजबूत बनाई जाएगी, ताकि रात में सफर करने वाले लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।
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