Netarhat Suspension: अनुशासनहीनता के आरोप में नेतरहाट स्कूल के 3 शिक्षक सस्पेंड, सोशल मीडिया से लेकर मंत्री तक पहुंचा मामला!

नेतरहाट विद्यालय में अनुशासनहीनता का मामला सामने आया, जहां तीन सीनियर शिक्षक सस्पेंड कर दिए गए। जानिए क्या है पूरा विवाद, कौन हैं आरोपी और कैसे पहुंची बात सोशल मीडिया और मंत्रियों तक।

Apr 9, 2025 - 19:23
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Netarhat Suspension: अनुशासनहीनता के आरोप में नेतरहाट स्कूल के 3 शिक्षक सस्पेंड, सोशल मीडिया से लेकर मंत्री तक पहुंचा मामला!
Netarhat Suspension: अनुशासनहीनता के आरोप में नेतरहाट स्कूल के 3 शिक्षक सस्पेंड, सोशल मीडिया से लेकर मंत्री तक पहुंचा मामला!

झारखंड का गौरव कहे जाने वाले नेतरहाट आवासीय विद्यालय इस बार अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के बजाय अनुशासनहीनता के गंभीर आरोपों को लेकर चर्चा में है।
लातेहार जिले के घने जंगलों के बीच बसा यह विद्यालय देशभर में अपनी अनुशासनप्रियता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जाना जाता है। लेकिन अब तीन सीनियर शिक्षकों को निलंबित कर देने की खबर ने सबको चौंका दिया है।

विद्यालय की प्रबंधन समिति के सभापति संतोष उरांव ने इस कार्रवाई की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि तीनों शिक्षकों पर गंभीर आरोप हैं, जिसमें प्रोटोकॉल तोड़ना, सोशल मीडिया पर न्यायालय में लंबित मामलों को सार्वजनिक करना और अधिकारियों से मनमानी मुलाकातें करना शामिल है।

 कौन हैं निलंबित शिक्षक?

निलंबित शिक्षकों में शामिल हैं:

  • रवि प्रकाश सिंह

  • राकेश कुमार

  • अतुल रंजन एक्का

इन तीनों शिक्षकों पर विद्यालय के अनुशासन और गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं।
जहां रवि प्रकाश सिंह पर बिना अनुमति वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों से व्यक्तिगत मुलाकात करने का आरोप है, वहीं राकेश कुमार और अतुल रंजन एक्का पर सोशल मीडिया पर कोर्ट केस से जुड़े मामलों को पोस्ट करने और उस पर अनुचित टिप्पणियां करने के आरोप हैं।

सोशल मीडिया से मंत्री तक – कैसे भड़का मामला?

नेतरहाट जैसे अनुशासन-केंद्रित संस्थान में यह घटना एक बड़े झटके की तरह आई है।
बताया गया कि रवि प्रकाश सिंह ने बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के मंत्री और अन्य उच्च अधिकारियों से मुलाकात की, जो सीधे तौर पर स्कूल प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।
इस बीच, राकेश और अतुल ने कोर्ट में लंबित एक संवेदनशील मुद्दे पर फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर पोस्ट डालकर टिप्पणी की, जिससे न सिर्फ संस्थान की छवि पर असर पड़ा, बल्कि मामले की निष्पक्षता पर भी सवाल उठे।

नेतरहाट की ऐतिहासिक छवि और अब की चुनौती

1954 में स्थापित नेतरहाट विद्यालय को कभी "पूर्व का ईटन" (Eton of the East) कहा जाता था।
इस विद्यालय ने वर्षों तक झारखंड और बिहार से निकलकर देश के प्रशासनिक ढांचे में सर्वश्रेष्ठ अफसर दिए हैं।
यहां का अनुशासन, दिनचर्या और शिक्षक-विद्यार्थी संबंध देशभर में मिसाल रहे हैं।

लेकिन हालिया विवाद ने इन मूल्यों को झकझोर दिया है।

 जांच जारी, और भी खुलासे संभव

विद्यालय प्रबंधन ने साफ किया है कि यह सिर्फ निलंबन की कार्रवाई नहीं है, बल्कि आंतरिक जांच समिति भी गठित की गई है।
जांच पूरी होने के बाद इन शिक्षकों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि क्या अन्य शिक्षक या कर्मचारी भी इस प्रकरण में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हैं

क्या इससे नेतरहाट की छवि को झटका लगा?

नेतरहाट की प्रतिष्ठा वर्षों की मेहनत और गुणवत्ता पर टिकी रही है।
लेकिन यह घटना बताती है कि सोशल मीडिया की ताकत और अनुशासनहीनता का मेल कितना घातक हो सकता है।
शिक्षकों की भूमिका सिर्फ शिक्षण तक सीमित नहीं, बल्कि वे संस्थान की संस्कृति के संरक्षक भी होते हैं।

नेतरहाट का यह विवाद एक गहरी सोच की मांग करता है – क्या शिक्षक भी सोशल मीडिया के सामने विवेक खो रहे हैं?
और क्या इतने बड़े शिक्षण संस्थानों में अब डिजिटल अनुशासन नीति बनाना समय की मांग है?

सरकार, प्रशासन और शिक्षा विभाग के लिए यह एक चेतावनी है कि गुणवत्ता सिर्फ किताबों में नहीं, व्यवहार में भी दिखनी चाहिए।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।