Bokaro Tragedy: महुआ चुनते वक्त गिरी बिजली, 8 बच्चों की मां की दर्दनाक मौत!
बोकारो के गोमिया में महुआ चुनते वक्त दंपती पर गिरा आकाशीय बिजली का कहर। पत्नी की मौके पर मौत, पति गंभीर रूप से घायल। जानिए कैसे हुआ दर्दनाक हादसा।

झारखंड के बोकारो जिले में बुधवार की सुबह एक आम दिन की तरह शुरू हुई थी, लेकिन गोमिया प्रखंड के खर्चा बेड़ा गांव में अचानक घटी एक दर्दनाक घटना ने सबको हिला कर रख दिया। महुआ चुनने गए एक दंपती पर आकाशीय बिजली गिरने से जहां पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं पति भी गंभीर रूप से झुलस गया। मृत महिला की पहचान 33 वर्षीय अनीता देवी के रूप में हुई है, जो 5 बेटियों और 3 बेटों की मां थीं।
महुआ चुनते-चुनते आई कुदरती कहर
सुबह करीब 10 बजे, लालजी मांझी और उनकी पत्नी अनीता देवी गांव के बाहर एक मैदान में महुआ बीनने के लिए निकले थे। यह उनके रोज़ के जीवन का हिस्सा था। महुआ झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में आजीविका का एक बड़ा स्रोत है, जिसे लोग मार्च से अप्रैल तक जंगलों से चुनते हैं और बाजार में बेचते हैं। लेकिन बुधवार की सुबह यह साधारण-सी दिनचर्या एक असाधारण त्रासदी में बदल गई।
तेज गर्जना और बिजली की चमक के साथ अचानक वज्रपात हुआ और पेड़ के नीचे खड़ी अनीता देवी बेहोश होकर ज़मीन पर गिर पड़ीं। उनके पति लालजी मांझी भी बिजली की चपेट में आकर वहीं गिर पड़े। कुछ मिनटों बाद जब लालजी को होश आया, तो उन्होंने अनीता को संभालते हुए घसीटकर घर तक लाया, और फिर आनन-फानन में गोमिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। लेकिन वहां डॉक्टरों ने अनीता देवी को मृत घोषित कर दिया।
गांव में पसरा मातम, 8 बच्चों का टूटा सहारा
घटना की खबर जैसे ही गांव में फैली, शोक की लहर दौड़ गई। अनीता देवी न सिर्फ एक मां थीं, बल्कि अपने परिवार का आर्थिक सहारा भी थीं। उनके असमय निधन से 8 बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा है। पति लालजी मांझी अब भी सदमे में हैं, और इलाज के लिए भर्ती हैं।
प्रशासन मौके पर, मुआवजे का भरोसा
जानकारी मिलते ही प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) महादेव कुमार महतो और ग्राम मुखिया मो. रियाज अस्पताल पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सांत्वना दी और बताया कि सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन राहत कोष से सहायता राशि दिलाई जाएगी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर तेनुघाट अनुमंडलीय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
इतिहास गवाह है, बिजली गिरना अब बनता जा रहा जानलेवा
भारत में हर साल हजारों लोगों की मौत आकाशीय बिजली गिरने से होती है। झारखंड, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में यह प्राकृतिक आपदा अब मानव जीवन पर सीधा खतरा बनती जा रही है। अकेले झारखंड में 2023 में बिजली गिरने से 200 से अधिक मौतें दर्ज की गई थीं। इसका मुख्य कारण है बढ़ता वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और आकस्मिक मौसम बदलाव।
सावधानी जरूरी है
विशेषज्ञों की मानें तो बारिश या गरजते मौसम में पेड़ के नीचे खड़ा होना खतरनाक हो सकता है। बिजली अक्सर ऊंची वस्तुओं को अपना निशाना बनाती है, और पेड़ इसके लिए सबसे आसान लक्ष्य होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाना और बिजली चेतावनी सिस्टम लागू करना बेहद जरूरी है।
क्या कहता है कानून?
आपदा प्रबंधन अधिनियम के अनुसार, प्राकृतिक आपदा में मृत्यु होने पर परिवार को ₹4 लाख तक की राहत राशि दी जाती है। बीडीओ महादेव महतो ने पुष्टि की है कि अनीता देवी के परिजनों को यह राशि जल्द दिलवाई जाएगी। इसके अलावा बच्चों की शिक्षा और देखभाल के लिए भी अलग से सहायता की सिफारिश की जाएगी।
बोकारो की यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि सैकड़ों ग्रामीण परिवारों की चिंता है जो हर दिन प्रकृति की मार के बीच जीने को मजबूर हैं। अब सवाल यह है कि क्या सरकार सिर्फ मुआवज़ा देकर चुप रहेगी, या ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए कोई स्थायी कदम उठाएगी?
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