Jamshedpur Raid: जाली सर्टिफिकेट के धंधे का पर्दाफाश, विदेश भेजने के नाम पर चल रहा था फर्जीवाड़े का कारखाना!
जमशेदपुर में जिला प्रशासन ने एक दुकान पर मारा छापा, जहां से मिले सैकड़ों फर्जी सर्टिफिकेट। विदेश भेजने के नाम पर चल रहा था बड़ा रैकेट। जानिए कैसे होता था फर्जीवाड़ा।

जमशेदपुर शहर के बीचों-बीच बुधवार को एक ऐसा खुलासा हुआ जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। मानगो थाना क्षेत्र के जवाहर नगर रोड नंबर 6 में स्थित एक दुकान पर जब जिला प्रशासन की टीम ने छापा मारा, तो वहां से सैकड़ों की संख्या में नकली सर्टिफिकेट, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए।
इस कार्रवाई का नेतृत्व कर रही थीं धालभूम की एसडीओ शताब्दी मजुमदार, जिनके नेतृत्व में पूरी टीम ने दुकान का कोना-कोना खंगाल डाला। जिस दुकान पर यह छापेमारी हुई, उसका नाम था "ओसम रिसोर्सेस" — लेकिन इसके अंदर चल रहा कारोबार किसी रिसोर्स का नहीं बल्कि फर्जीवाड़े के साम्राज्य का था।
पहले भी मिली थीं शिकायतें
सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि इस दुकान से जाली प्रमाण पत्र बनवाए जाते हैं, जिनका उपयोग कर युवाओं को विदेशों में नौकरी दिलाई जाती थी। यानी एक तरह से यह दुकान सिर्फ फर्जी सर्टिफिकेट नहीं, बल्कि झूठे सपनों का सौदा कर रही थी।
युवाओं को लालच देकर फर्जी डिप्लोमा, डिग्री, अनुभव प्रमाण पत्र बनवाए जाते थे, जिससे वे विदेशों में किसी कंपनी में नौकरी पाने की पात्रता साबित कर सकें। लेकिन असलियत में यह पूरी प्रक्रिया एक बड़े स्कैम की तरह थी, जहां न सिर्फ युवा ठगे जा रहे थे, बल्कि विदेशों में भारत की छवि भी धूमिल हो रही थी।
इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की जांच शुरू
एसडीओ शताब्दी मजुमदार ने बताया कि दुकान से कई कंप्यूटर, हार्ड डिस्क, प्रिंटर, सीडी और दस्तावेज बरामद किए गए हैं। सभी को जब्त कर लिया गया है और डिजिटल फोरेंसिक टीम को सौंप दिया गया है। यह देखा जा रहा है कि अब तक कितने लोगों को इस जाल में फंसाया गया, और कितने सर्टिफिकेट बाहर भेजे जा चुके हैं।
क्या है फर्जी सर्टिफिकेट रैकेट का इतिहास?
जमशेदपुर और इसके आसपास के इलाकों में फर्जी दस्तावेज बनाने की घटनाएं नई नहीं हैं। इससे पहले भी मानगो के आजाद नगर क्षेत्र में पूर्व एसडीओ पारुल सिंह ने भी एक व्यक्ति को घर में ही नकली सर्टिफिकेट बनाते पकड़ा था। इससे यह बात साफ हो जाती है कि यह कोई अकेला मामला नहीं, बल्कि एक संगठित रैकेट है जो सालों से पनप रहा है।
विदेश भेजने के नाम पर ठगी
ऐसे रैकेट्स खासकर उन युवाओं को निशाना बनाते हैं जो विदेश जाकर काम करने के इच्छुक होते हैं। इन्हें नकली अनुभव प्रमाण पत्र और कोर्स सर्टिफिकेट थमाकर, एजेंट्स के ज़रिए वीज़ा प्रक्रिया तक में मदद का झांसा दिया जाता है। कई बार तो इन सर्टिफिकेट्स के दम पर फर्जीवाड़ा विदेशों में भी पकड़ में आ जाता है, जिससे युवाओं की गिरफ्तारी और डिपोर्टेशन की नौबत आ जाती है।
प्रशासन सख्त, जल्द होंगी गिरफ्तारियां
एसडीओ मजुमदार ने कहा कि इस मामले में कई लोगों की संलिप्तता सामने आ रही है और जल्द ही गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस तरह के और भी अड्डे शहर में सक्रिय हो सकते हैं, जिन पर अगले कुछ दिनों में ताबड़तोड़ छापेमारी होगी।
जनता से की अपील
प्रशासन ने जनता से अपील की है कि यदि किसी को इस तरह के फर्जी प्रमाण पत्र या नौकरी दिलाने के नाम पर ठगे जाने का अनुभव हुआ हो, तो वह तुरंत जिला प्रशासन से संपर्क करे। क्योंकि जितनी जल्दी यह रैकेट तोड़ा जाएगा, उतना ही अधिक युवाओं को ठगे जाने से बचाया जा सकेगा।
जमशेदपुर में उजागर हुआ यह मामला सिर्फ फर्जी सर्टिफिकेट का नहीं, बल्कि एक पूरे नेटवर्क का खुलासा है जो युवाओं के भविष्य से खेल रहा है। प्रशासन ने भले ही एक दुकान पर छापा मारा हो, लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत है। अब देखना होगा कि कितने और चेहरे इस फर्जीवाड़े के पीछे छिपे हुए हैं।
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