Bokaro Clash: विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ FIR, जयराम महतो बोले- “झारखंड में कोई नहीं रोक सकता मुझे”
बोकारो में विस्थापित युवक की मौत के बाद मचा राजनीतिक बवाल। विधायक जयराम महतो ने विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ जान से मारने की धमकी और गाड़ी पर हमले का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई। जानिए पूरा घटनाक्रम।

बोकारो में विस्थापित युवक की संदिग्ध मौत के बाद शुरू हुआ राजनीतिक तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा। 3 अप्रैल 2025 को हुए इस घटनाक्रम में अब एक नया मोड़ आ गया है। डुमरी से निर्दलीय विधायक और झारखंड पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जयराम महतो ने बोकारो विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी है।
एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 131/191/190/126(2)/115(2)/324(2) के तहत मामला दर्ज हुआ है, जो देशद्रोह, झूठे बयान, साजिश और शारीरिक हमला जैसे गंभीर आरोपों से जुड़ी हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला?
7 अप्रैल 2025 को दर्ज एफआईआर में जयराम महतो ने दावा किया कि वे बोकारो में प्रदर्शन कर रहे विस्थापित युवाओं से मिलने पहुंचे थे, जिनमें से एक युवक प्रेम प्रसाद की मौत लाठीचार्ज में हो गई थी। पहले वे बीजीएच (बोकारो जनरल हॉस्पिटल) जाकर मृतक के परिजनों से मिले और फिर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे।
उनका कहना है कि जैसे ही वे वहां पहुंचे, पहले से मौजूद विधायक श्वेता सिंह और उनके समर्थकों ने उन्हें घेर लिया और यह कहते हुए धमकाया कि "तुम बोकारो के विधायक नहीं हो, यहां क्यों आए हो?"
“जान से मारने की धमकी दी और गाड़ी पर किया हमला”
एफआईआर में यह भी दर्ज है कि श्वेता सिंह के समर्थकों ने न सिर्फ उन्हें जान से मारने की धमकी दी, बल्कि उनकी गाड़ी पर भी हमला किया। हमले में गाड़ी की नेम प्लेट और नंबर प्लेट टूट गई।
जयराम महतो का आरोप है कि यह हमला पूर्व नियोजित था और इसका मकसद उन्हें प्रदर्शन स्थल से हटाना था ताकि वे मृतक के परिजनों और युवाओं की आवाज़ नहीं उठा सकें।
“झारखंड में किसी की ताकत नहीं जो मुझे रोक सके” – जयराम महतो
इस हमले के बाद भी जयराम महतो पीछे नहीं हटे। उनका बयान भी उतना ही तीखा था जितना कि घटना। उन्होंने कहा:
“मैं पहले पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष हूं, बाद में विधायक। झारखंड में किसी की ताकत नहीं है जो मुझे रोक सके। मैं जहां चाहूं जाऊंगा। अगर मैंने मामला आगे नहीं बढ़ाया, तो इसलिए क्योंकि मेरे लिए एक युवा की मौत और बाकी घायलों की हालत कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।”
उनकी यह प्रतिक्रिया झारखंड की राजनीति में एक नया संदेश देती है कि सत्ताधारी हों या विपक्ष, जब बात जनता की हो तो वह किसी दबाव में नहीं आने वाले।
क्या कहती है राजनीतिक पृष्ठभूमि?
बोकारो और चतरा जैसे औद्योगिक जिलों में विस्थापन और स्थानीय विरोध वर्षों से झारखंड की राजनीति का हिस्सा रहे हैं। पहले भी ऐसे कई आंदोलन देखने को मिले हैं जहां स्थानीय नेताओं को जनता का समर्थन मिला, लेकिन सत्ताधारी नेताओं पर सवाल उठे।
जयराम महतो का उभार खासकर इन मुद्दों पर जनता से सीधे जुड़ाव के कारण हुआ है, वहीं श्वेता सिंह जैसी युवा नेता बीजेपी की प्रतिनिधि मानी जाती हैं, जिनका रुख अक्सर प्रशासनिक समर्थन में देखा गया है।
क्या है आगे की राह?
अब जबकि यह मामला एफआईआर के रूप में दर्ज हो चुका है, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। क्या इस पर कार्रवाई होगी? क्या विधायक श्वेता सिंह पक्ष रखेंगी? या यह मामला भी सत्ता के दबाव में रफा-दफा हो जाएगा?
इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे। लेकिन इतना तय है कि झारखंड की राजनीति में यह मामला आने वाले चुनावी समीकरणों को जरूर प्रभावित करेगा।
बोकारो की यह घटना सिर्फ एक एफआईआर नहीं, बल्कि झारखंड की वर्तमान राजनीति की उस तस्वीर को सामने लाती है जहां जन प्रतिनिधियों की आपसी टकराहट जनता के मुद्दों को कहीं पीछे छोड़ देती है।
अब देखना होगा कि यह मामला जनता की अदालत में किस रूप में जाता है – सच्चाई की जीत होती है या राजनीति की चालें फिर से जनता की आवाज़ को दबा देती हैं।
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