Nawada: E-Rickshaw की भरमार से शहर में जाम, आधे बिना Registration दौड़ रहे

नवादा की सड़कों पर ई-रिक्शा की भरमार, आधे बिना रजिस्ट्रेशन के दौड़ रहे। जानें कैसे बढ़ रही है यातायात की समस्या और प्रशासन की भूमिका।

Dec 11, 2024 - 18:36
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Nawada: E-Rickshaw की भरमार से शहर में जाम, आधे बिना Registration दौड़ रहे
Nawada: E-Rickshaw की भरमार से शहर में जाम, आधे बिना Registration दौड़ रहे

नवादा, बिहार: नवादा जिले की सड़कों पर ई-रिक्शा का अनियंत्रित संचालन लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। लगभग आधे ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, जिससे न केवल यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान हो रहा है।

ई-रिक्शा की भरमार और यातायात पर असर

पिछले एक दशक में नवादा शहर और आस-पास के इलाकों में ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जिले में लगभग 12,000 ई-रिक्शा संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से केवल 6,000 का ही पंजीकरण हुआ है। बिना रजिस्ट्रेशन के ये ई-रिक्शा खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिससे यातायात जाम और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।

डीलरों और प्रशासन की लापरवाही

बगैर रजिस्ट्रेशन वाले ई-रिक्शा की इतनी बड़ी संख्या कहीं न कहीं डीलरों की मनमानी और परिवहन विभाग की लापरवाही को उजागर करती है। प्रशासन द्वारा इनकी कभी गंभीरता से जांच नहीं की गई। हरे रंग की नंबर प्लेट अनिवार्य होने के बावजूद कई ई-रिक्शा बिना नंबर प्लेट के चल रहे हैं।

इतिहास: क्यों बढ़ा ई-रिक्शा का प्रचलन?

ई-रिक्शा की शुरुआत भारत में 2011-12 के दौरान हुई, जब सरकार ने इसे पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से सस्ता परिवहन साधन माना। लेकिन इस क्रांति ने छोटे शहरों में अराजकता को जन्म दिया। बिना नियमों के ई-रिक्शा के संचालन ने शहरों की यातायात व्यवस्था को जटिल बना दिया।

जाम से जूझता नवादा

नवादा के प्रमुख इलाके जैसे प्रजातंत्र चौक, रेलवे स्टेशन, बिजय बाजार, अस्पताल रोड और भगत सिंह चौक जाम के स्थायी अड्डे बन गए हैं। सड़कों के बीचो-बीच खड़े ई-रिक्शा न केवल यातायात बाधित करते हैं, बल्कि पैदल चलने वालों के लिए भी मुश्किलें खड़ी करते हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस के निर्देशों का ई-रिक्शा चालकों पर कोई असर नहीं पड़ता। प्रजातंत्र चौक से लेकर समाहरणालय तक अवैध ठहराव यातायात जाम का मुख्य कारण बन गया है।

आपातकालीन सेवाओं पर असर

जाम की समस्या का सबसे बड़ा नुकसान इमरजेंसी सेवाओं को उठाना पड़ रहा है। एम्बुलेंस और दमकल जैसे वाहन भी जाम में फंस जाते हैं, जिससे समय पर राहत पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।

प्रशासन की नाकामी

ई-रिक्शा के अनियमित संचालन को रोकने के लिए प्रशासन ने कई बार अभियान चलाए, लेकिन इनका असर लंबे समय तक नहीं दिखा। ट्रैफिक पुलिस की तैनाती के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

स्थानीय लोग क्या कह रहे हैं?

शहर के एक दुकानदार ने कहा, "ई-रिक्शा चालकों की मनमानी ने नवादा के जीवन को मुश्किल बना दिया है। छोटे रास्तों पर भी जाम लगना आम बात हो गई है।"

एक अन्य निवासी ने कहा, "हमें नहीं समझ आता कि बिना नंबर प्लेट और रजिस्ट्रेशन के ई-रिक्शा कैसे सड़कों पर चल रहे हैं। प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए।"

प्रशासन को उठाने होंगे ठोस कदम

स्थानीय नागरिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को सख्त जांच अभियान चलाना चाहिए। बिना रजिस्ट्रेशन वाले ई-रिक्शा पर तुरंत प्रतिबंध लगाना और चालकों को यातायात नियमों का प्रशिक्षण देना आवश्यक है।

क्या होगा आगे?

बढ़ती शिकायतों और जनता के दबाव के बीच, प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी होगी। परिवहन विभाग को ई-रिक्शा के संचालन को नियमित करना होगा और अवैध ठहराव पर जुर्माना लगाना होगा।

ई-रिक्शा का बढ़ता प्रचलन नवादा के लिए वरदान से अधिक अभिशाप बन गया है। समय की मांग है कि इसे नियंत्रण में लाया जाए, ताकि यातायात व्यवस्था सुचारू हो सके और नागरिकों को राहत मिल सके।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।