Nawada Celebration: अधिवक्ताओं ने मनाया संविधान दिवस, गोष्ठी में गूंजा संविधान की श्रेष्ठता का संदेश
नवादा व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ताओं ने 75वां संविधान दिवस मनाते हुए विचार गोष्ठी आयोजित की। अधिवक्ताओं ने संविधान को विश्व का सर्वोत्तम और धर्मनिरपेक्ष दस्तावेज बताया।
नवादा के व्यवहार न्यायालय परिसर में 75वां संविधान दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में अधिवक्ताओं ने भारतीय संविधान की महिमा और इसके धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर चर्चा की।
जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने संविधान को न केवल भारत का, बल्कि विश्व का सर्वोत्तम दस्तावेज बताया।
गोष्ठी के मुख्य बिंदु
गोष्ठी में अधिवक्ताओं ने संविधान की प्रस्तावना और उसके मूलभूत सिद्धांतों को याद किया। पूर्व महासचिव संत शरण शर्मा ने कहा,
"संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि भारतीय समाज की विविधता और एकता का प्रतीक है।"
अनिल कुमार सिंह ने संविधान की धर्मनिरपेक्षता पर जोर देते हुए कहा कि यह सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है और उनके विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
संतोष कुमार कुशवाहा ने न्यायपालिका और अधिवक्ताओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा,
"अधिवक्ता संविधान के रक्षक हैं। हमें इसे हर स्तर पर संरक्षित करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।"
संविधान दिवस: एक ऐतिहासिक झलक
भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।
- 26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया गया, और 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया।
- संविधान निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर को इस दिन विशेष रूप से याद किया जाता है।
- भारतीय संविधान को विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान माना जाता है, जिसमें 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां शामिल हैं।
कार्यक्रम में अधिवक्ताओं की भागीदारी
गोष्ठी में बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद थे। इनमें संतोष कुमार, अखिलेश नारायण, संजय प्रियदर्शी, विजय कुमार, सकलदेव यादव, राम प्रीत सिंह, कुमार चंदन, और अमित कुमार समेत दर्जनों नाम प्रमुख रहे।
सभी अधिवक्ताओं ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया और इसके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया।
अधिवक्ताओं का संदेश
कार्यक्रम के अंत में, जिला अधिवक्ता संघ के सदस्यों ने संविधान की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा,
"संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। इसके बिना देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था संभव नहीं है।"
नवादा की युवा पीढ़ी के लिए संदेश
गोष्ठी के दौरान, युवाओं के प्रति एक विशेष संदेश दिया गया कि वे संविधान के महत्व को समझें और इसके आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध रहें।
कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि आज की पीढ़ी को संविधान की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।
संविधान दिवस का महत्व
संविधान दिवस मनाना न केवल भारतीय संविधान के प्रति सम्मान प्रकट करना है, बल्कि इसके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा भी है।
इस प्रकार के कार्यक्रम देशवासियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाते हैं और उन्हें देश के विकास में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं।
"संविधान दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारे अधिकारों की रक्षा करना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी है अपने कर्तव्यों का पालन करना।"
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