Nawada Shocker: सरकारी एंबुलेंस में जीवन रक्षक दवाइयों की भारी कमी, मरीजों की जान खतरे में
नवादा जिले में सरकारी एंबुलेंस सेवाओं में जीवन रक्षक दवाइयों की गंभीर कमी, मरीजों के लिए खतरे का अलार्म। जानें कैसे यह समस्या मरीजों के जीवन को प्रभावित कर रही है।
नवादा: बिहार के नवादा जिले में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही ने एक बार फिर सबकी चिंताओं को बढ़ा दिया है। जिले के सरकारी अस्पतालों में संचालित एंबुलेंस सेवा में जीवन रक्षक दवाइयों की पूरी तरह से कमी है, जिससे मरीजों की जान पर संकट मंडराने लगा है। यह हाल तब है जब एंबुलेंस को मरीजों की त्वरित और प्रभावी सहायता के लिए जीवन रक्षक माना जाता है।
जिले में 102 नंबर पर संचालित एंबुलेंस सेवा जेनप्लस नामक एजेंसी द्वारा चलायी जाती है। हाल ही में हुई समीक्षा में यह सामने आया कि इन एंबुलेंसों में आवश्यक 38 प्रकार की दवाइयों में से एक भी दवा मौजूद नहीं है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस समस्या के समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, आपातकालीन परिस्थितियों में मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सहायता प्राप्त नहीं हो पाती, और हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
सिविल सर्जन डॉ. नीता अग्रवाल ने भी स्वीकार किया है कि एंबुलेंस सेवा के संचालन में मानकों का पालन नहीं हो रहा है। कई एंबुलेंस तो सड़क पर चलने के लायक नहीं हैं और पंजीयन के मामले में भी कई वाहन फेल हो चुके हैं। ऐसा तब हो रहा है जब राज्य सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा की गारंटी देने का दावा कर रही है।
यह समस्या पिछले कुछ महीनों से लगातार बनी हुई है। जब जेनप्लस एजेंसी ने एंबुलेंस सेवा का जिम्मा लिया, तब से स्थिति और बिगड़ गई है। इससे पहले, एंबुलेंस कर्मचारियों ने मानदेय भुगतान को लेकर हड़ताल की थी, जिसे जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप कर समाप्त कराया था। अब एजेंसी की लापरवाही के कारण मरीजों को चिकित्सा सहायता में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि एंबुलेंस में फर्स्ट एड बॉक्स की स्थिति भी चिंताजनक है। अधिकांश एंबुलेंसों में फर्स्ट एड बॉक्स तो मौजूद है, लेकिन वह खाली पड़ा रहता है। इनमें जीवन रक्षक इंजेक्शनों और दवाइयों की अनुपस्थिति के कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है।
सिविल सर्जन को इस पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है, और स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर, अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी कुछ कदम उठाने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होता, तब तक मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते रहेंगे। यदि ये हालात इसी तरह बने रहे, तो भविष्य में किसी बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इस समस्या का जिम्मेदार मुख्य रूप से जेनप्लस एजेंसी और अस्पताल प्रबंधन है। सरकार और संबंधित विभागों से उम्मीद की जाती है कि वे जल्द ही इस गंभीर मुद्दे का समाधान निकालें, ताकि मरीजों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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