Jamshedpur Uncovered: घाटशिला में स्वास्थ्य उपकेंद्र निर्माण में घटिया सामग्री का भंडाफोड़, जिला परिषद सदस्य ने की कार्रवाई
घाटशिला के आसना में स्वास्थ्य उपकेंद्र निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग का मामला सामने आया। जिला परिषद सदस्य ने संवेदक को चेतावनी दी और गुणवत्तापूर्ण काम की निर्देश दिए। जानिए क्या हुआ उस दिन निरीक्षण में।
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जमशेदपुर: घाटशिला प्रखंड के आसना गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र के निर्माण कार्य में हुए घटिया सामग्री के उपयोग ने स्थानीय लोगों को हिलाकर रख दिया है। शुक्रवार को जिला परिषद सदस्य देवयानी मुर्मू ने इस निर्माण स्थल का निरीक्षण कर उस मामले का पर्दाफाश किया, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी की लहर दौड़ गई।
इस स्वास्थ्य उपकेंद्र के निर्माण कार्य का जिम्मा जिला परिषद पूर्वी सिंहभूम ने 15वें वित्त आयोग की मद से लिया है। लेकिन ग्रामीणों के अनुसार, निर्माण में उपयोग किए जा रहे ईंटों की गुणवत्ता बेहद खराब है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि ये ईंटें हाथ में आते ही टूट जा रही हैं, जिससे भवन की संरचना की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
ग्रामीणों की शिकायत पर जिला परिषद सदस्य देवयानी मुर्मू ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि निर्माण स्थल पर संबंधित योजना का बोर्ड तक नहीं लगाया गया था, और कार्य संवेदक के द्वारा मनमाने तरीके से कराया जा रहा था। उन्होंने मौके पर मौजूद मुंशी को फटकार लगाते हुए तुरंत घटिया सामग्री को हटाने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि यदि कार्य में सुधार नहीं हुआ तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मुंशी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए जिला परिषद सदस्य को आश्वासन दिया कि वे जल्द ही कार्य की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अब से गुणवत्तापूर्ण सामग्री का ही उपयोग किया जाएगा।
ग्रामीणों ने इस समस्या के समाधान के लिए सख्त निगरानी और गुणवत्तापूर्ण निर्माण की मांग की है। वार्ड सदस्य रामचंद्र मार्डी, किशुन टुडू, दारा सिंह मुर्मू, शीलू टुडू, बिक्रम टुडू, दुबई टुडू, संजय टुडू, गाजू टुडू, ठाकुर मुर्मू समेत कई ग्रामीण इस निरीक्षण के दौरान मौजूद थे।
घाटशिला में स्वास्थ्य सेवाओं का महत्व बढ़ते जा रहे हैं, और यह उपकेंद्र ग्रामीणों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है। लेकिन अगर निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह परियोजना भी लोगों के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। इस मामले से स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक परियोजनाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है, ताकि लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
भले ही यह मामला प्रशासन की अनदेखी की ओर इशारा करता हो, लेकिन जिला परिषद की कार्रवाई ने यह दिखा दिया है कि अब भी जनता के हित में कार्रवाई की जा सकती है। आगे भी इस तरह की निगरानी से क्षेत्र में विकास कार्यों की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
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