Palamu: Shelter Home में शोषण का खुलासा, संचालक ने मासूमों से कराए अमानवीय काम
झारखंड के पलामू बालिका गृह में यौन शोषण और अन्य गंभीर आरोपों का खुलासा। संचालक रामप्रताप गुप्ता और काउंसलर प्रियंका गुप्ता पर लगे आरोपों ने मचाई सनसनी। जानिए पूरी कहानी।
झारखंड के पलामू जिले के बालिका गृह में हुए यौन शोषण और अमानवीय कृत्यों का मामला सामने आया है। यह बालिका गृह एक गैर-सरकारी संगठन "विकास इंटरनेशनल" द्वारा संचालित था, जिसके सचिव 72 वर्षीय रामप्रताप गुप्ता पर गंभीर आरोप लगे हैं। उनके साथ काउंसलर प्रियंका गुप्ता को भी इस शर्मनाक घटना में सह-अभियुक्त बनाया गया है।
बालिका गृह में रहने वाली मासूम बच्चियों ने अपनी आपबीती सुनाई, जो प्रशासन और समाज को झकझोर देने वाली है। आरोपों के अनुसार, रामप्रताप बच्चियों को अपने घर बुलाकर उनसे घरेलू काम करवाता था, जिसमें उसकी बीमार पत्नी का डायपर बदलना भी शामिल था। इसके अलावा, बच्चियों ने रामप्रताप पर यौन शोषण और बलात्कार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
कैसे हुआ बच्चियों का मनोवैज्ञानिक शोषण?
जांच में खुलासा हुआ है कि काउंसलर प्रियंका गुप्ता, जो बच्चियों की देखरेख की जिम्मेदारी निभा रही थीं, वही उन्हें रामप्रताप के घर भेजने के लिए तैयार करती थीं। प्रियंका बच्चियों को यह झूठा विश्वास दिलाती थीं कि रामप्रताप उन्हें अच्छे कपड़े और स्वादिष्ट भोजन देगा। इस लालच में बच्चियों को मानसिक रूप से कमजोर कर दिया जाता था।
एक पीड़िता ने बताया कि दीवाली और छठ की रात, रामप्रताप ने उसका यौन शोषण किया। पीड़िता के अनुसार, वह न केवल घरेलू काम करने पर मजबूर थी, बल्कि उसे शारीरिक और मानसिक यातनाओं का भी सामना करना पड़ा।
संदिग्ध मौत और यौन शोषण के गवाह का मामला
बालिका गृह की एक अन्य बच्ची की मौत को भी संदिग्ध बताया गया है। 20 सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति की पलामू जिला उपाध्यक्ष बिमला कुमारी ने इस पर सवाल उठाए हैं।
बिमला ने कहा कि मृत बच्ची मिर्गी की मरीज बताई गई थी, लेकिन वह अपनी बहन के साथ हुए दुष्कर्म की गवाह थी।
इससे यह संदेह गहराता है कि मौत स्वाभाविक नहीं, बल्कि सुनियोजित हो सकती है।
विधायक का बयान: अमानवीय और शर्मनाक घटना
छतरपुर विधायक राधा कृष्ण किशोर ने इस घटना को अत्यंत अमानवीय और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा,
"यह न केवल बालिका गृह की सुरक्षा में कमी को उजागर करता है, बल्कि समाज के संवेदनहीन चेहरे को भी दिखाता है।"
विधायक ने जिला प्रशासन से मांग की कि बालिका गृह की व्यवस्था और सुरक्षा पर गहन जांच हो। साथ ही, इस घटना में दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
क्या प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभाई?
विधायक ने यह भी सवाल उठाए कि बालिका गृह को जिस भवन में संचालित किया जा रहा था, क्या वह प्रशासन द्वारा अनुमोदित था? उन्होंने यह मांग की कि प्रशासन भविष्य में बालिका गृह की सुरक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं का ध्यान रखे।
उन्होंने कहा,
"इस तरह के संस्थानों का उद्देश्य मासूम बच्चियों को सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करना है। यदि यहां अपराध हो रहे हैं, तो यह हमारी सामाजिक और प्रशासनिक विफलता है।"
सरकार का रुख और भविष्य की कार्रवाई
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जिला प्रशासन ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, और सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
बालिका गृह की त्रासदी: एक सबक
पलामू बालिका गृह में हुआ यह अपराध एक बार फिर से हमारे समाज की विफलताओं को उजागर करता है। इन मासूम बच्चियों को संरक्षण और प्यार देने के बजाय उन्हें यातना झेलनी पड़ी।
अब समय है कि समाज और प्रशासन दोनों मिलकर यह सुनिश्चित करें कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। बालिका गृह जैसे संस्थानों को न केवल जांच के दायरे में लाना होगा, बल्कि इनके संचालन में पारदर्शिता और सख्ती भी सुनिश्चित करनी होगी।
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