Moradabad Gathering : गंगा जमुनी तहज़ीब पर आधारित मुशायरा और कवि सम्मेलन
पीपलसाना में फ़राज़ एकेडमी द्वारा आयोजित मुशायरा और कवि सम्मेलन ने गंगा-जमुनी तहज़ीब और अमनो-चैन का संदेश दिया। जानें इस शानदार कार्यक्रम की विशेषताएं और शायरों की प्रस्तुतियां।
मुरादाबाद जिले के पीपलसाना में फ़राज़ एकेडमी द्वारा आयोजित एक बेहतरीन मुशायरा और कवि सम्मेलन ने गंगा-जमुनी तहज़ीब और अमनो-अमान के लिए एक नया आयाम पेश किया। इस कार्यक्रम में देश के अनेक मशहूर शायरों और कवियों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन ने ना केवल साहित्य प्रेमियों को जोड़ा, बल्कि हर दिल को एक दूसरे के करीब लाने का संदेश भी दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत और प्रमुख शायरों की शायरी
कार्यक्रम की शुरुआत नातिया कलाम से फरहत अली फरहत ने की, जबकि सत्यवती सिंह सत्या ने सरस्वती वंदना से शुरुआत की। इसके बाद, बरेली के मशहूर शायर विनय सागर जायसवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर, शायरों और कवियों ने अपनी कविताओं, ग़ज़लों और मुक्तकों के जरिए सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की और अमन-चैन की दुआ की।
यादगार प्रस्तुतियाँ और दिल छूने वाले अल्फाज
कार्यक्रम में फरहत अली फरहत ने अपनी ग़ज़ल पेश की: “खुदा का लेके जो आए पयाम दुनिया में, इन्हीं के बनके रहे हम गुलाम दुनिया में।”
विनय सागर जायसवाल ने अपनी कविता से सबको आकर्षित किया: “मेरे कदम जो रोके हवाओं में दम नहीं, मैं घर से आज निकला हूं मां की दुआ के साथ।”
अमर सिंह बिसेन गोंडवी ने अपनी प्रस्तुति में कहा: “लज्जा को तो ढक सकने में असफल झीना आंचल।”
इस बीच, देश के मशहूर शायर सरफराज हुसैन फ़राज़ ने अपनी ग़ज़ल में भावनाओं का एक अलग ही संसार प्रस्तुत किया: “या खुदा महफूज रखना आशियाने को मेरे, वो गिराते फिर रहे हैं शहर भर में बिजलियां।”
समाज और देश की एकता पर संदेश
कार्यक्रम के दौरान, शायर और कवि नफीस पाशा साहब मुरादाबादी ने अपने कलाम से दर्शकों को यह संदेश दिया कि, “बड़े ग़म हैं ज़िंदगी में, उन्हें कैसे हम छुपाएं। मैं हूं खुश नसीब, साहब, मुझे हरा सकोगे। मेरी मां की, मेरे यारों, मेरे पास हैं दुआएं।”
देश की एकता और भाईचारे के महत्व को रेखांकित करते हुए, अब्दुल हमीद बिस्मिल ने अपने गीत ‘मादरे वतन’ में कहा: “हो न जाएं ये परिंदे बेवतन, जल न जाएं मौसम ए गुल में चमन।”
कार्यक्रम की विशेषताएं
तहसीन मुरादाबादी के ग़ज़ल संग्रह 'ग़ज़ल पाठशाला' का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया, जिसे बरेली के मशहूर शायर विनय सागर जायसवाल ने किया। कार्यक्रम की निजामत सरफराज हुसैन फ़राज़ ने की, जिन्होंने इस मंच को और भी रोचक बना दिया।
यह कार्यक्रम पीपलसाना की सांस्कृतिक विविधता और गंगा-जमुनी तहज़ीब के अद्भुत मेल को प्रदर्शित करता है। इसने न केवल साहित्य प्रेमियों के बीच गहरे रिश्ते को जन्म दिया, बल्कि सामाजिक मेल-जोल और एकता के महत्वपूर्ण संदेश को भी फैलाया।
What's Your Reaction?