रांची (खरसावां गोलीकांड): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नए साल के पहले दिन खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह अवसर खरसावां स्थित शहीद स्मारक में आयोजित हुआ, जहां उन्होंने शहीदों के सम्मान में माल्यार्पण किया। इस समारोह में मुख्यमंत्री ने शहीदों की शहादत को याद करते हुए यह कहा कि खरसावां गोलीकांड आदिवासी समुदाय के हक के लिए संघर्ष और शहादत का प्रतीक है। साथ ही, उन्होंने इसे हमारे ऐतिहासिक संघर्ष का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया, जो आज तक हमें प्रेरणा देता है।
77वीं बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खरसावां गोलीकांड की 77वीं बरसी पर सरायकेला-खरसावां जिला के खरसावां स्थित शहीद पार्क में शहीद स्मारक और वीर शहीद केरसे मुंडा चौक पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने शहीदों की आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके संघर्ष को याद किया। उनका मानना है कि आज हम जो स्वतंत्रता और अधिकार का आनंद ले रहे हैं, वह इन्हीं शहीदों की आत्मोत्सर्ग और संघर्ष का परिणाम है।
आदिवासी समुदाय के संघर्ष का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि खरसावां का शहीद स्मारक आदिवासी समुदाय के हक और अधिकार की रक्षा के लिए किए गए संघर्षों और शहादत का प्रतीक है। उनका कहना था कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों का जीवन हमेशा संघर्षों और समस्याओं से भरा रहा है, और इन संघर्षों की वजह से ही आज हमारी पहचान बनी है। उन्होंने यह भी कहा कि इन शहीद स्थलों का सम्मान हमारी संस्कृति और इतिहास का हिस्सा है, और यह हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
आदिवासियों का प्रकृति से गहरा संबंध
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समुदाय के प्राकृतिक संसाधनों के प्रति गहरे संबंध को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "आदिवासियों का प्रकृति से जुड़ाव सदियों पुराना है। जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए उन्होंने हमेशा संघर्ष किया है। यदि हम उनके पदचिह्नों पर चलते तो शायद आज हमें प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण संकट का सामना न करना पड़ता।"
शहीद स्मारक का पूर्ण विकास
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह खरसावां गोलीकांड के शहीदों के सम्मान में निर्मित शहीद स्मारक के पूर्ण रूप से विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने मंत्री, विधायक और उपायुक्त के साथ बैठक में विकास योजनाओं का विस्तृत खाका तैयार करने का निर्देश दिया। उनका उद्देश्य यह है कि खरसावां शहीद स्मारक को एक ऐसा स्थल बनाया जाए, जो विश्व स्तर पर पहचान प्राप्त करे, और आने वाली पीढ़ी इन वीर शहीदों से भली-भांति परिचित हो।
महत्वपूर्ण नेतागण की उपस्थिति
इस ऐतिहासिक अवसर पर, मंत्री दीपक बिरुवा, मंत्री रामदास सोरेन, सांसद मती जोबा मांझी, विधायक मती कल्पना सोरेन, विधायक दशरथ गगराई, विधायक सुखराम उरांव, विधायक मती सविता महतो, और विधायक जगत मांझी समेत कई विशिष्ट जन उपस्थित थे। इसके अलावा, हजारों की संख्या में लोग शहीद स्थल पर पहुंचे और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
आदिवासी संघर्ष की पहचान
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आदिवासियों का संघर्ष केवल भौतिक अधिकारों के लिए नहीं था, बल्कि यह उनका संस्कृति और अस्तित्व बचाने के लिए था। उन्होंने कहा, "हमारे आदिवासी भाई-बहन न केवल जमीन की रक्षा करते हैं, बल्कि अपने सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को भी बचाने के लिए संघर्ष करते हैं। यही कारण है कि हम इस दिन को हर साल श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाते हैं।"
संघर्ष और भविष्य
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस खरसावां गोलीकांड की घटना हमें यह सिखाती है कि संघर्ष कभी भी खत्म नहीं होता। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने अधिकारों के लिए हमेशा खड़े रहें और संघर्ष करते रहें, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस संघर्ष को याद रखे।
खरसावां गोलीकांड की 77वीं बरसी पर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समुदाय के संघर्ष और शहादत की याद में आयोजित समारोह में अपना श्रद्धांजलि अर्पित किया। उन्होंने आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए किए गए इस संघर्ष को हमेशा याद रखने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प लिया। खरसावां शहीद स्मारक का विकास और इसे वैश्विक पहचान दिलाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता यह दर्शाती है कि संघर्ष और शहादत के इस प्रतीक स्थल को सम्मान और गौरव दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।