झारखंड में दिवाली और छठ पर पटाखे फोड़ने का समय सीमित, क्रिसमस और न्यू ईयर पर मात्र 35 मिनट की छूट!

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिवाली, छठ और अन्य त्योहारों पर पटाखे फोड़ने का समय सीमित किया। जानिए क्यों क्रिसमस और न्यू ईयर पर केवल 35 मिनट तक पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है।

Oct 20, 2024 - 01:08
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झारखंड में दिवाली और छठ पर पटाखे फोड़ने का समय सीमित, क्रिसमस और न्यू ईयर पर मात्र 35 मिनट की छूट!
झारखंड में दिवाली और छठ पर पटाखे फोड़ने का समय सीमित, क्रिसमस और न्यू ईयर पर मात्र 35 मिनट की छूट!

रांची: झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (JSPCB) ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से दिवाली, छठ और अन्य प्रमुख त्योहारों पर पटाखे फोड़ने के समय को सख्ती से सीमित कर दिया है। इस नए फैसले ने जहां कुछ लोगों को निराश किया है, वहीं पर्यावरणविद् इस कदम का स्वागत कर रहे हैं।

पटाखों के लिए नई समय-सीमाएं तय

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इस साल दीपावली की रात को केवल रात 8 बजे से 10 बजे तक पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है। छठ के लिए सुबह 6 से 8 बजे और गुरु पर्व की रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़ने की छूट होगी।

सबसे बड़ा बदलाव क्रिसमस और नए साल पर देखने को मिला है। इन मौकों पर सिर्फ 35 मिनट (31 दिसंबर की रात 11:55 बजे से 12:30 बजे तक) के लिए पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई है।

पर्यावरण संरक्षण का हवाला

JSPCB का कहना है कि ये कदम राज्य में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए हैं। हर साल, खासकर दिवाली पर, हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी जाती है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इस बार, बोर्ड का उद्देश्य उत्सव के आनंद और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना है।

नाराज जनता और व्यापारियों की प्रतिक्रिया

इस नए नियम ने पटाखों के व्यापारियों और आम लोगों में हलचल पैदा कर दी है। व्यापारियों का कहना है कि इस फैसले से उनके व्यापार पर बड़ा असर पड़ेगा। दिवाली पर पहले ही सीमित समय में अधिकतर लोग पटाखे चलाते थे, और अब समय की इस सख्त सीमा ने उनकी बिक्री को और प्रभावित किया है। वहीं, जनता भी इस बात से नाराज है कि नए साल जैसी खुशी के मौके पर उन्हें सिर्फ 35 मिनट का समय दिया जा रहा है।

समर्थन में उठी आवाजें

हालांकि, पर्यावरणविद् इस फैसले का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह फैसला वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होगा। पिछले साल के आंकड़ों की ओर इशारा करते हुए, वे कहते हैं कि इस तरह के कठोर फैसलों से शहरों की हवा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को राहत मिलेगी।

क्या है आगे की राह?

बोर्ड के इस फैसले के बाद अब सवाल यह है कि क्या लोग इन नियमों का पालन करेंगे, या फिर इसे नजरअंदाज करेंगे? पुलिस और प्रशासन ने सख्त चेतावनी दी है कि तय समय के बाद अगर कोई पटाखे चलाते पाया गया, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि जनता इस फैसले को किस तरह से स्वीकार करती है और क्या यह वास्तव में पर्यावरण पर सकारात्मक असर डाल सकेगा।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।