AISWA की 37वीं वर्षगांठ पर बड़ा ऐलान, सांसद पद्मश्री कालीपद सोरेन ने दिए 50 लाख, बनेगा आदिवासी म्यूज़ियम और पुस्तकालय!
AISWA की 37वीं वर्षगांठ पर सांसद कालीपद सोरेन ने 50 लाख रुपए की सहायता की घोषणा की। झाड़ग्राम में आदिवासी म्यूज़ियम, पुस्तकालय और सम्मेलन हॉल का निर्माण होगा। जानें इस खास आयोजन की अन्य महत्वपूर्ण बातें।
झाड़ग्राम, पश्चिम बंगाल— ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन (AISWA) ने आज अपने 37वें स्थापना दिवस समारोह को भव्य रूप से मनाया। इस मौके पर ट्राइबल लाइब्रेरी, घोड़ाधारा में आयोजित इस कार्यक्रम ने आदिवासी समाज और संताली साहित्य प्रेमियों के बीच भारी उत्साह पैदा किया। समारोह के दौरान कई महत्वपूर्ण घोषणाएं हुईं, जो आने वाले वर्षों में झाड़ग्राम के सांस्कृतिक और साहित्यिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकती हैं।
सांसद पद्मश्री कालीपद सोरेन का ऐतिहासिक ऐलान
समारोह के मुख्य अतिथि, झाड़ग्राम के सांसद और पद्मश्री पुरस्कार विजेता कालीपद सोरेन ने 50 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की। उन्होंने इस राशि को झाड़ग्राम में बनने वाले आदिवासी पुस्तकालय, म्यूज़ियम और सम्मेलन हॉल के निर्माण के लिए संसद निधि से आवंटित करने का वादा किया। सोरेन ने कहा कि AISWA का उनके जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और उन्होंने अपने शुरुआती साहित्यिक पुरस्कार इसी संस्था के माध्यम से प्राप्त किए थे।
उन्होंने कहा, "AISWA ने मुझे राष्ट्रीय पहचान दिलाने में मदद की। मुझे गर्व है कि मैं इस संस्था के साथ जुड़ा हूं और इसे आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद करूंगा।"
झाड़ग्राम में आदिवासी म्यूज़ियम और पुस्तकालय का सपना जल्द होगा साकार
AISWA के महासचिव रवींद्र नाथ मुर्मू ने इस अवसर पर बताया कि संस्था ने 1 एकड़ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली है, जिस पर जल्द ही 600 लोगों की क्षमता वाला एक सम्मेलन हॉल, आदिवासी पुस्तकालय और म्यूज़ियम बनाया जाएगा। यह म्यूज़ियम और पुस्तकालय आदिवासी समाज के दिवंगत महान लेखकों के नाम पर स्थापित किया जाएगा, जिससे आने वाली पीढ़ियां उनकी धरोहर से जुड़ सकें।
झाड़ग्राम जिला परिषद की चेयरमैन का भी समर्थन
विशिष्ट अतिथि, झाड़ग्राम जिला परिषद की चेयरमैन श्रीमती चिन्मयी हांसदा, जो पूर्व में AISWA की कोषाध्यक्ष भी रह चुकी हैं, ने भी इस प्रोजेक्ट को जिला परिषद और ट्राइबल विकास विभाग से समर्थन देने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट का प्लान जिला परिषद के मुख्य अभियंता द्वारा तैयार कराया जा रहा है, और इसके लिए करीब 10 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया है।
साहित्यकारों की विशेष उपस्थिति
समारोह में कई प्रमुख साहित्यकार, जैसे पद्मश्री डॉ. दामयंती बेसरा, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता श्री निरंजन हांसदा और भुजंग टुडू, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त AISWA के फाउंडर मेंबर श्री गोराचंद मुर्मू, और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। सभी ने AISWA के प्रयासों की सराहना की और युवाओं को साहित्यिक योगदान के लिए प्रेरित किया।
समारोह के दौरान महत्वपूर्ण विचार-विमर्श
AISWA के अध्यक्ष श्री लक्ष्मण किस्कु और महासचिव श्री रबिन्द्र नाथ मुर्मू ने भी सभा में संगठन के आगामी कार्यों और योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। AISWA का उद्देश्य आदिवासी समाज के साहित्यिक योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है, और इसी दिशा में यह संगठन आगे बढ़ रहा है।
आने वाले वर्षों में क्या होगा AISWA का भविष्य?
AISWA की यह 37वीं वर्षगांठ न केवल साहित्यिक योगदान का उत्सव था, बल्कि यह आने वाले वर्षों में संगठन के बड़े कदमों का भी संकेत था। झाड़ग्राम में बनने वाला पुस्तकालय और म्यूज़ियम आदिवासी साहित्य और संस्कृति को एक नई पहचान देने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
क्या यह परियोजना समय पर पूरी होगी? क्या आदिवासी समाज को इससे वास्तविक लाभ होगा? ये सवाल आने वाले समय में और भी दिलचस्प होंगे, जब परियोजना अपने चरम पर होगी।
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