Jharkhand: उग्रवादी मोटा टाइगर की मौत, 30 गांव के ग्रामीणों ने सेंदरा कर किया खात्मा
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में 30 गांवों के ग्रामीणों ने उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के आतंक से तंग आकर एरिया कमांडर मोटा टाइगर और उसके साथी को सेंदरा कर मार गिराया। पढ़ें पूरी कहानी।
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झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में नक्सल प्रभावित गुदड़ी क्षेत्र के ग्रामीणों ने उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के एरिया कमांडर मोटा टाइगर और उसके साथी को घेरकर मार डाला। यह घटना शुक्रवार को टोमडेल पंचायत के कोमाय जंगल के पास हुई। ग्रामीणों ने पारंपरिक हथियारों के साथ इस सेंदरा (सामूहिक कार्रवाई) को अंजाम दिया।
ग्रामीणों का गुस्सा और कार्रवाई की वजह
गुदड़ी और आसपास के इलाकों में लंबे समय से पीएलएफआई के उग्रवादी आतंक फैला रहे थे। वाहन चालकों, किसानों और ग्रामीणों से लेवी वसूली और हत्याओं की घटनाओं से ग्रामीण परेशान थे।
- 24 नवंबर की घटना: गुदड़ी के गिरू गांव में पीएलएफआई कमांडर मोटा टाइगर ने धारदार हथियार से दो लोगों की हत्या कर दी थी।
- 27 नवंबर की घटना: गोईलकेरा के भरडीहा बाजार में एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
- अन्य घटनाएं: सारुडा गांव के एक व्यक्ति के लापता होने और उसकी हत्या की आशंका ने ग्रामीणों का धैर्य तोड़ दिया।
इन घटनाओं के बाद 30 गांवों के लोगों ने आपसी बैठक कर उग्रवादियों को क्षेत्र से भगाने का फैसला लिया।
कैसे हुआ सेंदरा?
शुक्रवार को लोढ़ाई में आयोजित साप्ताहिक हाट भी बंद रहा। ग्रामीणों ने जंगलों और पहाड़ियों में उग्रवादियों की तलाश शुरू की। टोमडेल पंचायत के कोमाय जंगल के पास ग्रामीणों ने मोटा टाइगर और उसके साथी को पकड़ लिया। ग्रामीणों ने पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल कर मोटा टाइगर और उसके साथी का खात्मा कर दिया।
पुलिस की भूमिका और रणनीति
घटना के बाद गुदड़ी, सोनुवा, गोईलकेरा, और आनंदपुर के थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। हालांकि, पुलिस घटनास्थल से एक किमी दूर ही रुकी रही और हालात पर नजर रखती रही। कोमाय जंगल की ओर जाने वाले रास्तों पर जवान तैनात कर दिए गए हैं।
पुलिस अधीक्षक के अनुसार, उग्रवादी संगठन के खिलाफ ग्रामीणों की यह कार्रवाई अनूठी और साहसिक थी। हालांकि, सेंदरा के दौरान हुई हिंसा की जांच की जाएगी।
कौन था मोटा टाइगर?
मोटा टाइगर, पीएलएफआई संगठन का एरिया कमांडर था। उस पर दो लोगों की हत्या का केस दर्ज था। उसने लंबे समय से क्षेत्र में आतंक का माहौल बना रखा था।
- मोटा टाइगर का नाम पहले भी कई हत्याओं और वसूली मामलों में आ चुका था।
- ग्रामीणों का मानना था कि मोटा टाइगर और उसका संगठन उन्हें विकास से रोक रहा है।
झारखंड में सेंदरा की परंपरा
झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में सेंदरा एक पारंपरिक प्रक्रिया है, जिसमें लोग सामूहिक रूप से हिंसक जानवरों या खतरनाक व्यक्तियों से निपटते हैं। हालांकि, उग्रवादियों के खिलाफ ग्रामीणों द्वारा सेंदरा करने का यह मामला असाधारण है।
घटनास्थल पर सन्नाटा
घटना के बाद से टोमडेल और कोमाय जंगल के आसपास सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि उनका यह कदम आत्मरक्षा और क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए उठाया गया।
झारखंड में ग्रामीणों द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ इस तरह की सामूहिक कार्रवाई बताती है कि क्षेत्र में आतंक के खिलाफ जनता अब खड़ी हो रही है। पुलिस और प्रशासन को इस अवसर पर ग्रामीणों का साथ देकर क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बहाल करनी चाहिए।यह घटना झारखंड में उग्रवाद के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन सकती है, बशर्ते प्रशासन इसे सही दिशा में ले जाए।
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