Jharkhand : नक्सल विरोधी अभ्यास में एनएसजी का दमदार प्रदर्शन, जंगल में सीखे नए गुर
झारखंड में एनएसजी ने नक्सल विरोधी अभ्यास 'थंडरबोल्ट' किया। जानिए कैसे जंगल के रणनीतिक अभ्यास से नक्सलियों से निपटने की तैयारी को नई दिशा मिली।
झारखंड की राजधानी रांची और आसपास के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने हाल ही में चार दिवसीय नक्सल विरोधी जंगल अभ्यास थंडरबोल्ट का आयोजन किया। इस अभ्यास ने नक्सलियों के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों की रणनीतिक तैयारी को नए आयाम दिए।
क्यों हुआ यह अभ्यास खास?
यह अभ्यास केवल एक सामान्य ट्रेनिंग नहीं थी, बल्कि यह नक्सलियों द्वारा अपनाई जा रही नवीनतम कार्यप्रणालियों के अनुरूप तैयार किया गया था। अभ्यास का उद्देश्य न केवल नक्सल खतरों का आकलन करना था, बल्कि जंगल जैसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में सुरक्षा बलों को प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित करना भी था।
इतिहास की एक झलक
नक्सल समस्या की जड़ें 1960 के दशक से गहरी होती गईं, जब पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी क्षेत्र से शुरू हुआ आंदोलन हिंसक रूप लेता गया। झारखंड, बिहार, और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इनकी पकड़ मजबूत होती गई, और यह समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गई। ऐसे में एनएसजी जैसे विशेष बलों की सक्रियता ने इस चुनौती का सामना करने में अहम भूमिका निभाई।
जंगल में विशेष रणनीतियों का प्रदर्शन
अभ्यास में नक्सलियों द्वारा उपयोग किए जा रहे आधुनिक हथियारों, आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का पता लगाना, और बंधकों को छुड़ाने की तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया गया। रांची के बाहरी क्षेत्रों में इस अभ्यास ने सुरक्षा बलों को यथार्थवादी अनुभव प्रदान किया।
एनएसजी और स्थानीय बलों का तालमेल
अभ्यास में एनएसजी अंतिम प्रतिक्रिया बल के रूप में कार्यरत रही, जबकि झारखंड पुलिस के नक्सल विरोधी विशेष बल ‘झारखंड जगुआर’ और आतंकवाद विरोधी दस्ता प्राथमिक प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में शामिल हुए। अभ्यास का एक बड़ा लक्ष्य विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना था।
कैसे हुई तैयारी?
अभ्यास से पहले एसपी (एटीएस) कार्यालय में एनएसजी ने जंगल अभियानों में इस्तेमाल होने वाले अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों का प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन न केवल नई तकनीकों को समझने का अवसर था, बल्कि सुरक्षा बलों के लिए अत्यधिक प्रेरणादायक भी रहा।
जनता की सुरक्षा के लिए कदम
यह अभ्यास केवल बलों की रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ाने तक सीमित नहीं था। इसका मुख्य उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना और आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देना था। एनएसजी ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी ट्रेनिंग न केवल तैयारी को मजबूत करती हैं, बल्कि सुरक्षा बलों को अधिक सूचित और त्वरित निर्णय लेने में भी सक्षम बनाती हैं।
नक्सल समस्या से निपटने का भविष्य
झारखंड जैसे नक्सल प्रभावित राज्यों में ऐसे अभ्यासों का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि एनएसजी द्वारा विकसित और साझा की गई सर्वोत्तम प्रथाओं से स्थानीय प्रशासन की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।एनएसजी का यह 'थंडरबोल्ट' अभ्यास झारखंड जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल सुरक्षा बलों की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि जनता के मन में सुरक्षा की भावना भी मजबूत होगी।
यह रणनीतिक अभ्यास न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को नई ऊंचाई तक ले जाने में सहायक होगा, बल्कि नक्सलियों के खिलाफ एक प्रभावी संदेश भी देगा।
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