Jamshedpur Swarnrekha Mahotsav: स्वर्णरेखा महोत्सव 2025 की शानदार तैयारियाँ, जानें इस साल की खास बातें
जानें स्वर्णरेखा महोत्सव 2025 के बारे में, जिसमें नदी पूजन, पर्यावरणविदों की गोष्ठी और विशेष आयोजन होंगे। यह महोत्सव हर साल धूमधाम से मनाया जाता है।
जमशेदपुर में हर साल होने वाला स्वर्णरेखा महोत्सव इस वर्ष 14 जनवरी को एक नए रंग में नजर आएगा। स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस महोत्सव की तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं। ट्रस्ट के बिष्टुपुर स्थित कार्यालय में आयोजित बैठक में महोत्सव के आयोजन को लेकर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें इस साल के आयोजन को लेकर कई अहम फैसले लिए गए।
स्वर्णरेखा महोत्सव: एक ऐतिहासिक परंपरा
स्वर्णरेखा महोत्सव का इतिहास लंबा और समृद्ध है। हर साल जनवरी माह में, इस महोत्सव के दौरान, स्थानीय लोग नदी पूजन करते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक बड़ा कदम है। इस महोत्सव के माध्यम से स्वर्णरेखा नदी की महिमा का गुणगान किया जाता है और उसके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है।
इस वर्ष स्वर्णरेखा महोत्सव का 20वां वर्ष है, जो इस आयोजन को और भी खास बना देता है। महोत्सव का आयोजन युगांतर भारती और स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के संयुक्त प्रयासों से होता है।
महोत्सव की विशेषताएँ
14 जनवरी को होने वाले महोत्सव में दो प्रमुख स्थानों पर नदी पूजन किया जाएगा।
- सोनारी स्थित दोमुहानी नदी घाट पर प्रातः 10.30 बजे
- सीतारामडेरा के पाण्डेय घाट पर प्रातः 11.30 बजे
नदी पूजन के बाद, वहां उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाएगा। इसके बाद संध्या को माइकल जॉन ऑडिटोरियम में एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विधायक श्री सरयू राय सहित कई जाने-माने पर्यावरणविदों और पर्यावरण प्रेमियों की उपस्थिति रहेगी।
स्वर्णरेखा महोत्सव का पर्यावरण संरक्षण में योगदान
स्वर्णरेखा महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण अभियान भी है। इस महोत्सव के दौरान, विभिन्न पर्यावरणविद और पर्यावरण प्रेमी नदी के जल और आसपास के क्षेत्र के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
यह महोत्सव नदी की स्वच्छता और उसके महत्व को प्रचारित करने का एक बेहतरीन मंच है। इस आयोजन में, लोग नदी के प्रति अपने दायित्वों और जिम्मेदारियों को समझते हैं और पर्यावरण के लिए किए गए कार्यों को प्रोत्साहित करते हैं।
महोत्सव के आयोजकों के विचार
स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट के ट्रस्टी अशोक गोयल ने इस आयोजन के महत्व को समझाते हुए कहा, "यह महोत्सव हर साल एक नई ऊर्जा और उमंग के साथ आयोजित किया जाता है। इस साल हम 20वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम नदी पूजन जैसे ऐतिहासिक कार्य को जिंदा रख पा रहे हैं।"
बैठक में आशुतोष राय, मुकुल मिश्रा, सुबोध श्रीवास्तव, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, पवन सिंह, पप्पु सिंह और सन्नी सिंह सहित कई अन्य प्रमुख सदस्य भी उपस्थित थे। सभी ने महोत्सव को सफल बनाने के लिए अपनी रणनीतियों और योजनाओं पर चर्चा की।
स्वर्णरेखा महोत्सव का भविष्य
स्वर्णरेखा महोत्सव का भविष्य उज्जवल है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह एक बड़ा कदम साबित हो रहा है। महोत्सव में भाग लेने वाले लोग स्वच्छता, जल संरक्षण, और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के महत्व को समझते हैं।
आने वाले वर्षों में इस महोत्सव के आयोजन को और भी प्रभावी और भव्य बनाने की योजना है। इस तरह के आयोजनों से समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ती है और हम सब मिलकर अपने पर्यावरण का संरक्षण कर सकते हैं।
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