Jamshedpur Seminar: डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा पर ग्रेजुएट कॉलेज के छात्रों को मिला ज्ञान
जमशेदपुर के ग्रेजुएट कॉलेज में RBI पटना और अन्य बैंकों की सहभागिता में डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा पर संगोष्ठी। जानें कैसे छात्रों को साइबर अपराधों से बचने के उपाय सिखाए गए।
जमशेदपुर: डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से ग्रेजुएट कॉलेज, जमशेदपुर में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में RBI पटना, Punjab and Sind Bank, और Bank of India ने संयुक्त रूप से भागीदारी की। संगोष्ठी का विषय था: “करेंसी, डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा पर जागरूकता।”
मुख्य अतिथि और वक्ताओं के विचार
संगोष्ठी में प्रमुख अतिथि RBI पटना के प्रबंधक श्रेय चौधरी, सहायक प्रबंधक मिथलेश कुमार यादव, लीड बैंक मैनेजर संतोष कुमार, Punjab and Sind Bank के सुमित कुमार सिंह, और Bank of India के अनुराग थे। कार्यक्रम का शुभारंभ वाणिज्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी अनामिका के स्वागत भाषण से हुआ।
डॉ. वीणा सिंह प्रियदर्शी, जो ग्रेजुएट कॉलेज की प्राचार्य हैं, ने मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुए साइबर सुरक्षा के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि डिजिटल बैंकिंग के विस्तार के साथ साइबर सुरक्षा कितनी अनिवार्य हो गई है।
प्रमुख विषय और चर्चा
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डिजिटल पेमेंट और साइबर अपराधों पर जागरूकता:
मुख्य वक्ता श्रेय चौधरी ने डिजिटल पेमेंट के विकल्पों जैसे RTGS, NEFT, UPI, और कार्ड ट्रांजेक्शन के सुरक्षा उपायों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने MANI ऐप का उल्लेख किया, जो नकली नोटों की पहचान करने में मदद करता है। -
साइबर धोखाधड़ी से बचाव:
श्री अनुराग ने फिशिंग, कार्ड फ्रॉड, और मनी जैकिंग जैसे बढ़ते साइबर खतरों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे जागरूकता और सावधानी बरतने से इन खतरों से बचा जा सकता है। -
लीड बैंक की भूमिका:
संतोष कुमार ने लीड बैंक की कार्यप्रणाली और उसकी जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बैंकिंग प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी उपयोग पर जोर दिया।
छात्रों के लिए सीखने का अवसर
संगोष्ठी में लगभग 200 छात्राओं ने भाग लिया। उन्हें व्यावहारिक अनुभव और बैंकिंग प्रक्रिया से संबंधित तकनीकी जानकारियां प्राप्त हुईं। डिजिटल युग में बढ़ते साइबर खतरों के बीच, इस तरह की जागरूकता युवाओं को आत्मनिर्भर और सतर्क बनाने का कार्य करती है।
इतिहास और वर्तमान का तालमेल
भारत में डिजिटल बैंकिंग के इतिहास की बात करें तो, 2000 के दशक से इसने अपनी जड़ें जमानी शुरू की थीं। आज, UPI और मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाएं भारत को डिजिटल क्रांति के शिखर पर ले जा रही हैं। लेकिन इन सुविधाओं के साथ जुड़े साइबर खतरों से बचने के लिए इस तरह की पहल अनिवार्य हो गई है।
संचालन और समापन
कार्यक्रम का संचालन विधि ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संगीता बिरुआ ने दिया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस मौके पर डॉ. अनुराधा वर्मा, डॉ. सुनीता बंकिरा, प्रो. सुदीप्ता दास, और अन्य शिक्षकगण भी उपस्थित थे।
डिजिटल बैंकिंग और साइबर सुरक्षा पर यह संगोष्ठी छात्रों के लिए एक अमूल्य अनुभव साबित हुई। इसने न केवल बैंकिंग प्रणाली की जटिलताओं को समझने में मदद की, बल्कि ऑनलाइन लेनदेन के खतरों से बचने के उपाय भी सिखाए। ऐसे कार्यक्रम युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त और सुरक्षित भविष्य की ओर प्रेरित करते हैं।
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