Jamshedpur Buildings: अवैध निर्माणों पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 1800 इमारतों का होगा ध्वस्तीकरण?
जमशेदपुर में 1800 से अधिक अवैध निर्माणों पर हाईकोर्ट का सख्त रुख। जानें, कोर्ट ने बिल्डरों और अधिकारियों के खिलाफ क्या फैसले दिए और आगे क्या होगा।
रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जमशेदपुर में अवैध बिल्डिंग निर्माण से जुड़े जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश जारी किए। यह मामला 2018 में दायर याचिका संख्या 2078/2018 से जुड़ा है, जिसमें शहर में 1800 से अधिक अवैध भवनों के निर्माण का आरोप है। अदालत ने इस सुनवाई में सभी अवैध बिल्डिंग मालिकों को पक्ष बनाने और चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
अवैध निर्माणों का काला इतिहास
जमशेदपुर में म्युनिसिपल कानून और बिल्डिंग बाइलॉज का घोर उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में अवैध इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। ऐसा आरोप है कि जमशेदपुर अक्षेस (जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति) के अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत से इन निर्माणों को अंजाम दिया गया।
यह मामला न केवल शहर की इकोलॉजी को नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और कानूनी अनदेखी के आरोप भी लगे हैं।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
मुख्य न्यायाधीश राव और न्यायाधीश दीपक रौशन की खंडपीठ ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कई अहम बातें कही:
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फेज़वाइज कार्रवाई होगी:
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 1800 भवनों और बिल्डरों को एक साथ पार्टी बनाना मुश्किल है। अदालत ने इस कठिनाई को समझते हुए निर्देश दिया कि सभी भवनों को चरणबद्ध तरीके से पार्टी बनाया जाए। -
ध्वस्तीकरण ही अंतिम रास्ता:
सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि अवैध निर्माणों को ध्वस्त करना ही एकमात्र विकल्प है। -
बिल्डरों का पक्ष सुना जाएगा:
सभी संबंधित बिल्डरों और भवन मालिकों को नोटिस जारी किया जाएगा ताकि वे अपनी सफाई दे सकें। अदालत ने चेतावनी दी है कि अगली सुनवाई में यदि कोई जवाब दाखिल नहीं करता है, तो बगैर कोई मौका दिए फैसला सुना दिया जाएगा।
अधिकारियों पर कसेगा शिकंजा
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन अधिकारियों ने इन अवैध निर्माणों को मंजूरी दी और कानून का उल्लंघन किया, उनके खिलाफ अलग से कार्रवाई की जाएगी।
पिटीशनर के वकील ने अदालत को बताया कि इन अधिकारियों की ग़ैर-जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार ने शहर की इकोलॉजी को बर्बाद कर दिया है। अदालत ने ऐसे अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पार्टी बनाने के निर्देश दिए हैं।
जमशेदपुर के लिए निर्णायक दिन
इस सुनवाई को जमशेदपुर के शहरी इतिहास का एक निर्णायक दिन माना जा रहा है। यदि हाईकोर्ट अपने आदेश पर सख्ती से अमल कराती है, तो यह न केवल अवैध निर्माणों को रोकने का उदाहरण बनेगा, बल्कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और बिल्डरों के खिलाफ भी एक मजबूत संदेश जाएगा।
क्या है आगे का कदम?
अगली सुनवाई में, अन्य अवैध भवनों की सूची अदालत में पेश की जाएगी, और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस प्रक्रिया में किसी तरह के पक्षपात की गुंजाइश न हो।
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