Jamshedpur Honors: गंगा प्रसाद अरुण को मिला निर्मल मिलिंद स्मृति सम्मान
जमशेदपुर के वरिष्ठ साहित्यकार गंगा प्रसाद अरुण को निर्मल मिलिंद स्मृति सम्मान से नवाजा गया। जानिए उनके लेखन का प्रभाव और समारोह की खास बातें।
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जमशेदपुर के प्रतिष्ठित साहित्यकार गंगा प्रसाद अरुण को उनके अद्भुत साहित्यिक योगदान के लिए निर्मल मिलिंद स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर, उन्हें शॉल, प्रशस्ति पत्र और 11,000 रुपये का चेक प्रदान किया गया। यह सम्मान समारोह उनके घर पर आयोजित किया गया क्योंकि अरुण जी की अस्वस्थता के कारण वे सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके।
गंगा प्रसाद अरुण: भोजपुरी साहित्य के स्तंभ
मुख्य अतिथि और प्रसिद्ध कथाकार जयनंदन ने अरुण जी की लेखन शैली की सराहना करते हुए कहा कि उनकी कविताएं भोजपुरी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने अरुण जी की कविताओं में भोजपुरी भाषा की अद्भुत पकड़ और गहराई का उल्लेख किया।
गंगा प्रसाद अरुण की लेखनी ने न केवल कविता बल्कि हस्तलिखित पत्रिकाओं के माध्यम से साहित्य को समृद्ध किया है। उनके हस्तलिखित पत्रों को देखकर ऐसा प्रतीत होता था जैसे वे टंकण मशीन से लिखे गए हों। यह विशेषता उन्हें अन्य साहित्यकारों से अलग पहचान दिलाती है।
निर्मल मिलिंद और उनका साहित्यिक योगदान
कार्यक्रम में स्वर्गीय निर्मल मिलिंद को भी याद किया गया, जिन्हें इस पुरस्कार के नाम से सम्मानित किया जाता है। जयनंदन ने मिलिंद जी के वज्जिका में लिखे उपन्यासों और कविताओं की विशेष चर्चा की। उन्होंने मिलिंद जी को "कवि हृदय व्यक्तित्व" और "मिलनसार साहित्यकार" बताया।
निर्मल मिलिंद स्मृति सम्मान अब राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका है। जयनंदन ने इस सम्मान को झारखंड स्तर तक विस्तृत करने का सुझाव दिया, ताकि यह और अधिक साहित्यकारों को प्रेरित कर सके।
सम्मान समारोह: साहित्य के लिए एक प्रेरणादायक क्षण
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार सह साहित्यकार दिनेश्वर प्रसाद सिंह दिनेश ने की। उन्होंने गंगा प्रसाद अरुण को इस सम्मान के लिए उपयुक्त चयन बताया और समिति की सराहना की। उन्होंने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अर्चना मिलिंद और समिति के सदस्यों को धन्यवाद दिया।
इस सम्मान समारोह में नगर के कई साहित्यकारों ने अपने विचार साझा किए। अरविंद विद्रोही, मनोकामना सिंह अजय, और डॉ. रागिनी भूषण ने गंगा प्रसाद अरुण के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन अशोक शुभदर्शी ने किया।
सम्मान के पीछे छिपा साहित्यिक इतिहास
निर्मल मिलिंद स्मृति सम्मान की शुरुआत स्वर्गीय निर्मल मिलिंद की साहित्यिक उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए की गई थी। उनकी वज्जिका भाषा में लिखी गई कृतियां झारखंड के साहित्य में अद्वितीय स्थान रखती हैं। इस सम्मान के माध्यम से उनकी यादों और उनकी रचनाओं को जीवित रखा गया है।
आगे की राह
समारोह में दिए गए सुझाव और इस सम्मान को और व्यापक बनाने की चर्चा से यह स्पष्ट है कि साहित्यिक योगदान को पहचानने और प्रोत्साहित करने की यह परंपरा और मजबूत होगी।
गंगा प्रसाद अरुण का यह सम्मान न केवल उनके लिए बल्कि समूचे साहित्य जगत के लिए गर्व का क्षण है। यह उनके समर्पण, प्रतिभा और लेखन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सलाम करता है।
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