Jamshedpur Raid: कदमा में रेलवे टिकट घोटाले का भंडाफोड़, जानें कैसे चल रहा था खेल

Jamshedpur में रेलवे सुरक्षा बल ने कदमा इलाके में ई-टिकट की अवैध बिक्री का भंडाफोड़ किया। जानें कैसे दलाल अधिक कीमत पर टिकट बेचकर यात्रियों और रेलवे को नुकसान पहुंचा रहे थे।

Nov 20, 2024 - 09:25
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Jamshedpur Raid: कदमा में रेलवे टिकट घोटाले का भंडाफोड़, जानें कैसे चल रहा था खेल
Jamshedpur Raid: कदमा में रेलवे टिकट घोटाले का भंडाफोड़, जानें कैसे चल रहा था खेल

जमशेदपुर के कदमा इलाके में सोमवार को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और सीआईबी की संयुक्त टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अवैध ई-टिकट घोटाले का पर्दाफाश किया। यह छापेमारी “जेएनबी एंटरप्राइजेज, 113 शास्त्री नगर, ब्लॉक नंबर 01” पर की गई। इस ऑपरेशन की कमान आरपीएफ पोस्ट इंचार्ज राकेश मोहन के हाथों में थी, जो गुप्त सूचना के आधार पर अंजाम दी गई।

कैसे चल रहा था यह अवैध टिकट घोटाला?

छापेमारी के दौरान कदमा निवासी एजेंट बिजय सिंह को गिरफ्तार किया गया, जो रेलवे के अधिकृत एजेंट आईडी और व्यक्तिगत उपयोगकर्ता आईडी का उपयोग कर ई-टिकट बेच रहा था। खास बात यह है कि वह टिकटों को अधिक कीमत पर बेचकर यात्रियों को ठग रहा था।

क्या-क्या बरामद हुआ?

कार्रवाई के दौरान टीम ने एक बड़ा सबूत इकट्ठा किया। बरामद सामग्रियों में शामिल हैं:

  • लाइव ई-जनरल टिकट
  • 23 पुराने ई-जनरल टिकट
  • 12 पुराने ई-तत्काल टिकट
  • 7 पुराने ई-प्रीमियम तत्काल टिकट
  • श्याओमी मोबाइल, मॉनिटर, सीपीयू, कीबोर्ड, माउस सहित अन्य उपकरण

इतिहास: रेलवे टिकट घोटाले का बढ़ता जाल

रेलवे टिकटों की कालाबाजारी कोई नई बात नहीं है। भारत में यह खेल लंबे समय से चलता आ रहा है। पहले यह काम स्टेशन के आसपास दलालों के जरिए होता था, लेकिन आज के डिजिटल युग में यह काम साइबर कैफे और ऑनलाइन माध्यमों से होने लगा है। ई-टिकटिंग सिस्टम आने के बाद ऐसा माना गया था कि कालाबाजारी खत्म हो जाएगी, लेकिन तकनीक का गलत इस्तेमाल इस खेल को और बढ़ावा दे रहा है।

क्या खुलासा हुआ पूछताछ में?

एजेंट बिजय सिंह ने पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि अधिकृत एजेंट जब अपने कोटे की सीमा पूरी कर लेते हैं, तो वे व्यक्तिगत आईडी का उपयोग कर टिकटों को अधिक कीमत पर बेचने लगते हैं। यह न केवल यात्रियों के लिए परेशानी खड़ी करता है, बल्कि रेलवे को भी राजस्व का नुकसान पहुंचाता है।

सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें कई पुराने दलाल शामिल हैं। ये दलाल या तो अपने घर से यह काम कर रहे हैं या साइबर कैफे के जरिए।

कौन-कौन थे इस ऑपरेशन में शामिल?

इस कार्रवाई में आरपीएफ के कई अधिकारी शामिल थे, जिनमें टाटा पोस्ट के एसआई राजबीर कुमार, एएसआई एसके पांडे, टास्क टीम के एएसआई डीके सिंह, सीआईबी के रामबाबू सिंह और एएसआई नागेंद्र कुमार प्रमुख रहे।

रेलवे प्रशासन ने की अपील

रेलवे प्रशासन ने यात्रियों से सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि यात्री केवल अधिकृत माध्यमों से ही टिकट खरीदें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत रेलवे सुरक्षा बल या नजदीकी थाने को दें।

क्या हो सकता है आगे?

आरपीएफ ने बताया है कि छापेमारी के बाद अब इस पूरे नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान की जा रही है। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस तरह की और भी कार्रवाइयां देखने को मिल सकती हैं।

अंत में सवाल: क्या यह घोटाला रुकेगा?

यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे घोटाले हमेशा के लिए बंद हो पाएंगे? डिजिटल युग में जहां एक ओर तकनीक सुविधा बढ़ा रही है, वहीं इसके दुरुपयोग की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि रेलवे और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर इस पर कैसे लगाम लगाती हैं।

यात्रियों के लिए संदेश:
अपना टिकट खरीदने से पहले जांच-परख जरूर करें और किसी भी प्रकार की अनधिकृत गतिविधि की सूचना तुरंत दें। इस तरह की सतर्कता न केवल आपकी यात्रा को सुरक्षित बनाएगी, बल्कि रेलवे प्रशासन को भी कालाबाजारी पर लगाम लगाने में मदद करेगी।

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