Jamshedpur BJP President Controversy: भाजपा अध्यक्ष सुधांशु ओझा सिख समाज के आक्रोश का शिकार, माफी की मांग तेज
जमशेदपुर भाजपा अध्यक्ष सुधांशु ओझा के सिख समाज को लेकर किए गए विवादास्पद पोस्ट के बाद बवाल मच गया। जानें क्या है पूरी कहानी और भाजपा नेताओं की प्रतिक्रियाएं।
जमशेदपुर: भाजपा के महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। शुक्रवार को उन्होंने सिख समाज को लेकर एक पोस्ट किया, जिससे सिख समुदाय में नाराजगी फैल गई। पोस्ट में भाजपा अध्यक्ष ने गुरु गोबिंद सिंह जी की रचना चंडी दी वार से कुछ शब्दों का उल्लेख किया, जो सिख समाज के लिए आपत्तिजनक थे। इसके बाद भाजपा नेताओं और सिख समाज के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
क्या था वह पोस्ट?
सुधांशु ओझा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट में चंडी दी वार के कुछ दोहे साझा किए, जो उन्होंने दावा किया था कि सिख गुरु गोबिंद सिंह जी ने सैनिकों को उत्साहित करने के लिए कहे थे। पोस्ट में ओझा ने कुछ शब्दों का उल्लेख किया, जिनमें हिंदू धर्म, मुस्लिमों और गऊहत्या के संदर्भ में बातें कही गई थीं। यह पोस्ट सिख समाज के लिए न केवल अपमानजनक थी, बल्कि यह गलत जानकारी फैलाने का भी आरोप लगाया गया।
सिख समाज का विरोध और भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया
इस पोस्ट के बाद सिख समाज में भारी नाराजगी फैल गई। खासकर, भाजपा की सोशल मीडिया प्रभारी अरविंदर कौर ने खुलकर सुधांशु ओझा का विरोध किया। अरविंदर कौर ने अपनी पोस्ट में कहा कि इस पोस्ट में जो शब्द लिखे गए थे, वे पूरी तरह से गलत थे। उन्होंने कहा कि चंडी दी वार में ऐसी कोई भी पंक्ति नहीं है, और इसमें कभी भी मुस्लिमों या गऊहत्या का उल्लेख नहीं किया गया।
अरविंदर कौर ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा, "सुधांशु ओझा जी को सिख धर्म के बारे में सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए थी। यह न केवल गलत है, बल्कि सिख समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाला भी है।" उन्होंने आगे कहा कि जब भी कोई धार्मिक पोस्ट किया जाए, तो कम से कम किसी गुरुद्वारे के ग्रंथी से पुष्टि कर लेनी चाहिए।
पोस्ट हटाने के बाद भी जारी रहा विवाद
हालांकि, विवाद के बाद सुधांशु ओझा ने अपनी पोस्ट को हटा लिया, लेकिन मामला शांत नहीं हुआ। अरविंदर कौर ने भाजपा अध्यक्ष से माफी की मांग की और कहा कि सिर्फ पोस्ट हटाने से काम नहीं चलेगा। सिख समाज की भावनाओं को आहत करने के लिए ओझा को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद सिख समाज से जुड़े कई नेताओं ने ओझा के अध्यक्ष पद से हटाने की भी मांग की है।
सिख धर्म और इतिहास का संदर्भ
सिख धर्म की शुरुआत गुरुनानक देव जी से हुई थी, और इसका उद्देश्य समाज में समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख समुदाय को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने और समाज में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। चंडी दी वार का संदर्भ देवी दुर्गा की राक्षसों के खिलाफ युद्ध से जुड़ा हुआ है, और इसमें किसी विशेष धर्म के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है।
यह मामला राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा की अंदरूनी खींचतान और विभिन्न नेताओं के बयानों ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है। जहां एक ओर भाजपा के कुछ नेता इस पोस्ट को गलत मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सिख समाज के कई लोग इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। यह घटना यह बताती है कि समाज में धर्म, इतिहास और संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखना कितना जरूरी है, खासकर जब सार्वजनिक मंचों पर ऐसे विषयों पर चर्चा हो रही हो।
अब देखना यह है कि क्या भाजपा इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करती है और सुधांशु ओझा से सिख समाज को उचित माफी मिलती है, या फिर यह विवाद और बढ़ता जाएगा।
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