Jamshedpur Conference – जमशेदपुर में संक्षारण और कोटिंग्स पर ऐतिहासिक सम्मेलन, दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने साझा किए इनोवेटिव आइडियाज!
जमशेदपुर में आयोजित i3C-2025 सम्मेलन का दूसरा दिन शानदार रहा, जिसमें उद्योग विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने संक्षारण एवं कोटिंग्स के नए आयामों पर विचार साझा किए। जानें इस खास पैनल चर्चा की अहम बातें।
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जमशेदपुर में आयोजित i3C-2025 सम्मेलन का दूसरा दिन बेहद सफल और ज्ञानवर्धक रहा। यह प्रतिष्ठित सम्मेलन भारतीय धातु संस्थान (IIM), जमशेदपुर चैप्टर द्वारा CSIR-NML, टाटा स्टील और NIT जमशेदपुर के सहयोग से आयोजित किया गया। दुनिया भर से आए उद्योग विशेषज्ञ, अनुसंधानकर्ता और प्रोफेशनल्स ने संक्षारण (corrosion) और उन्नत कोटिंग्स (advanced coatings) के क्षेत्र में हो रहे नए बदलावों पर चर्चा की।
संक्षारण और कोटिंग्स – विज्ञान की एक अनसुलझी पहेली!
क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल से ही संक्षारण एक गंभीर समस्या रही है? पुराने लोहे के पुल और ऐतिहासिक इमारतें संक्षारण की वजह से कमजोर हो गईं। रोमनों ने इसे रोकने के लिए सिक्कों और हथियारों पर खास किस्म की कोटिंग्स का उपयोग किया था। आज भी वैज्ञानिक इसी समस्या से निपटने के लिए नए समाधान तलाश रहे हैं।
सम्मेलन की मुख्य झलकियां – विशेषज्ञों ने दिए अहम सुझाव
दूसरे दिन का सुबह का सत्र बेहद ज्ञानवर्धक रहा, जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे। इस दौरान संक्षारण निगरानी, लेखा परीक्षा, पूर्वानुमान मॉडलिंग और कोटिंग्स में उभरती तकनीकों पर चर्चा हुई।
समानांतर पोस्टर सत्रों में युवा शोधकर्ताओं को विशेषज्ञों से सीधे संवाद करने और अपने विचार साझा करने का अवसर मिला।
सबसे चर्चित सेशन था – "संक्षारण चुनौतियां, सतत विकास और परिपत्र अर्थव्यवस्था – आगे का रास्ता", जिसे CSIR-NML के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. रघुवीर सिंह ने संचालित किया।
इस पैनल चर्चा में चार प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया:
डॉ. संदीप घोष चौधरी (निदेशक, CSIR-NML)
उज्ज्वल चक्रवर्ती (कार्यकारी प्रभारी, टाटा टिनप्लेट)
डॉ. रामानुज नारायण (निदेशक, CSIR-IMMT)
प्रवीण थम्पी (CRM प्रमुख, टाटा स्टील कलिंगानगर)
क्या निकला निष्कर्ष?
विशेषज्ञों ने संक्षारण को रोकने के लिए नई तकनीकों और ग्रीन कोटिंग्स के महत्व को रेखांकित किया।
पर्यावरणीय समस्याओं और सतत विकास के लिए वैज्ञानिकों और उद्योगों को मिलकर काम करने की जरूरत बताई गई।
सर्कुलर इकॉनमी यानी संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने और अपशिष्ट को कम करने पर जोर दिया गया।
विजेताओं को किया गया सम्मानित
सम्मेलन के समापन सत्र में टाटा टिनप्लेट के EIC उज्ज्वल चक्रवर्ती और CSIR-IMMT के डॉ. रामानुज नारायण मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस दौरान मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियों के विजेताओं को सम्मानित किया गया:
मौखिक प्रस्तुति के विजेता:
- निमाई चंद्र गोराईं (टाटा स्टील)
- महेश जी. वालुंज (CSIR-NML)
- सैकत मंडल (IIT कानपुर)
- अनुश्री नाग (टाटा स्टील)
- तानाजी के. चव्हाण (IIT धनबाद)
पोस्टर प्रस्तुति के विजेता:
- रोहित कुमार
- अपूर्बा मैती
- देविना रत्नम
- सुमन प्रधान
i3C-2025: क्यों था यह सम्मेलन खास?
इस सम्मेलन ने न सिर्फ वैज्ञानिकों और उद्योग विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया, बल्कि भविष्य की टिकाऊ रणनीतियों पर भी रोशनी डाली। टाटा स्टील लिमिटेड के प्रधान वैज्ञानिक और i3C के संयोजक डॉ. तपन कुमार राउत ने समापन व्याख्यान दिया और वैश्विक स्थिरता व नवाचार को आगे बढ़ाने में सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
संक्षारण और कोटिंग्स – भारत के लिए क्यों जरूरी?
भारत में हर साल अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर, रेलवे और पुलों को संक्षारण की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। अनुमान के मुताबिक, देश में हर साल GDP का 3-4% हिस्सा संक्षारण के कारण बर्बाद होता है। ऐसे में, i3C-2025 जैसे सम्मेलन इस चुनौती से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
भविष्य की ओर एक कदम
इस सम्मेलन ने स्पष्ट कर दिया कि संक्षारण नियंत्रण और टिकाऊ कोटिंग्स सिर्फ वैज्ञानिक विषय नहीं, बल्कि औद्योगिक और पर्यावरणीय भविष्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। संशोधन, नवाचार और सहयोग से ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं और एक सतत भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
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