School timing change: जमशेदपुर में ठंड का कहर, बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए स्कूल समय में बदलाव की उठी मांग!
जमशेदपुर में ठंड और कनकनी के बीच बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए स्कूल समय में बदलाव की मांग की गई। क्या प्रशासन इस पर कार्रवाई करेगा?
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जमशेदपुर: इन दिनों जमशेदपुर और झारखंड के विभिन्न हिस्सों में ठंड और कनकनी का असर तेजी से बढ़ रहा है। शहर का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे (9.8°) जा चुका है और मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में शीतलहरी की संभावना जताई है। इस ठिठुरन भरी ठंड में स्कूल जाने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे अभिभावकों और नागरिकों के बीच चिंता बढ़ गई है।
आजकल के बच्चों का शरीर, विशेष रूप से छोटे बच्चों का, ठंड के ऐसे तीव्र मौसम में कमजोर हो सकता है, जिससे जुकाम, बुखार, और अन्य मौसमी बिमारीयों का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कई संगठनों ने स्कूलों के समय में बदलाव करने की मांग की है। इस मांग को लेकर एक पत्र भी जारी किया गया है, जिसमें ठंडी के मौसम में बच्चों के लिए कक्षाओं के समय में परिवर्तन की बात की गई है।
पत्र में यह सुझाव दिया गया है कि:
- नर्सरी से लेकर कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए कक्षा समय सुबह 10 बजे से अपराह्न 2 बजे तक निर्धारित किया जाए।
- कक्षा 6 से लेकर कक्षा 12 तक के बच्चों के लिए कक्षा समय सुबह 10 बजे से अपराह्न 3 बजे तक रखा जाए।
ऐसा करने से बच्चों को ठंड से बचने का समय मिलेगा और उनका स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा। इसके साथ ही, बच्चों की पढ़ाई भी अच्छे से हो सकेगी, क्योंकि वे कम ठंड में स्कूल जाएंगे और बेहतर तरीके से अपनी कक्षाओं में ध्यान लगा पाएंगे।
इतिहास पर नजर डालें तो यह पहली बार नहीं है जब ठंडी के मौसम में बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल समय में बदलाव की मांग की गई हो। पिछले साल भी ऐसे कई मामले सामने आए थे, जब सर्दी के कारण बच्चों की तबीयत खराब हो गई थी और स्कूलों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हुई थीं। हालांकि, इस बार शीतलहरी के प्रकोप के कारण यह मुद्दा और भी ज्यादा गंभीर हो गया है।
सामाजिक संगठनों और शिक्षाविदों ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि बच्चों का स्वास्थ्य सबसे पहले आता है, और ठंडी के दिनों में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। ठंड में बच्चों का स्कूल जाना उनके लिए एक स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है, और इसे टालने के लिए स्कूल समय में बदलाव जरूरी है।
अब यह देखना होगा कि क्या स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग इस मांग को गंभीरता से लेते हुए स्कूल समय में बदलाव करते हैं, या फिर बच्चों के स्वास्थ्य पर होने वाले खतरे को नजरअंदाज किया जाएगा। इस मामले में जल्द ही कोई सकारात्मक कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।
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