Jamshedpur Child Marriage : जमशेदपुर के एमजीएम थाना क्षेत्र में 14 वर्षीय नाबालिग की शादी के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। जानिए पूरा मामला और बाल विवाह रोकथाम के कानून।

जमशेदपुर के एमजीएम थाना क्षेत्र में 14 वर्षीय नाबालिग की शादी के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। जानिए पूरा मामला और बाल विवाह रोकथाम के कानून।

Jan 14, 2025 - 09:31
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Jamshedpur Child Marriage : जमशेदपुर के एमजीएम थाना क्षेत्र में 14 वर्षीय नाबालिग की शादी के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। जानिए पूरा मामला और बाल विवाह रोकथाम के कानून।
Jamshedpur Child Marriage : जमशेदपुर के एमजीएम थाना क्षेत्र में 14 वर्षीय नाबालिग की शादी के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। जानिए पूरा मामला और बाल विवाह रोकथाम के कानून।

जमशेदपुर के एमजीएम थाना क्षेत्र में नाबालिग विवाह का एक मामला सामने आया, जिसमें पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि बाल विवाह जैसी प्रथाएं आज भी मौजूद हैं, जिन पर रोक लगाने की जरूरत है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला अप्रैल 2024 का है जब देवघर गांव की एक 14 वर्षीय नाबालिग की शादी करवा दी गई।

  • पीड़िता के पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर थी।
  • पड़ोसी महेश ठाकुर ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पीड़िता के पिता को बहकाया।
  • पीड़िता की शादी पारडीह काली मंदिर में बरेली के निवासी टिंकू बाबू से करवा दी गई।

कुछ महीनों बाद जब पीड़िता अपने मायके लौटी, तो मामले ने एक नया मोड़ लिया।

कैसे हुआ मामला उजागर?

पीड़िता के वापस लौटने के बाद, पड़ोसी महेश ठाकुर ने उस पर दबाव बनाना शुरू किया।

  • पीड़िता ने बताया कि महेश ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।
  • गांव की महिलाओं को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने हिम्मत दिखाई और एमजीएम थाना पहुंचकर पुलिस को सूचना दी।
  • पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ़्तार किया।

पुलिस ने क्या कदम उठाए?

पुलिस ने पीड़िता के बयान दर्ज कराकर जमशेदपुर न्यायालय में प्रस्तुत किया।

  • दोनों आरोपियों महेश ठाकुर और टिंकू बाबू को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • मामले की एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई।
  • पुलिस ने पीड़िता को सुरक्षा और परामर्श देने का भी आश्वासन दिया।

बाल विवाह: क्यों है यह गैरकानूनी?

भारत में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 लागू है।

  • 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के की शादी अवैध मानी जाती है।
  • बाल विवाह से जुड़े मामलों में दोषियों को 2 साल तक की सज़ा और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

इतिहास: बाल विवाह की जड़ें कहां से आईं?

भारत में बाल विवाह एक पुरानी सामाजिक कुप्रथा रही है, जो मुख्यतः आर्थिक असमानता और रूढ़िवादी सोच के कारण पनपी।

  • 19वीं सदी में समाज सुधारकों जैसे राजा राम मोहन रॉय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने इसके खिलाफ आवाज उठाई।
  • 1929 में शारदा एक्ट लागू किया गया, जिसने इसे प्रतिबंधित करने का पहला कानूनी प्रयास किया।
  • 2006 में इसे और सख्त बनाते हुए बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया।

बाल विवाह के दुष्परिणाम

बाल विवाह समाज में कई नकारात्मक प्रभाव डालता है:

  1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • कम उम्र में विवाह से मातृत्व स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है।
  2. शिक्षा बाधित:
    • नाबालिग लड़कियों की शिक्षा रुक जाती है।
  3. आर्थिक असमानता:
    • गरीबी और सामाजिक पिछड़ापन बना रहता है।

समाज को कैसे सतर्क रहना चाहिए?

  1. जागरूकता बढ़ाएं:
    • स्थानीय पंचायत और स्कूलों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
  2. कानूनी मदद लें:
    • बाल विवाह की सूचना मिलने पर तुरंत 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन पर कॉल करें।
  3. पारिवारिक शिक्षा:
    • माता-पिता को सही शिक्षा और आर्थिक योजनाओं के बारे में जानकारी दें।

 जागरूक रहें, सतर्क रहें

यह मामला समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए सामाजिक जागरूकता और कानूनी सख्ती दोनों की जरूरत है। पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन हमें एक जिम्मेदार समाज बनकर इसे रोकने में सहयोग करना चाहिए।

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