Jamshedpur Crime: बिरसानगर में बड़ा चोरी कांड, पुलिस ने 5 अपराधियों को किया गिरफ्तार
जमशेदपुर के बिरसानगर थाना क्षेत्र में चोरी के बड़े मामले का खुलासा। पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक सुनार भी शामिल है। जानिए कैसे चोरी के गहनों को गलाने की साजिश बनी और कैसे पुलिस ने किया पर्दाफाश।

जमशेदपुर: शहर के बिरसानगर थाना क्षेत्र में हुए बड़े चोरी कांड का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। इस मामले में कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 4 कुख्यात हिस्ट्रीशीटर हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि चोरी का माल खरीदने वाला पांचवां आरोपी एक स्वर्ण व्यवसायी निकला, जो चोरी का सोना सस्ते में खरीदकर गलाता था।
बिरसानगर में कैसे अंजाम दिया गया चोरी का खेल?
चोरों ने इस वारदात को 16 मार्च की रात अंजाम दिया। पुलिस के मुताबिक, ये चारों हिस्ट्रीशीटर बंद घरों को निशाना बनाते थे। उस रात उन्होंने एक बंद घर का ताला तोड़ा और सोने-चांदी के गहने, नकदी समेत कई कीमती सामान पर हाथ साफ कर दिया।
गिरफ्तार आरोपी कौन-कौन?
- सतपाल सिंह (38) - सिदगोड़ा निवासी, पुराना अपराधी
- जगजीत सिंह उर्फ सोनू सिंह उर्फ सोनू बदनाम (23) - गोलमुरी निवासी, शातिर चोर
- संतोष सिंह (22) - बिरसानगर निवासी, कई मामलों में वांछित
- प्रीतपाल सिंह उर्फ सोनू लड्डू (35) - सिदगोड़ा निवासी, चोरी का मास्टरमाइंड
- जीतू कुमार वर्मा (40) - मानगो गुरुद्वारा रोड निवासी, ज्वेलरी व्यापारी
इन अपराधियों से पुलिस ने 2 लाख रुपये मूल्य के गहने, तीन मोटरसाइकिल, 2 मोबाइल फोन और 4500 रुपये नकद बरामद किए हैं।
सोने का गला घोंटने वाला सुनार!
चोरी के बाद यह गिरोह जीतू कुमार वर्मा नामक ज्वेलरी व्यापारी के पास गया और गहने सस्ते दामों में बेच दिए। वर्मा ने गहनों को गलाकर सोने में बदलने की पूरी योजना बना ली थी, ताकि चोरी के गहनों की पहचान न हो सके। लेकिन पुलिस की सतर्कता से साजिश पर पानी फिर गया और सभी आरोपी दबोच लिए गए।
इतिहास में चोरी और सुनार का कनेक्शन
चोरी और सुनारों के बीच सांठगांठ कोई नई बात नहीं है। इतिहास गवाह है कि पुराने जमाने में भी चोरी का माल गलाने और उसे बेचने का खेल सुनारों के जरिए ही खेला जाता था।
- मुगलकाल: शाही महलों में भीतरी लोगों द्वारा कीमती गहने चुराए जाते थे, जिन्हें स्थानीय सुनारों के जरिए छुपाकर बेचा जाता था।
- ब्रिटिश राज: कई कुख्यात चोरों की कहानी सुनारों से जुड़ी रही, जो चोरी के गहनों को पिघलाकर उन्हें फिर से बाजार में बेचते थे।
- आधुनिक अपराध: आज भी चोरी के गहनों को आसानी से बेचने के लिए ज्वेलर्स का नेटवर्क काम करता है।
कैसे हुआ पुलिस को सुराग?
बिरसानगर चोरी मामले की जांच कर रही पुलिस टीम ने जब अपराधियों का नेटवर्क खंगाला, तो उन्हें सबसे पहले स्थानीय अपराधियों की गतिविधियों पर शक हुआ। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर कुछ संदिग्धों को पकड़ा और पूछताछ के दौरान चोरी की पूरी साजिश सामने आ गई।
क्या बरामद हुआ?
- सोने का गलाया हुआ सामान
- कानबाली और जितिया जैसे आभूषण
- तीन मोटरसाइकिल
- दो मोबाइल फोन
- 4500 रुपये नकद
क्या यह गिरोह पहले भी सक्रिय था?
पुलिस के अनुसार, ये अपराधी पहले भी कई चोरी की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। खासकर बंद घरों को निशाना बनाना इनकी खासियत थी। एक बार घर की रेकी करने के बाद ये चोरी की योजना बनाते और वारदात को अंजाम देकर तुरंत माल ठिकाने लगा देते थे।
क्या पुलिस को मिलेगी इस गिरोह के और सदस्यों की जानकारी?
अभी पुलिस जांच कर रही है कि क्या इस गिरोह के और भी सदस्य हैं? हो सकता है कि ये सिर्फ एक बड़ी आपराधिक चेन का छोटा हिस्सा हो। पुलिस फिलहाल इनसे पूछताछ कर रही है और जल्द ही इससे जुड़े अन्य अपराधियों की गिरफ्तारी संभव है।
अब आगे क्या?
- क्या पुलिस इन अपराधियों से और बड़े खुलासे करवा पाएगी?
- क्या जमशेदपुर में चोरी का संगठित गिरोह काम कर रहा है?
- क्या सुनारों की भूमिका को लेकर पुलिस और जांच करेगी?
बिरसानगर चोरी कांड का पर्दाफाश हो चुका है, लेकिन सवाल यह है कि क्या शहर में ऐसी घटनाएं रुकेंगी? या फिर अपराधी नए तरीकों से वारदातों को अंजाम देते रहेंगे?
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