Jharkhand Alert: जंगल से गांव में घुसा हाथी, मांगे गए मशाल और पटाखे तुरंत
गुड़ाबांदा की सिंहपुरा पंचायत में दहशत! नामोशोल जंगल में अचानक हाथी के घुसने से ग्रामीण भयभीत। वन विभाग से तुरंत क्या मदद मांगी गई? जानें क्यों यह इलाका हाथियों के लिए सबसे बड़ा गलियारा है और कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है।
गुड़ाबांदा, 6 दिसंबर 2025 – गुड़ाबांदा प्रखंड की सिंहपुरा पंचायत के नामोशोल जंगल में शनिवार को एक विशाल हाथी के प्रवेश से पूरे क्षेत्र में दहशत और भय का माहौल बन गया है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब यह इलाका पहले से ही हाथी-मानव संघर्ष के लिए चर्चित है।
जंगल से सटे गांवों में खतरा बढ़ा
ग्रामीणों ने बताया कि नामोशोल और आसपास के गांव सीधे जंगल से जुड़े हुए हैं। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के कारण जंगली जानवरों का मानव बस्तियों में आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाथी के आने से लोग अपनी जान-माल की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं।
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इतिहास और गलियारा: विशेषज्ञों के अनुसार, झारखंड का यह पूर्वी हिस्सा हाथियों के प्राचीन प्रवास का एक प्रमुख गलियारा रहा है। विकास और मानवीय गतिविधियों के कारण इनके रास्तों में अवरोध आने से यह जानवर भोजन और पानी की तलाश में गांवों का रुख करते हैं, जिससे संघर्ष की स्थिति बनती है।
वन विभाग से तुरंत मदद की मांग
ग्रामीणों ने वन विभाग के पदाधिकारी से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते विभाग के कर्मी हाथी को गांव से दूर किसी सुरक्षित स्थान तक पहुंचाएं, ताकि लोगों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।
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सामग्री की आवश्यकता: इसके साथ ही, ग्रामीणों ने वन विभाग से हाथी को भगाने के लिए उपकरण और सामग्री उपलब्ध कराने की भी मांग की है। इन सामग्रियों में मशाल, पटाखें और अन्य सामान शामिल हैं, जिनका उपयोग तेज आवाज और रोशनी पैदा करके हाथी को भगाने के लिए किया जाता है।
फिलहाल वन विभाग की टीम के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है, जबकि स्थानीय लोग सतर्कता बरतते हुए हाथी पर नजर रखे हुए हैं। इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में वन और जीव संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने की जटिलता को दर्शाती हैं।
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