Jharkhand Domestic Violence : Giridih: बेटी के जन्म पर महिला को घर से निकाला, 5 लाख की मांग और जान से मारने की कोशिश
झारखंड के गिरिडीह में बेटी के जन्म पर महिला को घर से निकाला गया और 5 लाख रुपये की मांग की गई। जान से मारने की कोशिश और पुलिस कार्रवाई का मामला।
झारखंड के गिरिडीह जिले में एक महिला के साथ उसके ससुराल वालों द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है। महिला ने आरोप लगाया है कि उसे बेटी के जन्म देने पर घर से निकाल दिया गया और उसकी जान से मारने की कोशिश भी की गई। पीड़िता प्रीति देवी ने इस मामले में ससुराल वालों के खिलाफ थाना कांड संख्या 122/2024 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है, लेकिन पुलिस की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या था मामला?
घटना गिरिडीह के बेंगाबाद थाना क्षेत्र के मेहाबांक गांव की है। प्रीति देवी की शादी आठ साल पहले मेहाबांक के मनुलाल से हुई थी। शादी के बाद, उसने दो बेटियों को जन्म दिया। बेटी के जन्म के बाद, ससुराल वाले उससे न केवल उलाहना देने लगे, बल्कि उसे तंग करने के लिए शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना भी देने लगे। आरोप है कि ससुराल वाले अपनी बेटियों की शादी के लिए 5 लाख रुपये की मांग करने लगे, जो कि प्रीति के गरीब माता-पिता के लिए देना असंभव था।
कुएं में डालने की कोशिश
महिला के मुताबिक, जब उसने 5 लाख रुपये लाने से मना किया, तो उसके ससुराल वालों ने उसे कुएं में डालने की कोशिश की। यह स्थिति बहुत गंभीर हो गई थी, लेकिन किसी तरह महिला ने अपनी जान बचाई। इस घटनाक्रम के बाद समाज में पंचायत भी हुई, और गिरिडीह महिला थाना में ससुराल वालों ने समझौता भी किया, लेकिन उन्होंने अपनी हरकतों से बाज नहीं आए।
घर से निकालने की घटना
सबसे चौंकाने वाली घटना 8 अक्टूबर 2023 को घटी, जब ससुराल वालों ने रात के अंधेरे में प्रीति देवी को उसके दोनों बच्चों के साथ घर से निकाल दिया। महिला के अनुसार, उसके दोनों बच्चों को ससुराल वालों ने अपने पास रख लिया और वह मजबूरी में मायके जाने को विवश हो गई। इस घटना के बाद, प्रीति ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन तीन महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आरोपी ससुराल वालों को गिरफ्तार नहीं किया गया।
पुलिस कार्रवाई की मांग
प्रीति देवी ने इस मामले में गिरिडीह पुलिस से न्याय की मांग की है, लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़िता ने गिरिडीह एसपी के पास भी पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई, लेकिन फिर भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, महिला ने आरोपियों के खिलाफ कानूनी धाराओं के तहत गिरफ्तारी का भी आग्रह किया है।
महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा: एक गंभीर मुद्दा
यह घटना एक उदाहरण है कि किस तरह घरेलू हिंसा और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव आज भी समाज में व्याप्त है। जबकि भारतीय कानून महिलाओं के अधिकारों को लेकर सख्त है, फिर भी इन मामलों में अक्सर पर्याप्त कार्रवाई नहीं होती। महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए समाज और कानून को और सशक्त करने की आवश्यकता है।
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