Dhanbad Scandal: ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में बड़ा खुलासा, पोस्टमास्टर गिरफ्तार!
धनबाद में सीबीआई का बड़ा खुलासा! पोस्टमास्टर रिश्वत लेते गिरफ्तार, ट्रांसफर-पोस्टिंग सिंडिकेट का पर्दाफाश! जानिए पूरी खबर।
धनबाद: सरकारी दफ्तरों में ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर चल रहे गुप्त खेल का पर्दाफाश हो गया है! सीबीआई ने बीसीसीएल टाउनशिप कोयलानगर पोस्ट ऑफिस के पोस्टमास्टर प्रभात रंजन को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह मामला अब पूरे झारखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है।
कैसे हुआ खुलासा?
सीबीआई को लंबे समय से धनबाद के पोस्ट ऑफिस से जुड़े ट्रांसफर-पोस्टिंग सिंडिकेट की जानकारी मिल रही थी। जांच में सामने आया कि प्रभात रंजन ट्रांसफर-पोस्टिंग का बड़ा खिलाड़ी है और उसकी पहुंच सिर्फ स्थानीय हेड पोस्ट ऑफिस तक ही नहीं, बल्कि सर्किल स्तर तक है।
गुरुवार को सीबीआई की टीम ने अचानक कार्रवाई करते हुए उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। सूत्रों के मुताबिक, यह ऑपरेशन पूरी तरह गोपनीय रखा गया था, ताकि कोई सुराग लीक न हो सके।
पोस्टमास्टर का ‘नेटवर्क’ कितना बड़ा?
बीएमएस (भारतीय मजदूर संघ) का सर्किल सेक्रेटरी होने के कारण प्रभात रंजन की प्रशासन में गहरी पकड़ थी।
ट्रांसफर और पोस्टिंग के नाम पर पैसों की वसूली करता था।
सिर्फ पोस्ट ऑफिस ही नहीं, बल्कि कई सरकारी विभागों में उसकी सिफारिश चलती थी।
क्या ट्रांसफर-पोस्टिंग में रिश्वत नई बात है?
नहीं! भारत में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल कोई नया नहीं है।
1950 के दशक से ही सरकारी विभागों में अपने पसंदीदा पदों पर नियुक्ति के लिए ऊपरी लेवल पर सांठगांठ होती रही है। कई मामलों में अधिकारियों पर दबाव बनाकर मनचाही पोस्टिंग लेने के लिए पैसे दिए जाते रहे हैं।
धनबाद जैसे औद्योगिक क्षेत्र में तो यह खेल और भी बड़ा हो जाता है। कोयला खदानों, रेलवे और पोस्टल डिपार्टमेंट में ट्रांसफर को लेकर पहले भी कई बार बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं।
गिरफ्तारी के बाद क्या होगा?
सीबीआई अब प्रभात रंजन से पूछताछ कर रही है और उसके नेटवर्क को खंगाल रही है। यह जांच सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अब यह भी देखा जाएगा कि इस सिंडिकेट से और कौन-कौन जुड़े हुए थे?
बड़े सवाल उठते हैं:
- क्या प्रभात रंजन अकेले यह खेल चला रहा था या कोई और भी शामिल है?
- क्या इसमें बड़े अधिकारियों की मिलीभगत थी?
- क्या सीबीआई अन्य विभागों में भी ऐसे रैकेट का खुलासा करेगी?
जनता में आक्रोश!
धनबाद के लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिर सरकारी पदों पर पारदर्शिता कब आएगी? इस तरह की नियुक्तियां ईमानदार कर्मचारियों को पीछे धकेलती हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं।
सीबीआई की इस कार्रवाई से एक बड़ा रैकेट सामने आया है। आने वाले दिनों में और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। क्या यह मामला सिर्फ पोस्ट ऑफिस तक सीमित रहेगा या झारखंड में एक बड़े भ्रष्टाचार के खेल का पर्दाफाश होगा? यह देखने वाली बात होगी।
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