Dhanbad Tragedy: प्रसव के बाद मां की मौत, नवजात को छोड़ गए परिजन
धनबाद के निजी अस्पताल में प्रसव के बाद मां की मौत और परिजनों द्वारा नवजात बच्ची को छोड़कर चले जाने का मामला। जानिए इस दर्दनाक घटना का पूरा सच और बच्ची के भविष्य की योजना।
धनबाद के एक निजी अस्पताल में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। बच्ची के जन्म के तुरंत बाद उसकी मां की मौत हो गई, और परिजन नवजात को अस्पताल में छोड़कर चले गए। बच्ची की हालत गंभीर है और वह एनआइसीयू में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।
जन्म के साथ ही जीवन में अंधेरा
गिरिडीह की रहने वाली महिला को प्रसव के दौरान जटिलताओं के कारण धनबाद के आठ लेन स्थित एक निजी अस्पताल में रेफर किया गया था।
- प्रसव के बाद मौत:
महिला की डिलीवरी के तुरंत बाद हालत बिगड़ी और उसने दम तोड़ दिया। - नवजात की स्थिति:
नवजात बच्ची की भी स्थिति गंभीर है और वह फिलहाल एनआइसीयू में भर्ती है।
मां की मौत और परिजनों का रवैया
मां की मौत के बाद परिजन यह कहकर चले गए कि उन्हें महिला के अंतिम संस्कार की तैयारी करनी है। लेकिन उसके बाद वे वापस लौटकर नहीं आए।
- अस्पताल प्रबंधन का बयान:
"परिजनों ने बच्ची को अस्पताल में छोड़ दिया। अब बच्ची का इलाज अस्पताल अपने खर्चे पर करवा रहा है।"
सीडब्ल्यूसी और पुलिस की सक्रियता
अस्पताल प्रबंधन ने इस घटना की जानकारी पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडब्ल्यूसी) को दी।
- सीडब्ल्यूसी का बयान:
सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने बताया, "परिजनों से संपर्क करने के लिए अस्पताल के रिकॉर्ड में दर्ज मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया। बच्ची के पिता बाहर काम करते हैं और उन्हें काउंसलिंग की गई है।"
परिजनों का निर्णय और बच्ची का भविष्य
सीडब्ल्यूसी ने परिजनों से स्पष्ट कर दिया कि यदि वे बच्ची को अपनाने के इच्छुक नहीं हैं, तो उन्हें उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत सीडब्ल्यूसी को सौंपना होगा।
- दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया:
कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद बच्ची को विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र भेजा जाएगा, जहां उसे दत्तक लेने के लिए तैयार किया जाएगा। - अस्थायी देखभाल:
जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक बच्ची की देखभाल सीडब्ल्यूसी करेगी।
झारखंड में नवजातों का त्याग: एक कड़वी सच्चाई
झारखंड में नवजात बच्चों को त्यागने की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं।
- आंकड़े बताते हैं:
एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के अनुसार, हर साल झारखंड में कई नवजात बच्चों को त्यागा जाता है। - समाज की भूमिका:
सामाजिक दबाव और गरीबी अक्सर परिजनों को ऐसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर करती है।
नवजात को अपनाने की अपील
सीडब्ल्यूसी और अस्पताल प्रशासन ने इस बच्ची को नई जिंदगी देने के लिए दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्णय लिया है।
- अस्पताल की अपील:
"हम इस बच्ची के लिए एक ऐसा परिवार चाहते हैं जो उसे प्यार और सुरक्षा दे सके।"
आपकी राय:
क्या इस बच्ची के परिजनों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए, या उनकी मजबूरियों को समझना चाहिए? आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? अपनी राय नीचे कमेंट करें।
धनबाद की यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि नवजात बच्चों और मातृत्व से जुड़े मुद्दों पर हमें और अधिक संवेदनशील होने की जरूरत है। इस बच्ची का भविष्य समाज और प्रशासन के प्रयासों पर निर्भर है।
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