Dhanbad GST Scam: सौरभ सिंघल और उनके पार्टनर्स पर बड़ा घोटाला, फर्जी कंपनियों का मामला 400 करोड़ तक पहुंचा!
धनबाद में जीएसटी चोरी के मामले में सौरभ सिंघल और उनके पार्टनर्स पर बड़ा घोटाला सामने आया! पढ़ें कैसे 30 फर्जी कंपनियों के माध्यम से 400 करोड़ की गड़बड़ी की जा रही थी।
धनबाद: झारखंड के धनबाद में सौरभ सिंघल और उनके पार्टनर्स पर चल रही जीएसटी चोरी की जांच अब 400 करोड़ रुपए के घोटाले तक पहुंच चुकी है। पहले 25 फर्जी कंपनियों के जरिए 150 करोड़ रुपए की गड़बड़ी सामने आई थी, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 400 करोड़ रुपए के आसपास पहुंच गया है। इस मामले में फर्जी कंपनियों की संख्या भी बढ़कर 30 हो गई है, और जांच में नए नाम भी सामने आए हैं। डीजीजीआई जमशेदपुर की टीम ने शुक्रवार से शुरू हुई छापेमारी शनिवार को भी जारी रखी, जिससे और भी कई नई जानकारी सामने आ रही है।
फर्जी कंपनियों का खुलासा: हवेली अपार्टमेंट और वृंदावन कॉलोनी से नई कंपनियों का पर्दाफाश
डीजीजीआई की टीम के अधिकारियों के अनुसार, सौरभ सिंघल के पार्टनर शिवम सिंह के हवेली अपार्टमेंट स्थित फ्लैट संख्या 303, 505, और 901 में छापेमारी के दौरान कई नई फर्जी कंपनियों का पता चला है। इसके अलावा, दूसरे पार्टनर मिथिलेश सिंह उर्फ सोनू सिंह की सरायढेला गोल बिल्डिंग स्थित वृंदावन कॉलोनी में भी भगवती इंटरप्राइजेज और भगवती माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्जी कंपनियों का पता चला है। इस मामले में इन कंपनियों के खिलाफ भी छापेमारी की जा रही है।
अब तक की जांच में यह सामने आया है कि 30 फर्जी कंपनियों के जरिए 400 करोड़ रुपए से अधिक का इनवॉइस जारी किया गया। इनवॉइस के माध्यम से इन फर्जी कंपनियों ने कोयले की खरीदारी की और इनपुट रजिस्टर में टैक्स की देनदारी दिखाई। इसके बाद, फर्जी तरीके से कोयला बेचने पर टैक्स में छूट ली जाती थी, जो कि एक बड़ा घोटाला था।
पुलिस की छापेमारी में बरामद कैश और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस
डीजीजीआई की टीम ने सौरभ सिंघल और उनके पार्टनर शिवम सिंह के हवेली अपार्टमेंट स्थित तीन फ्लैट्स में जबर्दस्त छापेमारी की। इस दौरान, टीम ने कैश, नोट गिनने की तीन मशीन, 6 लैपटॉप, 10 कंप्यूटर, 8 से 10 मोबाइल फोन, पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क की बड़ी संख्या बरामद की। इस छापेमारी से यह साफ हो गया कि यह घोटाला बहुत ही संगठित और सुनियोजित था।
छापेमारी का असर: मामले में नए खुलासे की संभावना
डीजीजीआई अधिकारियों के मुताबिक, छापेमारी की कार्रवाई अभी भी जारी है और नई फर्जी कंपनियों का पर्दाफाश होने की संभावना है। इस मामले में घोटाले की रकम और बढ़ सकती है, क्योंकि अभी कई और दस्तावेज़ और प्रमाण पुलिस और डीजीजीआई टीम द्वारा खंगाले जा रहे हैं।
यह घटनाक्रम दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग सरकारी टैक्स सिस्टम में संगठित तरीके से धोखाधड़ी करके न केवल राजस्व की हानि करते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इस मामले में नियंत्रण और जांच की सख्ती को देखते हुए, यह उम्मीद जताई जा रही है कि घोटाले में शामिल सभी आरोपियों को जल्द पकड़ा जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्यों जरूरी है सख्त जांच?
इस मामले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि जीएसटी सिस्टम और संबंधित अधिकारियों को हर स्तर पर चौकसी बरतने की आवश्यकता है। बिना सही निगरानी के, इस तरह के फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी बड़े पैमाने पर फैल सकते हैं। अब यह जरूरी है कि सरकार और जांच एजेंसियां ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानूनी कदम उठाएं, ताकि आर्थिक धोखाधड़ी पर काबू पाया जा सके।
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