Dhanbad Fraud: साइबर ठगी का मास्टरमाइंड निकला पप्पू साव, पत्नी के साथ मिलकर बना चुका करोड़ों का नेटवर्क!
धनबाद के नावाडीह से गिरफ्तार हुआ साइबर ठग पप्पू साव, जिसने पत्नी के साथ मिलकर एक करोड़ से ज्यादा की ठगी की। उत्तराखंड पुलिस ने ट्रांजिट रिमांड पर लिया अपने साथ। जानिए कैसे चलता था इनका हाई-टेक फ्रॉड नेटवर्क।

साइबर ठगी अब छोटे-मोटे अपराधियों का खेल नहीं रहा। यह अब एक संगठित अपराध बन चुका है, जहां टेक्नोलॉजी, चालाकी और फर्जीवाड़ा का मिला-जुला चेहरा नजर आता है। ताजा मामला झारखंड के धनबाद जिले के नावाडीह निवासी पप्पू साव का है, जिसे उत्तराखंड पुलिस ने सोमवार को धनबाद पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया है।
कैसे हुआ खुलासा? एक सिम कार्ड से पहुंची पुलिस अपराधी तक
उत्तराखंड के तेहरी गढ़वाल जिले के कंप्टी थाना में दर्ज कांड संख्या 29/2024 के तहत 318(4), 61(2) बीएनएस और आईटी एक्ट 66 की धाराओं में मामला दर्ज था।
यह केस एक स्थानीय व्यवसायी के साथ 18.50 लाख रुपये की साइबर ठगी का था। पप्पू और उसकी पत्नी अनिता ने घटना को अंजाम देने के बाद सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया ताकि उनका पता न चल सके। लेकिन पुलिस ने मोबाइल के IMEI नंबर से उनकी लोकेशन ट्रैक की और पाया कि यह जोड़ा धनबाद के नावाडीह में रह रहा है।
फिर क्या था — उत्तराखंड पुलिस ने धनबाद पुलिस के साथ मिलकर पप्पू को धर दबोचा, और धनबाद कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड पर उसे उत्तराखंड ले जाया गया।
अनिता कुमारी को मिला नोटिस, फिर भी कई सवाल अधूरे...
इस केस में पप्पू की पत्नी अनिता कुमारी भी आरोपी है। पुलिस ने उसे 35(3) बीएनएस का नोटिस थमाया है और जवाब मांगा है। दोनों का साझा बैंकिंग नेटवर्क, साझी साजिश और तेजी से बढ़ता फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पूरी कहानी को एक संगठित साइबर क्राइम का शक्ल देता है।
पुलिस के मुताबिक, इनके खातों में रोजाना 4 से 5 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन होता था। अब तक की जांच में यह जोड़ा एक करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है।
पुराना खिलाड़ी है पप्पू! 2016 में भी गया था जेल
धनबाद थाना प्रभारी इंस्पेक्टर आरएन ठाकुर बताते हैं कि यह कोई पहला मामला नहीं है। वर्ष 2016 में भी पप्पू साव को साइबर ठगी के केस में जेल भेजा गया था। लेकिन जेल से छूटने के बाद उसने सबक सीखने की बजाय, ठगी के तरीकों को और भी आधुनिक और सुरक्षित बना लिया।
वह लगातार साइबर अपराध से जुड़ा रहा और सैकड़ों लोगों को ठगता रहा। इस बार उसने उत्तराखंड के एक व्यापारी को निशाना बनाया, लेकिन इस बार पुलिस की तकनीकी निगरानी से नहीं बच सका।
साइबर ठगी का बदलता चेहरा
साइबर क्राइम अब केवल OTP या कॉल सेंटर स्कैम तक सीमित नहीं रह गया है। अब यह एक जटिल नेटवर्क बन चुका है जहां फर्जी बैंक खाते, फर्जी डॉक्यूमेंट, डिजिटल वॉलेट और क्रिप्टो जैसी चीजें इस्तेमाल की जाती हैं।
पप्पू और अनिता जैसे अपराधी इस पूरे सिस्टम को पति-पत्नी की जोड़ी में ऑपरेट कर रहे थे, जिससे शक की गुंजाइश और भी कम हो जाती थी। उनके नेटवर्क का विस्तार अब भी जांच का विषय बना हुआ है।
आखिर क्या है सबक?
धनबाद से लेकर उत्तराखंड तक फैले इस केस ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि साइबर अपराधियों का जाल अब सीमाओं से परे जा चुका है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस राज्य में हैं, अगर आपकी जानकारी असुरक्षित है, तो अगला नंबर आपका भी हो सकता है।
साइबर सुरक्षा आज की जरूरत है
पप्पू साव जैसे अपराधियों को पकड़ना केवल पुलिस की जीत नहीं है, यह सामाजिक चेतना की जीत है। लेकिन इस जीत को स्थायी बनाना तभी संभव है जब आम लोग साइबर जागरूकता को अपनाएं, संदिग्ध कॉल या लिंक से बचें, और अपने डिजिटल डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
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