Giridih Shock: अखाड़े में करतब दिखाते पिता की अचानक मौत, रामनवमी की खुशियां पलभर में मातम में बदली!

गिरिडीह के मधवाडीह गांव में रामनवमी पर आयोजित अखाड़ा के दौरान पिता-पुत्र का करतब गांव वालों को रोमांचित कर रहा था, तभी अचानक पिता को पड़ा दिल का दौरा और मौके पर ही हो गई मौत। जानिए कैसे खुशियों का माहौल एक पल में मातम में बदल गया।

Apr 8, 2025 - 19:34
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Giridih Shock: अखाड़े में करतब दिखाते पिता की अचानक मौत, रामनवमी की खुशियां पलभर में मातम में बदली!
Giridih Shock: अखाड़े में करतब दिखाते पिता की अचानक मौत, रामनवमी की खुशियां पलभर में मातम में बदली!

झारखंड के गिरिडीह जिले के मधवाडीह गांव में रामनवमी के मौके पर आयोजित अखाड़ा उस समय सन्नाटे में बदल गया जब पिता-पुत्र की जोड़ी का प्रदर्शन करते-करते अचानक एक दर्दनाक हादसा हो गया। सैकड़ों की भीड़ के बीच हो रही वाहवाही और तालियों की गूंज को पलभर में चीख-पुकार ने दबा दिया।

इस दिल दहला देने वाली घटना में 55 वर्षीय सुखदेव प्रसाद यादव की मंच पर ही हार्ट अटैक से मौत हो गई। यह हादसा न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक असहनीय क्षति बन गया है।

कैसे हुआ हादसा?

रविवार को रामनवमी के शुभ अवसर पर गांव के बजरंगबली मंदिर प्रांगण में पारंपरिक अखाड़े का आयोजन किया गया था। यह अखाड़ा वर्षों पुरानी परंपरा रही है जहां गांव के लोग लाठी, कुश्ती और करतब के माध्यम से अपनी वीरता और परंपरा का प्रदर्शन करते हैं।

इस बार भी गांववालों में भारी उत्साह था। भीड़ जमा थी और माहौल पूरी तरह भक्तिमय और जोश से भरा हुआ था। इसी मंच पर गांव के ही सुखदेव यादव अपने बेटे विक्की यादव के साथ लाठी चलाने का करतब दिखाने उतरे।

ढोल-नगाड़ों की धुन पर पिता-पुत्र की जोड़ी की कलाबाजियां लोगों को रोमांचित कर रही थीं। हर वार, हर चाल पर तालियों की गूंज सुनाई दे रही थी। लेकिन जैसे ही प्रदर्शन अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचा, सुखदेव यादव अचानक लड़खड़ाए और ज़मीन पर गिर पड़े।

कुछ ही मिनटों में सब खत्म हो गया

पहले तो लोग समझ नहीं पाए कि क्या हुआ। लगा जैसे कोई नया करतब होगा, लेकिन जब वह हिलना-डुलना बंद कर दिए, तब अफरातफरी मच गई। गांववालों ने दौड़कर उन्हें जगाने की कोशिश की, पर कोई हरकत नहीं हुई।

फौरन उन्हें महेशमुंडा स्थित अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पीछे छूटा भरा-पूरा परिवार

सुखदेव यादव अपने पीछे दो पुत्र और एक पुत्री सहित पूरा परिवार छोड़ गए हैं। वो न सिर्फ एक पिता थे, बल्कि गांव में एक प्रसिद्ध अखाड़ा कलाकार भी माने जाते थे। उनकी मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है।

परंपराओं की पृष्ठभूमि में छुपा दर्द

अखाड़े की परंपरा भारत में सदियों पुरानी है। यह न केवल एक शारीरिक कला का माध्यम है, बल्कि सामुदायिक एकता और संस्कृति का प्रतीक भी है। खासकर ग्रामीण इलाकों में रामनवमी जैसे पर्वों पर अखाड़ा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि गर्व और गौरव का विषय होता है।

लेकिन इस बार वही परंपरा एक परिवार की सबसे बड़ी पीड़ा बन गई।

क्या सीख मिलती है?

इस घटना ने एक बार फिर हमें याद दिलाया कि शारीरिक प्रदर्शन, चाहे वह कितनी भी परंपरागत हो, सावधानी और स्वास्थ्य जांच के बिना जोखिम भरा हो सकता है। 55 साल की उम्र में भी साहस दिखाने वाले सुखदेव यादव भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका जज्बा और हिम्मत हमेशा याद रहेगा।

पूरा गांव शोक में डूबा

घटना के बाद से पूरे मधवाडीह गांव में मातम पसरा हुआ है। जो मंदिर परिसर कुछ देर पहले जयकारों से गूंज रहा था, वहां अब चुप्पी और सिसकियों की आवाजें हैं। परिजन गहरे सदमे में हैं और गांव का हर व्यक्ति इस दर्द को महसूस कर रहा है।

परंपरा और सुरक्षा दोनों जरूरी

गांव की परंपराएं हमारी पहचान हैं, लेकिन समय के साथ सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी हो गया है। एक प्रदर्शन ने पूरे गांव को झकझोर दिया और यह घटना सबके लिए एक चेतावनी है कि कोई भी आयोजन हो, सबसे पहले ज़रूरी है—स्वास्थ्य की सुरक्षा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।