Chhatarpur Deaths: अवैध शराब से 15 दिन में 6 युवाओं की मौत, प्रशासन मूकदर्शक!

छतरपुर में अवैध शराब के सेवन से 15 दिनों में 6 युवाओं की मौत ने हड़कंप मचा दिया है। जानें कैसे जहरीली शराब ने ली युवाओं की जान और प्रशासन ने क्या कदम उठाए।

Dec 13, 2024 - 11:23
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Chhatarpur Deaths: अवैध शराब से 15 दिन में 6 युवाओं की मौत, प्रशासन मूकदर्शक!
Chhatarpur Deaths: अवैध शराब से 15 दिन में 6 युवाओं की मौत, प्रशासन मूकदर्शक!

पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड में अवैध शराब का कारोबार तेजी से पैर पसार रहा है और इसकी चपेट में सबसे ज्यादा युवा वर्ग आ रहा है। पिछले 15 दिनों में शराब पीने के कारण यहां 6 युवाओं की मौत हो चुकी है। जहरीली शराब से हो रही इन मौतों ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है, लेकिन पुलिस और प्रशासन अब तक मूकदर्शक बना हुआ है।

मृतकों में सुनार मोहल्ला के सरयू रजक के पुत्र अनिल रजक (40), बिरजू रजक के पुत्र गोपाल रजक (35), बस स्टैंड के स्वर्गीय कृष्णा चंद्रवंशी के पुत्र भोला चंद्रवंशी (35), बबन पासवान के पुत्र भीष्म पासवान, बाजार परिसर के अनिल चंद्रवंशी और दास मोहल्ला के सुनील दास का नाम शामिल है।

अवैध शराब माफिया का जाल

नगर पंचायत और प्रखंड के अलग-अलग हिस्सों में शराब माफिया बेधड़क अवैध शराब का कारोबार कर रहे हैं। क्षेत्र में कई महुआ की भट्टियां चल रही हैं, जहां शराब तैयार करने में खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है। इनमें कीटनाशक, यूरिया और कच्चा स्प्रिट शामिल हैं।

इसके अलावा, नकली अंग्रेजी शराब भी तैयार की जा रही है, जिसे होटलों और ढाबों में आसानी से बेचा जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को इन गतिविधियों की जानकारी है, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

जहरीली शराब का असर और डॉक्टरों का बयान

मृतकों की जांच के बाद चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश अग्रवाल ने बताया कि इन युवाओं को शराब की गंभीर लत थी। कई बार उनका इलाज भी किया गया, लेकिन दोबारा शराब पीने के कारण उनका लीवर संक्रमित हो गया, जिससे उनकी मौत हो गई।

डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि सहिया कार्यकर्ताओं के माध्यम से लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन इसका असर सीमित है। जहरीली शराब पीने के कारण लीवर फेल्योर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।

पुलिस की प्रतिक्रिया और कार्रवाई का दावा

छतरपुर के एसडीपीओ अवध कुमार यादव ने कहा कि अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। यदि शराब पीने से युवाओं की मौत हो रही है, तो इस बिंदु पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

हालांकि, स्थानीय निवासियों का मानना है कि प्रशासन की ओर से केवल खानापूर्ति की जा रही है। लोगों का कहना है कि अवैध शराब के खिलाफ ठोस कदम न उठाने की वजह से मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा है।

इतिहास में भी उठ चुके हैं ऐसे सवाल

भारत में अवैध शराब से मौतें कोई नई बात नहीं हैं। हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों में जहरीली शराब के कारण सैकड़ों मौतें होती हैं। 2019 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जहरीली शराब पीने से 100 से अधिक लोगों की जान गई थी। 2021 में बिहार में भी शराबबंदी के बावजूद 30 से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं।

यह घटनाएं सवाल खड़ा करती हैं कि क्या शराब माफिया पर काबू पाना इतना मुश्किल है? और यदि प्रशासन इन मौतों को रोकने में नाकाम हो रहा है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

अवैध शराब के खिलाफ जागरूकता अभियान की जरूरत

छतरपुर की इस घटना ने साफ कर दिया है कि अवैध शराब का जाल न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए बल्कि सामाजिक सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुका है। जागरूकता अभियानों के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी होगी।

छतरपुर में जहरीली शराब से हो रही मौतों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक प्रशासन मूकदर्शक बना रहेगा? युवाओं को इस मौत के जाल से बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिलकर काम करना होगा।

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