Bokaro Struggle: पेंशन के लिए 12 साल से भटक रहे भूषण कपरदार, मजबूरी में कर रहे मजदूरी
बोकारो के 72 वर्षीय भूषण कपरदार 12 साल से वृद्धा पेंशन के लिए भटक रहे हैं। मजबूरी में दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं। जानिए उनकी पूरी कहानी।
बोकारो: क्या बुढ़ापे में भी इंसान को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार नहीं? जरीडीह प्रखंड के गायछंदा पंचायत के बोकाडीह गांव के 72 वर्षीय भूषण कपरदार पिछले 12 वर्षों से वृद्धा पेंशन के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव पर, जहां उन्हें सहारे और सम्मान की जरूरत थी, वहां वह पेट भरने के लिए ईंट भट्ठे पर दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं।
पेंशन के लिए 12 साल का संघर्ष भूषण कपरदार की कहानी दिल को झकझोर देने वाली है। 12 साल पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने दो बार ‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम में आवेदन किया, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला। भूषण की झुकी हुई कमर और कांपते हाथ इस बात की गवाही देते हैं कि उन्होंने अब तक सरकारी राहत का सिर्फ इंतजार ही किया है।
तीन बेटों में कोई नहीं बना सहारा भूषण के तीन बेटे हैं, लेकिन दुख की बात है कि उनमें से कोई भी अपने बुजुर्ग पिता का सहारा नहीं बना। उल्टा, उन्होंने भूषण से जबरदस्ती पैसे लिए। आज भूषण अकेले ईंट भट्ठे पर मजदूरी कर अपने पेट की आग बुझा रहे हैं।
गांगजोरी गांव के स्थानीय निवासी राहुल सिंह ने बताया, "भूषण जी कई सालों से वृद्धा पेंशन के लिए दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन उनकी फरियाद आज तक किसी ने नहीं सुनी। बेटों ने भी उन्हें अकेला छोड़ दिया है।"
सरकारी योजनाओं की असफलता का प्रतीक झारखंड सरकार द्वारा वृद्धा पेंशन योजना 1995 में शुरू की गई थी, ताकि बुजुर्गों को वित्तीय सहायता मिल सके। लेकिन भूषण जैसे कई वृद्ध आज भी इस योजना का लाभ पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
क्या बोले भूषण? भूषण भावुक होकर कहते हैं, "क्या अब मरने के बाद पेंशन मिलेगी? दो बार आवेदन दे चुका हूं, लेकिन हर बार सिर्फ झूठे वादे ही मिले। पेट की आग बुझाने के लिए मजबूरन मजदूरी करनी पड़ रही है।"
स्थानीय प्रशासन से उम्मीदें अब सवाल उठता है कि क्या स्थानीय प्रशासन भूषण कपरदार जैसे जरूरतमंदों की मदद करेगा? क्या सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिलेगा? भूषण का संघर्ष सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन लाखों वृद्धों की कहानी है, जो अपनी अंतिम उम्र में सम्मान और अधिकारों से वंचित हैं।
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