Bhounra land protest : मुआवजा नहीं, फिर भी BCCL ने शुरू किया निर्माण कार्य, रैयत बोले- पहले हक़ दो, फिर बुलडोज़र चलाओ!
भौंरा टैक्सी स्टैंड के पास खाली जमीन पर BCCL द्वारा कांटा घर निर्माण को लेकर स्थानीय रैयतों ने मुआवजा न मिलने का हवाला देते हुए जोरदार विरोध दर्ज कराया। जानिए इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी।

धनबाद कोयलांचल के भौंरा क्षेत्र में BCCL (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) द्वारा प्रस्तावित कांटा घर निर्माण परियोजना एक बार फिर विवादों में घिर गई है। शुक्रवार की सुबह जब कंपनी का प्रबंधन CISF और आंतरिक सुरक्षा बलों के साथ बुलडोजर और मशीनरी लेकर टैक्सी स्टैंड के पास खाली पड़ी जमीन पर सफाई कार्य शुरू करने पहुंचा, तो स्थानीय रैयतों का विरोध सामने आ गया।
रैयतों की आवाज: मुआवजा नहीं मिला तो काम भी नहीं होगा
आशा हेंब्रम, भरत मांझी, छोटिया मांझी, मोतीलाल हेंब्रम, शांति मझियाइन, लता देवी, और निरंजन महतो जैसे दर्जनों स्थानीय रैयत मौके पर पहुंचे और काम को रुकवाया। उनका कहना था:
“हमारी जमीन पर कंपनी काम कर रही है, लेकिन अब तक हमें मुआवजा नहीं मिला। पहले हमारा हक दो, फिर निर्माण करो।”
इन ग्रामीणों का मानना है कि बिना मुआवजा दिए उनकी जमीन का उपयोग अनुचित है।
BCCL का पक्ष: जमीन हमारी है, कागजात भी हैं
BCCL प्रबंधन की ओर से इस विरोध का जवाब देते हुए क्षेत्रीय भू-संपदा पदाधिकारी बिनोद लाल ने रैयतों को जमीन से संबंधित दस्तावेज भी दिखाए। उनके अनुसार, यह जमीन BCCL की स्वामित्व वाली है, और निर्माण कार्य वैध है।
फिर भी, ग्रामीणों ने कागजात को स्वीकार नहीं किया और काम को तत्काल रोकने की मांग की।
नोकझोंक और समाधान की पहल
रैयतों और अधिकारियों के बीच मौके पर हल्की बहस और नोकझोंक भी हुई, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण नहीं रही। स्थिति को संभालते हुए BCCL के प्रबंधन ने रैयतों को शनिवार सुबह 10 बजे क्षेत्रीय कार्यालय में दस्तावेजों के साथ बैठक के लिए बुलाया।
भौंरा मैनेजर अजीत सिंह यादव, स्टेट अधिकारी बिनोद लाल, और आंतरिक सुरक्षा अधिकारी सुरेंद्र सिंह मौके पर उपस्थित थे। वहीं, CISF के जवानों ने स्थिति को नियंत्रण में बनाए रखा।
क्या है कांटा घर और क्यों है ज़रूरी?
कांटा घर कोयला परिवहन और ट्रकिंग गतिविधियों के वजन नियंत्रण के लिए आवश्यक एक संरचना होती है। यह BCCL के लिए लॉजिस्टिक्स सुधार और कोयला चोरी रोकने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण है।
लेकिन इसके लिए स्थानीय लोगों से संवाद और समुचित मुआवजा देना भी उतना ही आवश्यक है, वरना विकास के रास्ते में असंतोष की दीवार खड़ी हो जाती है।
भौंरा की पृष्ठभूमि: कोयले से जुड़ी जमीनी कहानियां
धनबाद का भौंरा क्षेत्र कोल बेल्ट में आता है, जहां दशकों से कोयला खनन, विस्थापन और मुआवजे को लेकर संघर्ष होता आया है। रैयतों और कंपनियों के बीच ज़मीन को लेकर विवाद इतिहास की दोहराई गई कहानी बन चुकी है।
कई मामलों में उचित दस्तावेज, संवाद की कमी और मुआवजे के आंकड़े स्पष्ट नहीं होने से विवाद बढ़ जाते हैं।
समाधान संवाद से ही निकल सकता है
Bhounra land protest यह दर्शाता है कि विकास और सामाजिक जिम्मेदारी एक साथ चलें, तभी स्थायित्व संभव है।
BCCL को चाहिए कि वह पारदर्शी तरीके से दस्तावेज साझा करे, और यदि कोई रैयत मुआवजे से वंचित है, तो पहले उसे उसका हक़ दे।
दूसरी ओर, रैयतों को भी दस्तावेजी तथ्यों को समझने और उचित मंच पर अपनी बात रखने की जरूरत है।
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