Bengal Supply: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिया आलू संकट का संज्ञान
पश्चिम बंगाल द्वारा आलू आपूर्ति रोकने के बाद झारखंड में आलू के दाम अचानक बढ़ गए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले में हस्तक्षेप किया। जानें पूरी कहानी और इसकी वजह।
रांची, झारखंड: झारखंड में आलू की बढ़ती कीमतों ने लोगों की थाली का बजट बिगाड़ दिया है। पश्चिम बंगाल द्वारा अंतरराज्यीय आलू आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने के बाद राज्य में खुदरा बाजार में आलू की कीमतें 5 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बंगाल सरकार से बातचीत शुरू कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल, झारखंड की आलू की 60 प्रतिशत मांग को पूरा करता है। बंगाल सरकार ने अपने राज्य में आलू की कीमतें नियंत्रित करने के लिए अंतरराज्यीय आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके चलते झारखंड के बाजारों में आलू के दाम आसमान छूने लगे। बंगाल प्रोग्रेसिव पोटैटो ट्रेडर्स एसोसिएशन (WBPPTA) के अनुसार, पिछले तीन दिनों से सीमावर्ती इलाकों में ट्रकों को रोका जा रहा है।
डब्ल्यूबीपीपीटीए के पूर्व अध्यक्ष विभास कुमार डे ने बताया कि पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है और ट्रकों को वापस भेजा जा रहा है। व्यापारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सक्रियता
सीएम हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव अलका तिवारी को निर्देश दिया कि वह बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत से बातचीत करें। पंत ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही एक समिति बनाकर इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा।
सरकार के इस हस्तक्षेप के बाद झारखंड की जनता को राहत की उम्मीद है। वहीं, बंगाल में आलू व्यापारियों ने धमकी दी है कि अगर प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो सोमवार रात से कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालने पर रोक लगा दी जाएगी।
आलू की बढ़ती कीमतें और राजनीतिक हलचल
इस मुद्दे पर झारखंड के भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी राज्य सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा, "लोग पहले से महंगाई से परेशान हैं। ऐसे में आलू की कीमतों में वृद्धि और भी मुश्किलें बढ़ा रही है।"
पश्चिम बंगाल का कदम क्यों?
बंगाल सरकार का दावा है कि यह कदम उनके राज्य में आलू की कीमतों को स्थिर रखने के लिए उठाया गया है। स्थानीय बाजारों में कीमतें नियंत्रित करने के लिए अंतरराज्यीय आपूर्ति पर रोक लगाई गई है।
हालांकि, इस फैसले से न केवल झारखंड बल्कि अन्य राज्यों में भी संकट की स्थिति पैदा हो रही है। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से थोड़ी-बहुत आपूर्ति हो रही है, लेकिन यह झारखंड की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
क्या है ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य?
पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच आलू व्यापार का पुराना संबंध है। बंगाल में आलू का उत्पादन हर साल झारखंड और अन्य राज्यों की मांग को पूरा करता रहा है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की स्थिति पैदा हुई है। 2015 और 2018 में भी बंगाल सरकार ने अपने राज्य में कीमतें नियंत्रित करने के लिए अंतरराज्यीय आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाया था।
जनता की प्रतिक्रिया और प्रशासन की जिम्मेदारी
झारखंड के लोगों ने इस संकट पर नाराजगी जाहिर की है। लोगों का कहना है कि ऐसे प्रतिबंध केवल आम आदमी की परेशानियों को बढ़ाते हैं। वहीं, व्यापारियों ने मांग की है कि सरकार इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाए।
आगे क्या होगा?
सीएम हेमंत सोरेन द्वारा उठाए गए कदमों से उम्मीद है कि इस संकट का समाधान निकलेगा। अब यह देखना होगा कि बंगाल सरकार अपने प्रतिबंध को कब हटाती है और झारखंड में आलू की कीमतें कब स्थिर होती हैं।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर राज्य और केंद्र सरकारों को खाद्य आपूर्ति के प्रबंधन पर सोचने को मजबूर कर दिया है।
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