Namkum Rescue: दुर्लभ तक्षक नाग का सफल रेस्क्यू, जानिए इसकी खासियतें
नामकुम में दुर्लभ ओरनेट फ्लाइंग स्नेक का रेस्क्यू हुआ। यह सांप भारत में रेयर कैटेगरी में आता है और विलुप्त होने के कगार पर है। जानें इसकी अद्भुत विशेषताएं और झारखंड में पहली बार इसका रेस्क्यू क्यों चर्चा में है।
रांची, झारखंड: नामकुम स्थित आरसीएच कार्यालय में सोमवार को एक अद्भुत और दुर्लभ प्रजाति के सांप का रेस्क्यू किया गया। पिठोरिया निवासी स्नेक रेस्क्यूवर रमेश महतो ने ओरनेट फ्लाइंग स्नेक (तक्षक नाग) को सुरक्षित बाहर निकाला। यह सांप करीब 3 फीट लंबा था और झारखंड में पहली बार देखा गया है। इस रेस्क्यू ने वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।
क्या है तक्षक नाग की खासियत?
रमेश महतो के अनुसार, यह सांप बेहद दुर्लभ प्रजाति का है और भारत में इसे रेयर कैटेगरी में रखा गया है। आमतौर पर यह सांप पठारी इलाकों और झाड़ियों में पाया जाता है। यह अपनी खास उड़ान क्षमता के लिए मशहूर है। तक्षक नाग 100 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक आसानी से पहुंच सकता है।
तक्षक नाग के जीवन का रहस्य:
- आवास: यह सांप ज्यादातर पेड़ों पर रहता है और जमीन पर बहुत कम आता है।
- भोजन: इसका मुख्य आहार छिपकलियां और कीड़े-मकोड़े हैं।
- विलुप्ति का खतरा: यह सांप विलुप्ति के कगार पर है और भारत में इसके बारे में अभी भी रिसर्च जारी है।
झारखंड में पहली बार क्यों चर्चा में है तक्षक नाग?
झारखंड में यह सांप पहली बार देखा गया है। रमेश महतो ने बताया कि यह सांप वन्यजीव विज्ञानियों के लिए शोध का एक अहम विषय हो सकता है। इसे तुरंत बिरसा जैविक उद्यान को सौंप दिया गया है, जहां इसे सुरक्षित रखा जाएगा और इसके जेनेटिक्स पर रिसर्च किया जाएगा।
रेस्क्यू ऑपरेशन का रोमांच
नामकुम के आरसीएच कार्यालय में यह सांप दवाओं के कार्टून में पाया गया था। वहां काम कर रहे लोगों ने सांप को देखकर तुरंत वन विभाग और रमेश महतो को सूचना दी। रमेश ने सूझ-बूझ से सांप को सुरक्षित बाहर निकाला। उनका कहना है कि तक्षक नाग का रेस्क्यू करना उनके लिए एक रोमांचक अनुभव था।
तक्षक नाग का ऐतिहासिक महत्व
तक्षक नाग का उल्लेख भारतीय पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। इसे रहस्यमय और शक्तिशाली माना गया है। आधुनिक विज्ञान के नजरिए से यह सांप जैव विविधता और इकोसिस्टम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
वन विभाग की योजना
बिरसा जैविक उद्यान के अधिकारियों ने बताया कि तक्षक नाग को यहां सुरक्षित रखा जाएगा। इसके व्यवहार और अनुकूलन क्षमता पर अध्ययन किया जाएगा। इस रिसर्च से सांप की विलुप्ति रोकने के उपाय भी खोजे जाएंगे।
वन्यजीव संरक्षण की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया है। जंगलों के कटाव और प्राकृतिक आवास के नष्ट होने से ऐसे दुर्लभ जीव विलुप्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
झारखंड में वन्यजीव प्रेमियों की सक्रियता
झारखंड जैसे राज्यों में, जहां जैव विविधता का खजाना है, इस तरह के घटनाक्रम जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। रमेश महतो जैसे लोग वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नामकुम में तक्षक नाग का रेस्क्यू केवल एक घटना नहीं, बल्कि जैव विविधता के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है। इस दुर्लभ सांप का सुरक्षित रेस्क्यू और अध्ययन वन्यजीव विज्ञान में नए आयाम जोड़ सकता है।
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