Balumath Attack: जंगल में महुआ चुनने गई महिला को कुचल गया हाथियों का झुंड, 4 बच्चों की मां की दर्दनाक मौत!

बालूमाथ में महुआ चुनने गई महिला को जंगली हाथियों ने मौत के घाट उतार दिया। घटना के बाद गांव में दहशत और आक्रोश फैल गया, परिजन मुआवजे की मांग पर अड़े हैं।

Apr 20, 2025 - 14:51
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Balumath Attack: जंगल में महुआ चुनने गई महिला को कुचल गया हाथियों का झुंड, 4 बच्चों की मां की दर्दनाक मौत!
Balumath Attack: जंगल में महुआ चुनने गई महिला को कुचल गया हाथियों का झुंड, 4 बच्चों की मां की दर्दनाक मौत!

झारखंड के बालूमाथ प्रखंड के एक शांत से दिखने वाले गांव में शनिवार की सुबह ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। महुआ चुनने जंगल गई एक महिला को जंगली हाथियों ने घेर लिया और बुरी तरह कुचलकर उसकी जान ले ली। मृतका की पहचान 38 वर्षीय सुनीता देवी, पति धर्मदेव उरांव के रूप में हुई है, जो छोटका महुआटांड़ की निवासी थीं।

सुबह की रोज़मर्रा की आदत, और एक मौत की दस्तक
सुनीता देवी की तरह ही हर साल सैकड़ों ग्रामीण महुआ सीजन में जंगल की ओर रुख करते हैं। लेकिन इस बार, जंगल ने अपनी खूबसूरती के बदले मौत की दस्तक दे दी। परिजनों के अनुसार, सुबह महुआ चुनने गई सुनीता जंगल के मारंगलोइयां गांव से सटे इलाके में पहुंची थीं। वहां पहले से ही 16-17 हाथियों का झुंड मौजूद था।

हाथियों ने क्यों किया हमला?
जंगल में हाथियों का इस मौसम में दिखना कोई नई बात नहीं है। महुआ, साल और अन्य फलों की तलाश में हाथियों का झुंड अक्सर गांवों के पास तक पहुंचता है। लेकिन इंसानों की मौजूदगी उन्हें उत्तेजित कर देती है। जैसे ही सुनीता हाथियों के करीब पहुंचीं, एक मादा हाथी ने उन्हें खतरा समझते हुए झुंड से बाहर निकाला और जमीन पर पटक दिया। इससे सुनीता गंभीर रूप से घायल हो गईं।

बचाने की कोशिशें और असमय मौत
परिजन जब मौके पर पहुंचे तो सुनीता अचेत अवस्था में पड़ी थीं। उन्हें तुरंत बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उनकी हालत को गंभीर मानते हुए रिम्स रांची रेफर किया गया। लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

चार बच्चों की मां और टूटता परिवार
सुनीता देवी के चार छोटे बच्चे हैं। उनकी मौत ने पूरे परिवार को बेसहारा बना दिया है। गांव लौटने पर परिजनों ने शव के साथ बालूमाथ-खलारी मार्ग को जाम कर दिया और सरकार से मुआवजा, बच्चों के भरण-पोषण और एक परिजन को सरकारी नौकरी की मांग की।

प्रशासन की चुप्पी, जनता का आक्रोश
समाचार लिखे जाने तक वन विभाग का कोई भी अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा था। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश था। भाजपा मंडल अध्यक्ष लक्ष्मण कुशवाहा मौके पर पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी।

इतिहास दोहराता है खुद को
झारखंड के जंगलों में इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष कोई नया नहीं है। पिछले पांच वर्षों में राज्य में हाथियों के हमले में दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। बावजूद इसके, सरकार और वन विभाग की तैयारी हर बार विफल नजर आती है।

क्या कहती है समस्या की जड़?
जंगलों में बढ़ती मानव गतिविधि और हाथियों के पारंपरिक मार्गों में रुकावटें इन टकरावों का मुख्य कारण हैं। जंगलों की अंधाधुंध कटाई और खाद्य स्रोतों की कमी के कारण हाथी गांवों की ओर रुख करते हैं। दूसरी ओर, ग्रामीणों के लिए महुआ जैसे वनोंपज जीविका का साधन हैं, जिससे उनका जंगल में जाना मजबूरी बन जाता है।

बालूमाथ की यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, एक चेतावनी है—कि अगर इंसान और वन्यजीवों के बीच तालमेल की नीति नहीं बनी, तो ऐसी मौतें आम होती जाएंगी। अब जरूरी है कि सरकार जागे, वन विभाग सक्रिय हो और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, ताकि जंगल में महुआ चुनने निकली हर सुनीता देवी सकुशल अपने घर लौट सके।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।