Ranchi Loot: सामने रखा 300 ग्राम सोना छोड़ 11 हजार लेकर भागा चोर, वजह जानकर आप चौंक जाएंगे!
रांची में एक हैरान कर देने वाली लूटपाट में चोरों ने 300 ग्राम सोना छोड़ सिर्फ 11 हजार रुपये लेकर भागने का फैसला क्यों किया? जानिए इसके पीछे की चौंकाने वाली वजह।

रांची शहर की एक दुकान में हुई लूट की वारदात ने पूरे शहर को चौंका दिया है। लेकिन इस केस का सबसे हैरान करने वाला पहलू यह है कि चोरों ने दुकान में सामने रखे 300 ग्राम सोना को हाथ तक नहीं लगाया और सिर्फ गिने-चुने 11,500 रुपये लेकर फरार हो गए। अब सवाल यह है कि आखिर चोरों ने ऐसा क्यों किया?
इस लूटकांड का खुलासा रांची पुलिस ने चार दिन बाद कर दिया। कांके रोड स्थित फेस पटेल नामक प्रतिष्ठान में हथियार के बल पर हुई लूट के मामले में दो अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने इनके पास से लूट में इस्तेमाल की गई देसी पिस्टल और कार भी बरामद कर ली है।
चौंकाने वाला खुलासा: सोना छोड़ा, सिर्फ कैश लूटा
डीआईजी सह एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने मीडिया को बताया कि लूट के समय दुकान के ड्रॉवर में डेढ़ लाख रुपये नकद और 300 ग्राम सोना रखा हुआ था। परंतु चोरों ने केवल 11,500 रुपये लेकर भागने का निर्णय लिया। जब पुलिस ने अपराधियों से पूछताछ की, तो जो जवाब मिला, वह सबको चौंका गया।
अपराधियों ने कहा कि उन्हें "पैसों की सख्त जरूरत" थी। इसलिए उन्होंने सोना चुराने का विचार ही नहीं किया। उनकी प्राथमिकता केवल नकद थी, ताकि तत्काल समस्याओं को सुलझाया जा सके।
कौन हैं ये अपराधी?
गिरफ्तार किए गए अपराधियों की पहचान मेहुल कुमार (निवासी चूना भट्टा, सुखदेवनगर) और अमनजय सिंह (निवासी इंद्रपुरी) के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, दोनों आरोपियों ने लूट की योजना बहुत सोच-समझकर बनाई थी।
वे कार से आए, लेकिन पुलिस को भ्रम में डालने के लिए कार को घटना स्थल से करीब 400 मीटर दूर खड़ा किया। इसके बाद पैदल दुकान पहुंचे और हथियार दिखाकर लूट को अंजाम दिया। लूट के बाद पैदल वापस कार तक पहुंचे और कांके रोड की ओर फरार हो गए।
मेहुल की कहानी: डिज़ाइनिंग से डकैती तक का सफर
आरोपी मेहुल ने पूछताछ में एक दिल छू लेने वाली कहानी सुनाई। उसने बताया कि वह पहले एक डिज़ाइनिंग कंपनी में काम करता था। लेकिन 2024 में उसकी कंपनी में आग लग गई, जिससे उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा। उस पर तीन लाख रुपये का लोन बकाया हो गया था।
आर्थिक संकट और मानसिक तनाव के कारण वह नशे का आदी हो गया। जब सभी रास्ते बंद हो गए, तब उसने अपने दोस्त अमनजय के साथ मिलकर लूट की योजना बनाई। लूट के बाद लोन चुकाने और नशे की लत को पूरा करने का इरादा था।
सवालों के घेरे में पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था
इस पूरी घटना ने एक बार फिर रांची की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों हथियारबंद अपराधी इतने आसानी से लूट को अंजाम देकर फरार हो सकते हैं? और कैसे पुलिस को लूट की सही राशि और सच्चाई का पता चार दिन बाद चलता है?
इस मामले में दुकान मालिक ने शुरुआत में डेढ़ लाख रुपये की लूट की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन पुलिस की जांच में सामने आया कि सिर्फ 11,500 रुपये ही लूटे गए थे, जो बाद में अपराधियों से बरामद कर लिए गए।
इतिहास भी करता है गवाही
रांची में इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां लूट के पीछे गरीबी, बेरोजगारी और नशे की लत जैसे कारण सामने आए हैं। 2021 में नामकुम क्षेत्र में हुई एक लूट में भी आरोपी ने यही कहा था कि उसका परिवार भूख से जूझ रहा था।
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अपराध हमेशा लालच या पेशेवर मंशा से ही नहीं होते। कई बार परिस्थितियाँ भी एक आम इंसान को असामान्य रास्ते पर धकेल देती हैं। हालांकि, कानून के दायरे में रहकर समाधान तलाशना ही एकमात्र विकल्प है। रांची पुलिस की इस कामयाबी ने जहां अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, वहीं यह भी दिखाया कि अपराध की हर कहानी के पीछे एक अनकही सच्चाई छिपी होती है।
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