Tundi SUICIDE : हवलदार ने खुद को गोली मारी, मौत से इलाके में हड़कंप

धनबाद के टुंडी में सीआरपीएफ कैंप में तैनात हवलदार नंदकिशोर सिंह ने आत्महत्या कर ली। कारणों की जांच जारी है। जानिए पूरी खबर।

Dec 10, 2024 - 10:05
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Tundi SUICIDE : हवलदार ने खुद को गोली मारी, मौत से इलाके में हड़कंप
Tundi: हवलदार ने खुद को गोली मारी, मौत से इलाके में हड़कंप

झारखंड के धनबाद जिले के टुंडी में सोमवार की सुबह एक दर्दनाक घटना हुई। स्मॉल एक्शन टीम (सैट) के हवलदार नंदकिशोर सिंह (43 वर्ष), जो सीआरपीएफ कैंप में तैनात थे, ने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली। इस घटना से इलाके में शोक और चर्चा का माहौल है।

घटना का विवरण

नंदकिशोर सिंह, जो पलामू जिले के लेस्लीगंज स्थित बसौरा के इटहे गांव के निवासी थे, अकेले एक कमरे में रहते थे। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, घटना के पीछे घरेलू विवाद की वजह हो सकती है। जब साथी जवानों ने गोली की आवाज सुनी, तो वे तुरंत नंदकिशोर के कमरे की ओर दौड़े। वहां उन्हें अचेत अवस्था में बेड पर पड़ा पाया। उनके पास उनकी सर्विस राइफल भी पड़ी हुई थी।

साथी जवानों ने उन्हें एसएनएमएमसीएच (सोनारपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल) ले जाने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

घटना की सूचना के बाद सिटी एसपी अजीत कुमार, ग्रामीण एसपी कपिल चौधरी, डीएसपी मुख्यालय धीरेंद्र नारायण बंका, सरायढेला थाना प्रभारी नूतन मोदी, और टुंडी थाना प्रभारी उमा शंकर समेत कई पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। फोरेंसिक टीम ने भी मौके पर पहुंचकर घटनास्थल की जांच शुरू की। हवलदार का रूम सील कर दिया गया है और एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) टीम ने राइफल और अन्य साक्ष्यों की जांच की।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट

धनबाद मेडिकल कॉलेज में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया, जिसमें पांच डॉक्टर शामिल थे। रिपोर्ट में बताया गया कि गोली हवलदार के सिर में लगी थी, जो दाहिनी ओर से प्रवेश कर बायीं ओर से निकल गई। इस कारण मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

परिवार की प्रतिक्रिया

घटना के बाद नंदकिशोर के पिता राजदुलार सिंह, मां, पत्नी सावित्री देवी, और अन्य रिश्तेदार धनबाद पहुंचे। देर रात, पत्नी ने पुलिस को एक आवेदन देकर बताया कि उन्हें किसी पर शक नहीं है।

सैट की भूमिका और महत्व

झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सैट (स्मॉल एक्शन टीम) के जवानों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ये जवान नक्सल ऑपरेशनों और अन्य संवेदनशील अभियानों में तैनात रहते हैं, जिनमें अक्सर मानसिक और शारीरिक चुनौतियां होती हैं। ऐसे मामलों में उनकी मानसिक स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

जांच और भविष्य की कार्रवाई

पुलिस और फोरेंसिक टीम घटना की विस्तृत जांच कर रही है। जांच के निष्कर्ष ही यह तय करेंगे कि नंदकिशोर की आत्महत्या के कारण क्या थे।

इस घटना ने सुरक्षा बलों के जवानों के मानसिक स्वास्थ्य की जरूरतों को एक बार फिर से उजागर किया है। क्या उन्हें बेहतर मानसिक सहायता मिल रही है? यह सवाल अब और अहम हो गया है।

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