Chakulia Tiger Alert: चाकुलिया के जंगलों में जिन्नत बाघिन का खौफ, वन विभाग की पकड़ से अब भी दूर!
चाकुलिया के सुनसुनिया जंगल में ओडिशा से भागकर आई जिन्नत बाघिन ने दहशत फैलाई। 9 दिन बाद भी वन विभाग बाघिन को पकड़ने में नाकाम। जानें पूरी कहानी।
चाकुलिया: Tiger Alert ने झारखंड के चाकुलिया क्षेत्र में खौफ पैदा कर दिया है। ओडिशा के सिमलीपाल अभ्यारण्य से भागकर आई जिन्नत नामक बाघिन ने सुनसुनिया और धोबाशोल के घने जंगलों में शरण ले रखी है। 9 दिन बीत चुके हैं, लेकिन वन विभाग की टीम अब तक बाघिन को पकड़ने में असफल रही है। इस घटना ने न केवल ग्रामीणों के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि जंगल के पास के गांवों में डर का माहौल बना दिया है।
बाघिन का इतिहास: क्यों है यह घटना खास?
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, भारत के सबसे पुराने बाघ अभ्यारण्यों में से एक, 1973 में स्थापित हुआ था। यह अपनी समृद्ध जैव विविधता और दुर्लभ बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध है। बाघों का इस क्षेत्र से भागना दुर्लभ है, लेकिन जिन्नत ने सीमाओं को पार कर चाकुलिया के जंगलों में पहुंचकर वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है।
ग्रामीणों में दहशत, जनजीवन ठप
जिन्नत के खौफ ने सुनसुनिया और धोबाशोल के आसपास के गांवों में ग्रामीणों की दिनचर्या को पूरी तरह से बदल दिया है।
- जंगल जाने से परहेज: ग्रामीण अपने मवेशियों को जंगल नहीं भेज रहे हैं।
- स्कूलों पर असर: विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति में भारी गिरावट आई है।
- वन विभाग की चेतावनी: लोगों को जंगल से दूर रहने और घरों के अंदर रहने की सलाह दी जा रही है।
वन विभाग का ऑपरेशन: बाघिन को पकड़ने की चुनौती
वन विभाग की टीम ने बाघिन को पकड़ने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया है।
- जीपीएस ट्रैकिंग: बाघिन की लोकेशन ट्रैक करने के लिए साल जंगल में जीपीएस का उपयोग किया जा रहा है।
- प्रशिक्षित टीम: बाघिन को सुरक्षित पकड़ने के लिए विशेषज्ञों की टीम जंगल में सक्रिय है।
- विशेष पिंजरे और जाल: टीम ने कई स्थानों पर पिंजरे और जाल लगाए हैं।
क्यों पकड़ना मुश्किल है जिन्नत को?
सुनसुनिया और धोबाशोल जंगलों का घना और पहाड़ी इलाका इस ऑपरेशन को और भी चुनौतीपूर्ण बना रहा है। स्थानीय वन अधिकारी का कहना है कि जिन्नत बेहद सतर्क और चालाक है, जिससे उसे ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है।
क्या है आगे की योजना?
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जिन्नत की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। टीम को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बाघिन को सुरक्षित पकड़ लिया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया है कि उनकी सुरक्षा प्राथमिकता है।
बाघों और इंसानों का संघर्ष: एक पुरानी कहानी
भारत में बाघों और इंसानों के बीच संघर्ष कोई नई बात नहीं है। संरक्षित क्षेत्रों के आसपास रहने वाले गांव अक्सर बाघों के प्राकृतिक आवास के साथ मेल खाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जंगलों में शिकार की कमी और बढ़ते मानव हस्तक्षेप की वजह से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
ग्रामीणों की अपील और चिंता
ग्रामीणों ने वन विभाग से बाघिन को जल्द पकड़ने की मांग की है। उनका कहना है कि डर के कारण खेती और अन्य दैनिक कामकाज में बाधा आ रही है।
तो क्या बाघिन जिन्नत को जल्द पकड़ लिया जाएगा?
यह सवाल अब चाकुलिया के हर ग्रामीण की जुबान पर है। वन विभाग के प्रयास जारी हैं, लेकिन जिन्नत की हरकतें और जंगल का घनत्व इसे कठिन बना रहे हैं।
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