Adityapur Protest: कचड़ा डंपिंग यार्ड के विरोध में मीरूडीह में हुई जोरदार प्रदर्शन

आदित्यपुर के मीरूडीह में प्रस्तावित कचड़ा डंपिंग यार्ड का विरोध, जानिए क्यों स्थानीय लोग हैं इसके खिलाफ। स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि पर पड़ने वाले असर को लेकर गांव में हो रहा है हंगामा।

Dec 20, 2024 - 10:15
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Adityapur Protest: कचड़ा डंपिंग यार्ड के विरोध में मीरूडीह में हुई जोरदार प्रदर्शन
Adityapur Protest: कचड़ा डंपिंग यार्ड के विरोध में मीरूडीह में हुई जोरदार प्रदर्शन

आदित्यपुर: आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड नौ के अंतर्गत मीरूडीह गांव में प्रस्तावित कचड़ा डंपिंग यार्ड के खिलाफ लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस विरोध में दर्जनों महिला-पुरुष, पारंपरिक औजारों के साथ एकजुट हुए और कचड़ा डंपिंग यार्ड बनाने के खिलाफ अपने गुस्से का इज़हार किया। प्रदर्शन की अगुवाई माझी बाबा सुराई टुडू ने की।

कचड़ा डंपिंग यार्ड के खिलाफ जबरदस्त विरोध

गुरूवार को मीरूडीह में प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की कि किसी भी हाल में ग्रामसभा द्वारा पारित किए बिना कचड़ा डंपिंग यार्ड का निर्माण स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि यह कदम उनके गांव और आसपास के क्षेत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस विरोध में स्थानीय लोग एकजुट हो गए और उन्होंने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।

माझी बाबा का बयान

माझी बाबा सुराई टुडू ने कहा कि जिस भूमि पर कचड़ा डंपिंग यार्ड बनाने की योजना बनाई गई है, वह खेती योग्य भूमि है। यहां के लोग कृषि पर निर्भर हैं और यदि यहां कचड़ा डंपिंग यार्ड बना तो न केवल उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, बल्कि उनकी कृषि भूमि भी बेकार हो जाएगी।

स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव

विरोध करने वालों का कहना है कि मीरूडीह बस्ती के पास ही पावर सब स्टेशन और सीतारामपुर डैम भी स्थित है। यदि कचड़ा डंपिंग यार्ड यहां स्थापित होता है, तो इससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। प्रदूषण से जहां पानी और हवा की गुणवत्ता प्रभावित होगी, वहीं यह कचड़ा सीतारामपुर डैम में भी मिल सकता है, जो आदित्यपुर और बागबेड़ा के हजारों लोगों के लिए पेयजल स्रोत है।

विरोध में शामिल लोग

इस प्रदर्शन में कई स्थानीय लोग शामिल थे, जिनमें शिवाजी महतो, सावन बेसरा, उर्मिला महतो, सुमी बेसरा, सुनिता बेसरा, मायनो मार्डी, संगीता बेसरा, घासीराम हेंब्रम, सुमी पूर्ति, जादू बेसरा सहित कई अन्य लोग शामिल थे। इन लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने उनका विरोध नजरअंदाज किया, तो वे और भी कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।

कचड़ा डंपिंग यार्ड के निर्माण का सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव

कचड़ा डंपिंग यार्ड का निर्माण किसी भी क्षेत्र में एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है, खासकर जब वह कृषि योग्य भूमि, पानी के स्रोत और घनी आबादी वाले इलाकों के पास हो। मीरूडीह के ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना से न केवल उनका स्वास्थ्य प्रभावित होगा, बल्कि पर्यावरण और आसपास के जल स्रोतों को भी खतरा हो सकता है।

समाज और पर्यावरण के हित में प्रशासन से अपील

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यह अपील की है कि वे बिना ग्रामसभा की मंजूरी के किसी भी प्रकार का कार्य शुरू न करें। उनका कहना है कि इस मामले में सही निर्णय लिया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस क्षेत्र को सुरक्षित रखा जा सके।

मीरूडीह में कचड़ा डंपिंग यार्ड के प्रस्तावित निर्माण के विरोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्थानीय समुदाय अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर सजग है। प्रशासन को इस विरोध को गंभीरता से लेना चाहिए और समुदाय की चिंताओं का समाधान करना चाहिए। यह मामला केवल मीरूडीह तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे आदित्यपुर और आसपास के क्षेत्र के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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